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ठंड बढ़ने से जोड़ों में दर्द, ब्रेन स्ट्रोक और माइग्रेन की समस्याएं बढ़ी

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में तापमान में भारी गिरावट होने के साथ कंपकपाने वाली ठंड के कारण स्ट्रोक, जोड़ों की समस्याएं, माइग्रेन एवं अन्य स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। पिछले कुछ दिनों के दौरान एनसीआर में न्यूनतम तापमान चार डिग्री के नीचे पहुंच गया और इसके कारण स्वास्थ्य समस्याओं में बढ़ोतरी हो रही है।


फोर्टिस हॉस्पिटल (नौएडा) के न्यूरो एवं स्पाइन सर्जन डॉ. राहुल गुप्ता बताते हैं कि सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक और खास तौर पर हेमोरेजिक स्ट्रोक के मामले अन्य महीनों की तुलना में करीब तीन गुना अधिक बढ़ जाते हैं। उनके अनुसार सर्दियों में शरीर का रक्त चाप बढ़ता है जिसके कारण रक्त धमनियों में क्लॉटिंग होने से स्ट्रोक होने के खतरे बढ़ जाते हैं। ब्रेन स्ट्रोक का एक प्रमुख कारण रक्त चाप है। रक्तचाप अधिक होने पर मस्तिष्क की धमनी या तो फट सकती है या उसमें रुकावट पैदा हो सकती है


इसके अलावा इस मौसम में रक्त गाढ़ा हो जाता है और उसमें लसीलापन बढ़ जाता है, रक्त की पतली नलिकाएं संकरी हो जाती है, रक्त का दबाव बढ़ जाता है। धमनियों की लाइनिंग अस्थायी रूप से क्लॉट के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। अधिक ठंड पड़ने या ठंडे मौसम के अधिक समय तक रहने पर खासकर उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों में स्थिति अधिक गंभीर हो जाती है। इसके अलावा सर्दियों में लोग कम पानी पीते हैं जिसके कारण रक्त गाढ़ा हो जाता है और इसके कारण स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। उनका सुझाव है कि सर्दियों में अधिक मात्रा में पानी तथा तरल पीना चाहिये।


डॉ. राहुल गुप्ता के अनुसार बहुत ठंड के कारण हृदय के अलावा मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों की धमनियां सिकुड़ती हैं, जिससे रक्त प्रवाह में रुकावट आती है और रक्त के थक्के बनने की आशंका अधिक हो जाती है। ऐसे में ब्रेन स्ट्रोक, दिल के दौरे तथा शरीर के अन्य अगों में पक्षाघात होने के खतरे अधिक होते हैं। डॉ. राहुल गुप्ता के अनुसार कई अध्ययनों से पता चला है कि कम तापमान होने पर स्ट्रोक होने तथा स्ट्रोक के कारण मौत होने का खतरा बढ़ता है, खास तौर पर अधिक उम्र के लोगों में। इसलिये लोगों को अपने शरीर को गर्म रखने के लिये अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। इसके अलावा स्ट्रोक से बचने के लिये शराब और धूम्रपान का सेवन कम करना चाहिए।


डा. राहुल गुप्ता के अनुसार सर्दी के महीनों में, जिन लोगों को न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हैं उनकी समस्याएं बढ़ सकती है। तापमान घटने से नर्व में दर्द बढ़ सकता हैडॉ. राहुल गुप्ता का सुझाव है कि जिन लोगों को नर्व दर्द, रीढ़ में दर्द, ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया, मांसपेशियों में कड़ापन और संवेदना में कमी जैसी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हैं उन्हें अधिक ठंड से बचना चाहिए।


डा. राहुल गुप्ता बताते हैं कि सर्दियों में तापमान बहुत अधिक कम हो जाने के साथ ही गर्दन दर्द, पीठ दर्द और कमर दर्द जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं।


नई दिल्ली के वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज एवं सफदरजंग अस्पताल के बाल चिकित्सा एवं बाल स्वास्थ्य के डॉ. मुर्तजा कमाल कहते हैं कि अत्यधिक ठंड का मौसम शुरु होते ही, बच्चों में सिर दर्द होने का खतरा 15-20 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। ऐसा विषेश रूप से उन बच्चों को अधिक होता है जो माइग्रेन से ग्रस्त होते छोटे बच्चे सिर दर्द या अन्य समस्याओं के बारे में ठीक से नहीं बता पाते हैं, बल्कि वे इसे अन्य तरीकों से प्रकट करते हैं। जैसे, वे चिड़चिड़े और जिद्दी हो जाते हैं और उन्हें सोने और खाने में समस्या हो सकती है। उनके अनुसार अत्यधिक ठंडा मौसम नर्व को प्रभावित करता है जो विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं। यह प्रभाव उसी प्रकार का होता है जैसा तेज या बहुत कर्कश आवाज का होता है। यह विशेष रूप से वैसे बच्चों को अधिक प्रभावित करता है जिन्हें वंशानुगत कारणों से अक्सर माइग्रेन के रूप में सिर दर्द होता है। इसके अलावा, सर्दी के इस मौसम में बच्चों को वायरल संक्रमण और नाक, कान एवं गले (ईएनटी) की समस्याओं से भी ग्रस्त होने की अधिक संभावना होती है। ठंड के कारण बच्चों में सिर दर्द की समस्या तब अधिक होती है, विशेषशकर तब, जब बच्चे सिर और कान जैसे बाहरी अंगों की ठीक से सुरक्षा नहीं करते हैं।


 


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