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बचपन में पीठ में लगी चोट के बाद लगातार कमर दर्द रहता है। क्या करूं 

मेरी 52 वर्षीय मां को पिछले 10 वर्षों के बाद गंभीर पीठ दर्द है। विभिन्न डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ। बचपन में उसे पीठ में कंक्रीट के एक ढांचे से चोट लग गयी थी। करीब 15 साल बाद उसे दिक्कत होने लगी है। उसके कमर दर्द का ब्यौरा इस प्रकार है - बिल्कुल रीढ़ पर दर्द होता है। सर्दियों में यह बढ़ जाता है। वह जमीन पर से कोई वस्तु उठाने के लिये पूरी तरह झुक नहीं पाती है। अगर वह अनजाने में ऐसा कर ले तो उसका दर्द और बढ़ जाता है। वह स्पीड ब्रेकर पर जर्क का झटका बर्दाष्त नहीं कर पाती है। अगर आप मुझे कुछ जानकारियां दें तो आपकी एहसानमंद रहूंगी - 1) इसका तात्कालिक इलाज क्या है ताकि उसे तुरंत आराम मिल सके, 2) लंबी समय तक ली जाने वाली दवाइयां 3) किस तरह का व्यायाम करना चाहिये।  - श्रीमती खुशबू, नई दिल्ली



डा. अभिषेक वैश्य, आर्थोपेडिक सर्जन, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली के जवाब
उत्तर : सही निदान की दृष्टि से कमर दर्द अभी भी अपने आप में रहस्यमय बना हुआ है। इन दिनों मैं ओपीडी में जिन मरीजों को देखता हूं उनमें से कम से कम 60 से 70 प्रतिशतत मरीजों को किसी न किसी तरह के कमर दर्द की समस्या होती ही है। जहां तक आपकी माता जी का सवाल है उन्हें कमर दर्द की सिस्टेमिक समस्या है और आम तौर पर यह ओस्टियोपोरोसिस के कारण होती है। हालांकि उन्हें बचपन में चोट लगी थी, लेकिन इस समय के दर्द से पुरानी चोट का कोई संबंध नहीं नजर आता है। उनकी पूरी तरह से जांच होनी चाहिये और खास तौर पर एक्स रे, रीढ़ की एमआरआई और क्लिनिकल परीक्षण, कुछ तरह के रक्त परीक्षण किये जाने चाहिये। उन्हें अल्ट्रासेट नामक कुछ एनाल्जेसिक दवाइयां लेनी चाहिये - दिन में दो बार। इसके अलावा गर्म सिंकाई करनी चाहिये तथा दर्द की जगह पर एनाल्जेसिक मलहम लगानी चाहिये। इसके अलावा उन्हें कुछ सावधानियां बरतनी चाहिये। उन्हें झुकने तथा जमीन पर से कोई भारी चीज उठाने से बचना चाहिये। अगर नीचे झुकना जरूरी हो तब उन्हें कमर के बल झुकने के बजाय घुटने के बल बैठ कर कोई चीज उठानी चाहिये। उन्हें लंबे समय के लिये आहार में अधिक मात्रा में प्रोटीन एंव विटामिन लेना चिहये साथ ही साथ गोलियों के रूप में कैल्शियम एवं विटामिन डी 3 का सेवन करना चाहिये तथा ओस्टियोपोरोसिस का समुचित इलाज कराना चाहिये। उन्हें ऐसे व्यायाम करने चाहिये ताकि रीढ़ पर तनाव आ सके तथा पेट की मांसपेषियां लचीली हो सके। जरूरी होने पर फिजियोथिरेपिस्ट की मदद ले सकती हैं। 


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