Header Ads Widget

We’re here to help you live your healthiest, happiest life.

दिल की धड़कन पर नजर

जीवन एक संगीत है। दिल की धड़कन इस संगीत का सुरीला राग है। इस राग में किसी भी तरह के बेसुरपन से जीवन की लय बंद हो सकती है। हमारे दिल की एक खास गति होती है। यह गति या धड़कन सामान्य स्थिति में प्रति मिनट 90 के आसपास होती है। हालांकि खुशी, गम, तनाव, उत्तेजना, चिंता, क्रोध आदि में यह गति बढ़ सकती है। व्यायाम, शारीरिक श्रम, बुखार, गर्भावस्था, एनीमिया एवं कुछ दवाइयों एवं मादक द्रव्यों के सेवन से दिल की धड़कन बढ़ जाती है और पीलिया, थायरायड ग्रंथि में खराबी तथा बीटा ब्लाकर जैसी दवाइयों के सेवन से दिल की गति घट जाती है। लेकिन कई बार दिल की बीमारियों के कारण दिल की धड़कन में इस कदर की अनियमितता हो जाती है कि जीवन खतरे में पड़ जाता हैं। खास तौर पर जब हृदय की पंपिंग कमजोर पड़ जाती है तब हृदय की धड़कन अचानक प्रति मिनट 200 से 300 मिनट तक पहुंच जाती है। ऐसी स्थिति में मरीज का दिल काम करना बंद कर सकता है और मरीज की अचानक मौत हो सकती है। लेकिन अब आटोमेटिक इंट्राकार्डियेक डिफाइब्रिलेटर डिवाइस (ए.आई.सी.डी.) ऐसे मरीजों के लिये जीवन का वरदान बन कर सामने आया है। हमारे देश में भी इस यंत्र का इस्तेमाल आरंभ हो गया है।
नयी दिल्ली, नौएडा, मेरठ, आगरा, फरीदाबाद आदि में फैले मेट्रो गु्रप आफ हास्पिटल्स समूह के चेयरमैन तथा नौएडा स्थित मेट्रो हास्पीटल्स एंड हार्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक सुप्रसिद्ध हृदय रोग चिकित्सक पद्मभूषण डा. पुरुषोत्तम लाल बताते हैं कि यह यंत्र चैबीसों घंटे दिल की धड़कन पर निगरानी रखता है और दिल की धड़कन में किसी भी तरह की अनियमितता आने पर तत्काल हृदय को शाॅक देकर दिल की गति को सामान्य बना देता है। इससे मरीज की जान बच जाती है।
सबसे अधिक एंजियोप्लास्टी एवं स्टेंटिंग करने का श्रेय हासिल करने के लिये इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से सम्मानित डा. लाल के अनुसार दिल के मरीजों के लिये एंजाइना एवं दिल का दौरा सबसे खतरनाक स्थितियां है। हृदय की तीन धमनियों में से किसी एक धमनी में कालेस्ट्रोल के जमने से 100 प्रतिशत रूकावट हो जाने पर दिल का दौरा पड़ जाता है। दिल का दौरा पड़ने पर 40 से 50 प्रतिशत रोगियों की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो जाती है। अस्पताल पहुंचने वाले रोगियों की किसी एक धमनी या अधिक धमनियों में रुकावट को दवाइयों या बैलून एंजियोप्लास्टी के जरिये खोला जाता है। इसके बाद मरीज तीन-चार दिनों में ठीक हो जाता है।
डा. बी. सी. राय राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित डा. लाल बताते हैं कि दिल के मरीजों की अकस्मात मृत्यु मुख्य तौर पर दिल के दौरे के कारण होती है। जिन रोगियों को पहले दिल का दौरा पड़ चुका हो अथवा जिनके दिल की पंपिंग कमजोर है उन्हें दिल के दौरे के कारण अचानक मौत होने की आशंका बहुत अधिक होती है। ऐसे मरीज जो दिल का दौरा पड़ने के बाद एंजियोप्लास्टी नहीं होने के बावजूद बच जाते हैं उनके हृदय की पंपिंग कमजोर हो जाती है। 
डा. लाल के अनुसार आम तौर पर सामान्य हृदय की पंपिग 60 प्रतिशत रहती है। लेकिन जब पंपिग गिर कर 30 प्रतिशत रह जाये तो मरीज की सांस फूलती रहती है। ऐसे रोगियों को नियमित रूप से दवाइयों का सेवन करना पड़ता है। ऐसे रोगियों के हृदय के अचानक रुक जाने का खतरा अधिक होता है। इसे कार्डियेक अरेस्ट कहा जाता हैं। ऐसे रोगियों में बेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया की समस्या होती है। ऐसे रोगियों के हृदय की धड़कन बढ़ कर 200 से 300 तक बढ़ जाती है। ऐसे में हृदय थोड़ी देर बाद ही निष्क्रिय पड़ जाता है। ऐसे में हृदय के अचानक रुक जाने का खतरा बहुत अधिक होता है। अगर रोगी पहले से अस्पताल में है तो उसी समय शाॅक देकर हृदय की धड़कन को सामान्य कर दिया जाता है। लेकिन ज्यादातर रोगी अस्पताल में नहीं होते बल्कि घर-दफ्तर में होते हैं या रास्ते में होते हैं। ऐसे रोगी की अचानक मौत हो जाती है। ऐसे रोगियों को अगर ए.आई.सी.डी. पहले से लगा हो तो उनकी जीवन पर खतरा नहीं आता है। इस उपकरण को छाती में दांये या बायें तरफ कार्लर बोन के नीचे पेस मेकर की तरह लगा दिया जाता है। जिन रोगियों में हृदय में इस तरह की अनियमिततायें होने की आशंका होती है, जिनके हृदय की पंपिंग काफी कमजोर होती है या जिन्हें दिल के दौरे के कारण अचानक मौत से बचाया जा चुका होता है उनके लिये यह उपकरण जीवनरक्षक का काम करता रहता है। 
हृदय रोगों के आपरेशन बगैर उपचार की अनेक तकनीकों को विकसित करने वाले डा. लाल ने बताया कि इस उपकरण का आकार करीब ढाई से तीन सेंटीमीटर होता है और वजन केवल 75 से 80 ग्राम होता है। इसके भीतर एक बैटरी होती है जिसकी तार हृदय के भीतर जाती है। जब भी कभी अनियमिततायें होने के कारण हृदय के रुकने की स्थिति पैदा हो जाती है तब यह उपकरण अपने आप हृदय को शाॅक दे देता है। यह उपकरण हृदय को जैसे ही शाॅक देता है हृदय की गति अपने आप सामान्य हो जाती है। रोगी चाहे जहां भी हो और चाहे जो भी काम कर रहा हो उसके हृदय के अचानक रुकने तथा अचानक मौत होने की आशंका नहीं होती है। अमरीका और फ्रांस जैसे देशों में यह उपकरण तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। 


 


Post a Comment

0 Comments