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होली के लिए आयुर्वेद सलाह

सर्दियों के जाते-जाते रंगों और मेल-मिलाप का बहुत ही प्राचीन त्यौहार होली ने दस्तक देना शुरू कर दिया है। होली के अवसर पर हम रंग और पानी से खेलने, गुझिया जैसी मिठाई खाने और मजेदार ढंग से और उल्लास के साथ इस त्यौहार का मनाने के लिए बेसब्री से इंतजार करते हैं। लेकिन इस त्यौहार को मनाने के उत्साह में हमें बाल, त्वचा और आंखों पर रंग खेलने के बाद के दुष्प्रभाव से उत्पन्न एलर्जी, जलन और रैशेज को ध्यान में रखना चाहिए।
यहां आपको होली को बिना किसी नुकसान के मनाने के लिए सावधानियां, उपचारों और पकवानों के बारे में कुछ उपयोगी जानकारियां दी गई हैं जो आयुर्वेद के प्राचीन स्वास्थ्य विज्ञान की कसौटी पर कसी हुई और आजमाई हुई हैं। 
होली खेलने से पहले बरतें सावधानियां
— होली से एक दिन पहले, अपने पूरे शरीर पर सरसों का तेल लगा लें। चेहरे, हाथों और पैरों पर अच्छी तरह से तेल लगाएं क्योंकि ये ऐसे क्षेत्र हैं, जो रंगों के सीधे संपर्क में आते हैं। तेल आपकी त्वचा को सुरक्षित रखेगा और आपको आसानी से रंगों को हटाने में मदद करेगा।
— तेल के बजाय, आप लोशन भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आपकी त्वचा को साफ रखने में भी बहुत प्रभावी है और इसके इस्तेमाल से यहां तक कि सबसे कठोर रंग भी साफ हो जाएगा।
— अपने बालों में बहुत सारा नारियल का तेल लगाएं। यह एक संरक्षक एजेंट के रूप में कार्य करता है और रंगों को बालों की जड़ों में गहराई में जाने से रोकता है।
जब रंग आंखों या मुँह में चला जाए
- यदि सूखा रंग आपकी आंखों में चला जाए, तो अपनी आंखों को पानी से अच्छी तरह धोएं। होली के दिन, अपनी आँखों को नियमित रूप से पानी से धोएं।
- अपनी आँखों से रंग को साफ करने के बाद, अपनी आंखों में कुछ गुलाब जल डालें और थोड़ी देर तक लेटे रहें। इससे आपकी आंखों को आराम और ठंडक मिलेगी।
रंग से एलर्जी के कारण होने वाले रैशेज के उपचार
— हालांकि होली के दौरान इस्तेमाल किये जाने वाले अधिकांश रंग सुरक्षित होते हैं, लेकिन कुछ लोग रासायनिक रंगों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ये हानिकारक होते हैं और उनसे बचा जाना चाहिए क्योंकि वे रैशेज जैसी त्वचा की समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
— यदि रासायनिक रंग को रगड़कर लगाया गया हो, तो इसे हटाने के लिए साबुन के बजाय फेशवाॅश का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा है। चेहरे को धाते समय हल्के हाथ से इसे साफ करें क्योंकि इस प्रक्रिया से आपकी त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है।
— बाहर होली खेलने के लिए जाने से पहले, एक घंटे के लिए थोड़ी सी मुल्तानी मिट्टी को भिगोकर रख दें और प्रभावित क्षेत्रों पर इसे लगा लें। यह रंगों को त्वचा के अंदर जाकर रैशेज पैदा करने से रोकेगा।
— एक अच्छे घरेलू उपाय के तौर पर बेसन, स्वीट आयल और दूध की क्रीम को गुलाब जल में मिलाकर इसका गाढ़ा पेस्ट बना लें और इसे अपने चेहरे, हाथों और पैरों पर लगाएं। पेस्ट सूखने के बाद, इसे रगड़कर साफ कर लें। यह रैषेज के इलाज करने का एक अच्छा तरीका है।
जिद्दी (रासायनिक) रंगों को निकालना
कुछ रंग एसिड, शीशा और मजबूत रसायनों जैसे हानिकारक पदार्थों से तैयार किए जाते हैं जिन्हें हटाना मुश्किल होता है। ऐसे मामलों में निम्नलिखित घरेलू उपचार मददगार साबित होंगे।
— आधी कटोरी दही लें और उसमें दो चम्मच नींबू का रस मिलाएं। इसे त्वचा पर लगाएं और गुनगुने पानी से स्नान करें।
— होली के रंगों को हटाने के लिए उबटन (क्रीम) एक अच्छा उपाय है।
— सिंथेटिक रंगों के मामले में अपनी त्वचा को अधिक रगड़ कर साफ करने से बचें, क्योंकि यह त्वचा की स्थिति को और भी बदतर बना देगा।
— होली खेलने के बाद धूप में बाहर जाने से बचें।
घर पर हर्बल रंग बनाना
होली गैर-सिंथेटिक रंगों के साथ खेला जाना चाहिए, जो त्वचा के लिए हानिकारक नहीं होते हैं। घर पर हर्बल रंग बनाने के लिए यहां कुछ तरीके दिये गए हैं:
— अपनी पसंद के रंग के आधार पर, आप बेसन, हल्दी, मुल्तानी मिट्टी, चंदन पाउडर या हिना पाउडर का उपयोग कर सकते हैं। ये सामग्रियां विभिन्न प्रकार के रंगों को बनाने के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं।
— गेंदा और गुलमोहर जैसे फूल, और चुकंदर जैसी सब्जियों का अच्छे और त्वचा के अनुकूल रंग बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इन सामग्रियों में से अधिकांश को खोजना मुश्किल नहीं हैं और इनकी गंध भी अच्छी होती है।
— उबलते पानी में चुकंदर के कुछ टुकड़े डाल दें और मिश्रण को रात भर रहने दें। अगले दिन, आपके पास अद्भुत रंगीन पानी होगा।
— कुछ काले अंगूर और आंवला लें और उन्हें छोटे टुकड़ों में काट लें। उबलते पानी में टुकड़ों को डालें और पानी को ठंडा होने दें। इन्हें छान लें। अब आपके पास होली खेलने के लिए अच्छा काला रंग होगा।
— गेंदा की कुछ पंखुड़ियों को सुखा लें और उन्हें मिक्सर में पीस लें। आपको पीले रंग का पाउडर मिलेगा। आप हल्दी पाउडर का भी उपयोग कर सकते हैं क्योंकि यह त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है।
— आप पालक, पुदीना और नीम के पत्तों को गर्म पानी में डालकर कुछ घंटों के लिए छोड़ दें। उसके बाद पानी को छान लें। इससे आपको होली खेलने के लिए हरा रंग मिल जाएगा। आप पालक, पुदीना और नीम के पत्तों की सूखे पत्तियों को पीसकर भी हरा रंग बना सकते हैं।
स्वास्थ्यवर्द्धक खाद्य पदार्थों से बनाएं होली के स्नैक्स
खान-पान सभी उत्सवों का एक अनिवार्य हिस्सा होता है। होली के लिए यहां कुछ स्वास्थ्यवर्द्धक पकवानों को तैयार करने की विधि दी गई है।
गुझिया
गुझिया के बिना होली अधूरी है। इस साल होली में, काफी सारा ड्राई फ्रूट भरकर अधिक स्वास्थ्यवर्द्धक गुझिया तैयार करें।
बेसन के लड्डू
बेसन के लड्डू होली के लिए एक बेहतरीन मिठाई है। इस होली में, भुने हुए पीले चने से लड्डू तैयार करें। इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है, और इसे बनाने के लिए बहुत अधिक घी की आवश्यकता भी नहीं होती है और आप स्वादिष्ट लड्डू बना सकते हैं।
कचौड़ी
यदि आपको होली के पकवान के तौर पर मसालेदार कचैड़ी पसंद है, तो इसे देशी के साथ विदेशी टच देने के लिए हरा चना और मटर से बनाने का प्रयास करें। इस व्यंजन को अधिक स्वास्थ्यवर्द्धक बनाने के लिए, इसे तेल में डीप फ्राई करने की बजाय बेक करें।
टिक्की छोले
टिक्की छोले होली का एक और लोकप्रिय पकवान है। इस होली में, आप थोड़ा अलग पकवान के तौर पर भरवां टिक्की बनाएं। इसे बनाने के लिए काफी सारा बारीक कटा हुआ गाजर, चुकंदर और पनीर लें। इसमें थोड़ा उबला हुआ और मैस किया हुआ आलू मिलाकर स्टफ तैयार कर लें। स्वस्थ जई के आटे में इस स्टफ को भर कर टिक्की तैयार कर लें। इन्हें डीप फ्राई करने की बजाय भून लें। इसे दही और पके हुए छोले के साथ खाएं। यह पकवान अधिक स्वास्थ्यवर्द्धक तो होगा ही, काफी स्वादिष्ट भी होगा।
बर्फी
बर्फी को घर में तैयार करना आसान है और आपको अपने स्वास्थ्य को देखते हुए सर्वोत्तम सामग्री का इस्तेमाल करना चाहिए। जहां तक बर्फी में नट्स के इस्तेमाल करने की बात है, तो काजू एक स्वस्थ विकल्प नहीं है। इसलिए पिस्ता, बादाम, अंजीर, छुहाड़े आदि का इस्तेमाल करें क्योंकि ये पोषण और स्वाद दोनों के लिहाज से बेहतर होते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से काजू की बर्फी पिस्ता की बर्फी और बादाम की बर्फी से बेहतर होता है।
ठंडाई
भांग और ठंडाई लगभग सभी होली प्रेमियों को पसंद है और वे इनका आनंद लेते हैं। लेकिन भांग हमारे शरीर के लिए स्वस्थ नहीं है, इसलिए इससे बचना बेहतर है। इसलिए, भांग की बजाय ठंडाई का सेवन करें। घर में तैयार कम कैलोरी वाली ठंडाई परंपरा और स्वास्थ्य दोनों के लिहाज से बेहतर है, बशर्ते कि इसे टोंड दूध से बनाया गया हो, अधिक बादाम का इस्तेमाल किया गया हो और इसमें किसी भी रूप में भांग की गोली नहीं मिलाई गई हो।


डॉ. प्रताप चौहान जिवा आयुर्वेद के निदेशक हैं।


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