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मधुमेह रोगी मानसून में करें पैरों की विशेष देखभाल

मानसून के मौसम में हमें पैरों का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। और अगर किसी को डायबिटीज है तो उसे और भी अधिक एहतियात बरतनी चाहिए। डायबिटीज में डायबिटिक फुट की समस्याएं इस मौसम में बढ़ जाती हैं। पैरों की परेशानियों को नजरअंदाज करना आगे चलकर अल्सर तक को न्योता दे सकता है। ध्यान रखें कि पैरों पर ही शरीर का पूरा ढांचा खड़ा होता है। लगभग सभी डायबिटीज के मरीजों को डायबिटिक पैरों से संबंधी परेशानियां रहती हैं। 
मानसून में कैसे करें डायबिटीज के मरीज अपने पैरों की देखभाल
- सूती मोजे नमी को आसानी से सोख लेते हैं। इसलिए मानसून में मधुमेह रोगियों को नॉयलॉन के मोजों की जगह कॉटन के मोजे पहनने चाहिए। अपने मोजों को रोजाना बदलिए और गीले मोजों को बदलने में देरी ना करें।
- डायबिटिक फुट के मरीजों के लिए नंगे पांव चलना अच्छा नहीं होता क्योंकि ऐसे में घावों के होने की अधिक संभावना रहती है और कीटाणुओं और सूक्ष्मजीवों को बढ़ने का मौका मिलता है। यहां तक कि जब आप अपने घर में हैं तब भी जूते या चप्पल पहनें।
- गीले पैरों को ठीक प्रकार से साफ करने के बाद उन्हें सुखाने के बाद ही जूते पहनें। ऐसे मौसम में आसानी से सूखने वाले खुले जूते चप्पलें पहनें।
- हफ्ते में एक दिन जूतों को कुछ देर धूप में रखें, जिससे उसमें मौजूद सूक्ष्मजीवी या फफूंद नष्ट हो जायें।
- घाव, कटे-फटे और कॉन्र्स की नियमित रूप से जांच करते रहे। यदि आप की पैरो की त्वचा रूखी है या फिर उसमें खुजली है, तो डॉक्टर से परामर्श करें।
- पैरों की सफाई का भी खास ख्याल रखें। पैरों को गुनगुने पानी और नरम साबुन के साथ डिटाॅल डालकर नियमित रूप से धोएं। उसके बाद साफ तौलिये से अच्छे से पोंछकर ही जूते पहनें। ध्यान रखें कि उंगलियों के बीच भी पानी नही रहना चाहिए।
- जूते को आरामदायक और फिट होना चाहिए जिससे आपके पैरों पर दबाव ना पड़े। आपके लिए टेनिस के जूते अच्छे हैं और इनसे पैरों में होने वाली परेशानी काफी हद तक कम होती है।
- अगर आपकी त्वचा ड्राई है तो हमेशा ऐसी सलाह दी जाती है कि अच्छी क्वालिटी का माॅइश्चराइजिंग लोशन और क्रीम लगायें।
बारिश में घर से निकलते वक्त हमेशा अपने साथ जूतों का एक और जोड़ा रखें। ताकि एक जूता गीला हो जाने पर दूसरा पहन सकें।
- अपने पैरों का ख्याल रखें और अपने डायबेटॉलाजिस्ट से अपनी चिकित्सा से सम्बन्धी बातें करें।
- ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रखें और इसकी नियमित जांच कराते रहें।


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