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ओवरी कैंसर के लिए जिम्मेदार जीन

वैज्ञानिकों ने ओवरी कैंसर वृद्धि को रोकने वाली जीन का पता लगाया है। इससे इस घातक बीमारी की दवाईयों के विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है। ब्रिटेन के कैंसर रिसर्च यू. के. चैरिटी ने ओवरी कैंसर के ट्यूमर के 90 फीसदी मामलों में ओपीसीएमएल नामक जीन को निष्क्रिय पाया। अध्ययन में यह पाया गया कि इस जीन के सक्रिय रहने पर सामान्य कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं में तब्दील नहीं होती हैं लेकिन इस जीन में कुछ खराबी आने पर कैंसर की शुरूआत हो जाती है।
स्काॅटलैंड में एडिनबर्ग स्थित इस चैरिटी के ओंकोलाॅजी यूनिट के डा. हनी गाब्रा का कहना है कि इस जीन की खोज से ओवरी कैंसर को समझने में सहायता मिलेगी और इसके छोटे से टुकड़े से ओवरी कैंसर की उत्पत्ति के कारणों का पता चल सकेगा। डा. गाब्रा और उनके सहयोगियों ने पाया कि यह जीन ओवरी कैंसर के शुरूआती अवस्था में निष्क्रिय रहता है और यह प्रोटीन नहीं बनाता है। लेकिन जब उन्होंने इस जीन को सक्रिय किया तो कैसर कोशिकाएं समाप्त होने लगीं। डा. गाब्रा और उनके सहयोगियों का विश्वास है कि यदि ओपीसीएमएल जीन के प्रभाव के जैसी ही एक दवा का विकास किया जाए तो इससे इस रोग का इलाज संभव हो सकता है।
ओवरी कैंसर महिलाओं का सबसे सामान्य कैंसर है। यह खामोश हत्यारा के नाम से जाना जाता है, क्योंकि अक्सर इसके गंभीर रूप धारण करने से पूर्व इसकी पहचान नहीं हो पाती। कैंसर पर अनुसंधान की अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी के अनुसार हर साल ओवरी कैंसर के एक लाख 90 हजार मामले सामने आते हैं और इसके कारण एक लाख 14 हजार महिलाओं की मृत्यु होती है। इसके लक्षणों में दर्द, जी मिचलाना, वजन में कमी और पेट में सूजन मुख्य हैं। इसके कारण इसे अन्य रोग के लक्षणों से भिन्न करना संभव नहीं होता और जब तक यह पूरे ओवरी में फैल नहीं जाता इसकी पहचान करना मुष्किल होती है। डा. गाब्रा का विश्वास है कि इस शोध के निष्कर्ष से इस बीमारी की जल्द पहचान करना और नयी थेरेपी का विकास करना संभव हो सकेगा। अभी तक ओवरी कैंसर का इलाज सर्जरी और कीमोथेरेपी से किया जाता रहा।


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