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पार्किसंस रोग के इलाज के लिए डीबीएस सर्जरी 

पार्किंसंस क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल डिजनरेटिव डिसऑर्डर है, इसलिए यह तेजी से बढ़ता है और उन तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है जो मस्तिष्क के उस हिस्से में डोपामाइन का उत्पादन करती हैं जो मूवमेंट को नियंत्रित करते हैं। हालांकि यह बहुत दुर्लभ है, लेकिन यह आम तौर पर 60 वर्ष से अधिक उम्र के 100 में से एक व्यक्ति को प्रभावित करता है।
आर्टेमिस हाॅस्पिटल के न्यूरोलॉजी के एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. सौरभ बंसल ने कहा, ''पार्किंसंस रोग के सामान्य लक्षण कंपन (हाथ, बांह, पैर और जबड़े में कंपन), कड़ापन (हाथ और पैरों में कड़ापन), मूवमेंट में कमी, मास्क की तरह चेहरे की अभिव्यक्ति, हाथों को हिलाने-डुलाने में कमी, और संतुलन और समन्वय में कमी और इसी तरह के अन्य लक्षण हैं। कई लोग सोचते हैं कि पार्किंसंस के शुरुआती लक्षण उम्र बढ़ने के सामान्य संकेत हैं और इसी कारण से वे इलाज कराना नहीं चाहते। हालांकि, अगर पार्किंसंस में इलाज जल्दी शुरू नहीं किया जाता है, तो केवल दवाओं से इसका इलाज उतना प्रभावी नहीं होगा।'' 
पार्किंसंस रोग (पीडी) का निदान आम तौर पर लक्षणोें के आधार पर ही किया जाता है, और एमआरआई, मस्तिष्क का सीटी स्कैन और पीईटी स्कैन जैसे अन्य इमेजिंग परीक्षण का उपयोग केवल अन्य बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है, लेकिन पार्किंसंस रोग के निदान के लिए ये विशेष रूप से उपयोगी नहीं हैं।
आर्टेमिस हाॅस्पिटल के न्यूरोसर्जरी और सीएनएस रेडियोसर्जरी के निदेषक और साइबर नाइफ सेंटर के सह- निदेशक डॉ. आदित्य गुप्ता ने कहा, ''डीबीएस सर्जरी एक अत्यधिक सुरक्षित और कम कष्ट वाली सर्जिकल प्रक्रिया है जो पिछले एक दशक में उन्नत पार्किंसंस रोग के लिए एक अत्यधिक प्रभावी चिकित्सा के रूप में स्थापित हो चुकी है। ऐसी प्रक्रियाओं ने हजारों रोगियों के जीवन को बदल दिया है जिससे उन्हें अपनी दवाओं को कम करने में मदद मिली है। हृदय पेसमेकर की तरह ही, डीबीएस सर्जरी में मस्तिष्क में प्रभावित क्षेत्र में एक इलेक्ट्रोड को स्थापित कर दिया जाता है और इसे पेसमेकर जैसे इम्प्लांट (छाती की त्वचा के नीचे) से जोड़ दिया जाता है। डिवाइस को मस्तिष्क के विशिष्ट क्षेत्रों में विद्युत संकेतों को डिलीवर करने के लिए प्रोग्राम किया जाता है, जिससे असामान्य संकेतों को नियंत्रित किया जाता है जो झटके पैदा कर रहे थे। डीबीएस की खासियत यह है स्टिमुलेशन की मदद से मरीज को राहत प्रदान की जाती है।'' 


 


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