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पॉलीसिस्टिक ओवरी रोग से पीड़ित निःसंतान दम्पतियों के लिए एक वरदान है आईवीएफ

27 वर्षीय मीनल (बदला हुआ नाम) की चार साल पहले शादी हुई थी। वह गर्भ धारण करने के लिए कोशिश कर रही थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही थी। जांच में उनमें पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) का पता चला जिसके कारण उनका मासिक अनियमित हो गया था। उन्होंने प्रसिद्ध आईवीएफ क्लिनिकों से सलाह ली और कुछ मासिक चक्र में समय पर शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की और इंट्रायेटेरिन इन्सेमिनेशन (आईयूआई) भी कराया, फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिली। बल्कि आईयूआई के एक चक्र में उनके शरीर में तरल पदार्थ जमा हो गया।
मीनल सारी उम्मीदें खो चुकी थीं। फिर उन्होंने गुड़गांव फर्टिलिटी सेंटर (जीएफसी) में मुख्य आईवीएफ कंसल्टेंट डाॅ. रिचा शर्मा से मुलाकात की। उन्हें आईवीएफ कराने की सलाह दी गयी, जिसमें उनके भ्रूण को ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम (ओएचएसएस) के मद्देनजर फ्रीज करके रखा गया। डॉ. रिचा शर्मा ने कहा, ''पीसीओ रोगियों में, अंडे की संख्या अधिक होती है, लेकिन उनकी गुणवत्ता खराब होती है जिसके कारण गर्भधारण करने में समस्या आती है और गर्भपात की दर अधिक होती है। मीनल के मामले में, हमने कंट्रोल्ड ओवेरियन हाइपर स्टिमुलेशन नामक अभिनव प्रक्रिया का सहारा लिया और उनके सभी भ्रूण को फ्रीज कर लिया।'' पीसीओएस महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है और इसकी सफलता अच्छे भ्रूणविज्ञान कौशल पर निर्भर करती है।
मीनल ने कहा, ''मैंने आईवीएफ कराया और जब यह कारगर रहा और मैं गर्भवती हो गयी तो मैं बहुत रोमांचित हो गयी। दो हफ्ते बाद, हमें बताया गया कि मेरे गर्भ में जुड़वाँ बच्चे हैं।''
पीसीओएस विशेष रूप से उत्तरी भारत में काफी आम है, और यह महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है। 


 


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