Header Ads Widget

We’re here to help you live your healthiest, happiest life.

साइबरनाइफ से कैंसर रहित (नाॅन-मेलिग्नेंट) ट्यूमर का हो सकता है कारगर उपचार 

- डॉ. आदित्य गुप्ता, निदेशक, न्यूरोसर्जरी, एग्रीम इंस्टीच्यूट फाॅर न्यूरोसाइंसेस, आर्टेमिस हाॅस्पिटल
42 वर्षीय राहुल को दाहिने कंधे में एक साल से अधिक समय से दर्द था, लेकिन वह इसे मामूली समस्या सोचकर इसकी अनदेखी कर रहे थे। लेकिन जब इसके लक्षण लगातार बने रहे और उन्हें अपनक रोजमर्रे के कामकाज में दिक्कत होने लगी और जब उन्होंने महसूस किया कि दर्द तेजी से बढ़ रहा है, तो उन्होंने इस पर ध्यान दिया। जब उन्होंने विशेषज्ञ से परामर्श करने का फैसला किया, तो ज्यादातर डॉक्टरों ने सर्जरी कराने की सलाह दी, जबकि कई अन्य डाॅक्टरों ने कहा कि यह कैंसर हो सकता है। डाॅक्टरों की बातों से निराश होने के कारण, उन्होंने कीमोथेरेपी और सर्जरी से बचने के लिए एक और चिकित्सकीय राय लेने का फैसला किया। बेहतर निदान के लिए, रोगी आर्टेमिस हाॅस्पिटल, गुरुग्राम गया। चूंकि इसे सामान्य तौर पर पहचानना मुष्किल था, इसलिए अल्ट्रासाउंड की मदद से दूधिया रंग के ट्यूमर का पता चला जो बढ़ रहा था। 
उचित जांच की रिपोर्टों से पता चला कि रीढ़ की हड्डी के बगल में एक छोटा ट्यूमर था। टीम ने साइबरनाइफ उपचार करने का फैसला किया जो कि नाॅन-इंवैसिव है और इस तरह के ट्यूमर के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। शून्य दुष्प्रभाव होने के साथ, रोगी का पूरी तरह से इलाज किया गया और अस्पताल से उसी दिन छुट्टी दे दी गई। रोगी को उपचार के बाद चेक-अप लिए नियमित रूप से अस्पताल आने की आवश्यकता नहीं पड़ी क्योंकि मरीज बिल्कुल ठीक था और परेशानी मुक्त जीवन जी रहा है।
नाॅन- कैंसरस ट्यूमर क्या है?
नाॅन-कैंसर ट्यूमर या नाॅन- मेलिग्नेंट ट्यूमर ट्यूमर कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि होती हैं जो आस-पास के ऊतकों में बढ़ती नहीं हैं और फैलती नहीं हैं। ऐसे ट्यूमर का इलाज नहीं कराने पर ये गंभीरता का कारण बन सकते हैं, लेकिन इलाज से बेहतर प्रतिक्रिया के साथ आमतौर पर रोगी के ठीक होने की पूरी संभावना होती है। ट्यूमर को हटा देने के बाद, ऐसी कोशिकाओं के पुनः विकास की संभावना लगभग शून्य होती है। ऐसे सभी ट्यूमर से जीवन के लिए खतरनाक नहीं होते हैं, लेकिन समय पर इलाज नहीं होने पर इसे मेलिग्नेंट हो जाने की संभावना बहुत अधिक होती है।
कैंसर रहित ट्यूमर के प्रकार
एडेमोना - यह सबसे आम प्रकार का कैंसर रहित ट्यूमर है जो ग्रंथियों की पतली उपकला परत से उत्पन्न हो सकता है। ऐसे ट्यूमर बनने के लिए सबसे आम स्थान यकृत, पिट्यूटरी ग्रंथियां, थायराइड ग्रंथियां, कोलन या गर्भाशय गुहा में पॉलीप्स हैं।
श्वान्नोमा - ये ऊतक नाॅन- मेलिग्नेंट ट्यूमर होते हैं जो तंत्रिकाओं को कवर करते हैं, जिन्हें नर्व शीथ कहा जाता है। ये ट्यूमर एक प्रकार की कोशिका से विकसित होते हैं जिसे श्वान कोषिका कहा जाता है। सबसे सामान्य प्रकार का श्वान्नोमा वेस्टिबुलर श्वान्नोमा है जो संतुलन के लिए जिम्मेदार तंत्रिका (जिसे वेस्टिबुलर तंत्रिका भी कहा जाता है) को प्रभावित करता है। यह आंतरिक कान में बहरापन का कारण बन सकता है क्योंकि हीयरिंग और बैलेंस नर्व एक साथ चलती है, और जैसे- जैसे ट्यूमर बढ़ता है, यह हीयरिंग नर्व (कोक्लेयर नर्व) को नुकसान पहुंचाता है।
मेलेनोमा - यह त्वचा कैंसर का सबसे खतरनाक रूप है। ये कैंसर ग्रोथ तब विकसित होती है जब त्वचा कोशिकाओं की ठीक नहीं होने वाली डीएनए क्षति (अक्सर धूप या टैनिंग बेड्स से पराबैंगनी विकिरण के कारण) आनुवांशिक दोष पैदा करती है जो त्वचा कोशिकाओं को तेजी से द्विगुणित होनेे और मेलिग्नेंट ट्यूमर बनाने के लिए प्रेरित करती है। ये ट्यूमर एपिडर्मिस की बुनियादी परत में पिगमेंट का उत्पादन करने वाले मेलेनोसाइट्स में उत्पन्न होते हैं। मेलेनोमा अक्सर मस्सा जैसा दिखता है; कुछ मस्सा से विकसित होते हैं। अधिकतर मेलेनोमा काला या भूरा होता है, लेकिन वे त्वचा के रंग, गुलाबी, लाल, बैंगनी, नीले या सफेद भी हो सकते हैं। मेलेनोमा मुख्य रूप से तीव्र और कभी-कभी अल्ट्रा वायलेट एक्सपोजर (अक्सर सनबर्न के कारण) के कारण होता है। यह खासतौर पर उन लोगों में होता है जो आनुवांशिक रूप से रोग के प्रति संवदेनषील होते हैं। हालांकि यह सबसे आम त्वचा कैंसर नहीं है, लेकिन यह सबसे अधिक मौत का कारण बनता है। यदि मेलेनोमा की पहचान की जाये और जल्द इलाज किया जाये, तो इसका इलाज तकरीबन संभव होता है। लेकिन इसका इलाज नहीं कराने पर कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में आगे बढ़ सकता है और फैल सकता है, जहां इलाज करना मुश्किल हो जाता है और यह घातक हो सकता है।
साइबरनाइफ - कैंसर रहित ट्यूमर के लिए सबसे अच्छा विकल्प
साइबरनाइफ रेडियेषन सर्जरी सबसे उन्नत, नाॅन इंवैसिव रेडियेषन थेरेपी उपाय है जिससे अधिक डोज वाले रेडियेषन की सटीक बीम की सहायता से कैंसर जन्य के साथ-साथ कैंसर रहित ट्यूमर का इलाज किया जाता है। यह अब्लेटिव डोज प्रदान करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है और सर्जरी के लिए एक वैध विकल्प साबित होता है। नाॅन- इंवैसिव होने के कारण, इसमें इनीस्थिसिया की जरूरत नहीं पड़ती है और न ही रक्त का नुकसान होता है। यहां तक कि जब पारंपरिक उपचार विफल हो जाते हैं, तब भी साइबरनाइफ पारंपरिक विकिरण को बढ़ावा देकर पोस्ट-ऑपरेटिव रेसिडुअल और आवर्ती मामलों में भी प्रभावी होता है।
साइबरनाइफ रेडिएशन थेरेपी 3 सेंटीमीटर तक के आकार वाले ट्यूमर के लिए सबसे अच्छा काम करती है। यह शुरुआती चरण के प्राथमिक, चिकित्सकीय रूप से अक्षम ट्यूमर वाले मरीजों के लिए बहुत ही शक्तिशाली और सटीक तकनीक है। यह उपचार बिल्कुल सुरक्षित है और शरीर में आवर्ती बीमारी या एक बीमारी वाले मरीजों में एक नया विकल्प भी प्रदान करता है। इसमें कोई दर्द नहीं होता है और कोई जोखिम भी नहीं है। यह डेकेयर उपचार है जिसमें साइवर नाइफ उपचार का सेषन पूरा हो जाने के बाद मरीज़ों को जल्द से जल्द अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है और इसलिए इसमें मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ती है। उपचार के तहत सीधे आपके ट्यूमर पर विकिरण की उच्च खुराक की बीम डालने के लिए एक परिष्कृत इमेज गाइडेंस सिस्टम का उपयोग किया जाता है।
एम 6 - साइबरनाइफ को शरीर में कहीं भी यहां तक की घूमती हुई ट्यूमर में सही और सटीक रेडियेषन डोज देने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें आसपास के ऊतक को कोई क्षति नहीं होती है। इस प्रकार, यह किसी भी प्रकार के कैंसर रहित ट्यूमर को ठीक करने के लिए एक आदर्श उपचार विकल्प है।
कैंसर रहित ट्यूमर का उपचार अक्सर डेकेयर प्रक्रिया के तहत होती है। उपचार में सिर्फ 1 घंटे तक का समय लगता है और रोगी बिना किसी परेशानी के रोजमर्रा का कामकाज करने लगता है। इसमें किसी अन्य पारंपरिक उपचार के बराबर ही खर्च होता है। यह दर्दरहित और नाॅन इंवैसिव है और इसमें रोगी जल्द स्वस्थलाभ करता है। 


Post a Comment

0 Comments