Header Ads Widget

We’re here to help you live your healthiest, happiest life.

स्क्रीन से अधिक लगाव मोटापे को देता है दावत

टीवी देखना, कंप्यूटर पर काम करना, या वीडियो गेम खेलना आदि के लिए 'स्क्रीन टाइम' शब्द का उपयोग किया जाता है। ''स्क्रीन टाइम'' निष्क्रिय गतिविधि है, जिसे करते समय आप शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहते हैं। स्क्रीन टाइम के दौरान बहुत कम ऊर्जा की खपत होती है। 
मेदांता हाॅस्पिटल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के उपाध्यक्ष डॉ. रजनीश कपूर की ओर से किए गए एक ताजा अध्ययन में उन्होंने पाया कि मोटे बच्चों में से 84 प्रतिशत बच्चों ने स्क्रीन के सामने रोजाना 5 घंटे या उससे अधिक समय बिताए।
इस अध्ययन का उद्देश्य 25- 40 के बीच बीएमआई वाले बच्चों की जीवन शैली के बारे में पता लगाना था। 25-30 के बीएमआई को चिकित्सकीय रूप से अधिक वजन माना जाता है, और 30 से अधिक का बीएमआई को मोटापा माना जाता है।
यह अध्ययन 490 बच्चों पर किया गया जिन्होंने बहुविकल्पीय प्रश्नावली के माध्यम से जवाब दिया। कुल स्क्रीन टाइम की गणना अलग-अलग स्क्रीन टाइम को जोड़कर करके की गई। यह अध्ययन गुरुग्राम और दिल्ली के बच्चों पर किया गया। बीएमआई सूचकांक के आधार पर 46 प्रतिशत बच्चे मोटे और 44 प्रतिशत बच्चे अधिक वजन के पाए गए। लगभग 50 बच्चों को इस अध्ययन से बाहर रखा गया क्योंकि उनके वजन बढ़ने का संबंध अन्य चिकित्सा कारणों से पाया गया।
उन्होंने कहा कि ''मोटे श्रेणी के समूह में, 84 प्रतिशत बच्चों में रोजाना 5-6 घंटे स्क्रीन टाइम, 11 प्रतिशत बच्चों में 3 घंटे से कम स्क्रीन टाइम और 5 प्रतिशत बच्चों में 3-4 घंटे स्क्रीन टाइम दर्ज किया गया।''
उन्होंने कहा, ''अधिक वजन वाले समूह में, दैनिक स्क्रीन टाइम 1-4 घंटे प्रति दिन के बीच पाया गया, लेकिन अधिक बीएमआई और अधिक स्क्रीन टाइम के बीच सकारात्मक संबंध पाये गये।''
डॉ. कपूर ने कहा, ''अध्ययन से पता चला कि जो बच्चे टेलीविजन और फोन स्क्रीन के सामने अधिक समय बिताते हैं, उनके मोटे होने का खतरा बढ़ जाता है।''
डाॅ. कपूर के अनुसार स्क्रीन टाइम आपके बच्चे के मोटापे के जोखिम को बढ़ाता है क्योंकि:
— स्क्रीन के सामने बैठने और उसे देखने के समय व्यक्ति शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होता है।
— टीवी विज्ञापन और स्क्रीन पर आने वाले अन्य विज्ञापन अस्वास्थ्यकर भोजन के सेवन को बढ़ावा दे सकते हैं। अधिकांश समय, विज्ञापनों में दिखाये जाने वाले खाद्य पदार्थ बच्चों को लक्षित करके तैयार किये जाते हैं और उनमें चीनी, नमक या वसा अधिक होते हैं।
— बच्चे टीवी देखते समय अधिक खाते हैं, खासकर अगर वे खाद्य पदार्थों के विज्ञापन देखते हैं।''
डॉ. रजनीश कपूर ने कहा, “कंप्यूटर बच्चों को उनके स्कूल के काम में मदद कर सकता है। लेकिन इंटरनेट पर सर्फिंग, फेसबुक पर बहुत अधिक समय बिताना या यूट्युब पर वीडियो देखना अस्वास्थ्यकर स्क्रीन टाइम माना जाता है।”
उन्होंने कहा, ''बचपन का मोटापा टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग जैसे स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है जो आम तौर पर केवल वयस्कों में देखा जाता है। बाल मोटापे का असर न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर होता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी होता है। 
डॉ. कपूर ने कहा, ''बच्चों को डिप्रेशन, कम आत्मसम्मान और शरीर की छवि को लेकर नकारात्मक सोच जैसे सामाजिक अलगाव और मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना करने की संभावना होती है।''
डॉ. रजनीश कपूर ने कहा कि “दिशानिर्देश के अनुसार 2 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम 1 से 2 घंटे है।
स्क्रीन टाइम कम करने के लिए डॉ. कपूर ने सलाह दी:
— अपने बच्चे के बेडरूम से टीवी या कंप्यूटर को हटा दें।
— भोजन या होमवर्क के दौरान टीवी देखने की अनुमति न दें।
— अपने बच्चे को टीवी देखने या कंप्यूटर का उपयोग करते समय खाने न दें।
— टेलीविजन को चलता हुआ नहीं छोड़ें। अगर आप चाहते हैं कि वातावरण में कोई संगीत बजता रहे तो रेडियो बजाएं। 
— तय करें कि किस समय कौन से प्रोग्राम देखना है। जब वे प्रोग्राम खत्म हो जाएं तो टीवी बंद कर दें।
— फैमिली बोर्ड गेम, पजल्स या टहलने के लिए जाने जैसी अन्य गतिविधियों का सुझाव दें।
— स्क्रीन के सामने कितना समय बिताया जाता है, इसका रिकॉर्ड रखें। उतना ही समय सक्रिय रहने के लिए व्यतीत करने की कोशिश करें।
— माता-पिता के रूप में एक अच्छे रोल मॉडल बनें। अपना स्क्रीन टाइम कम कर 2 घंटे प्रतिदिन करें।
— अगर टीवी आफ रखना मुश्किल है, तो उसके स्लीप फंक्शन के उपयोग करने का प्रयास करें ताकि यह स्वचालित रूप से बंद हो जाए।
— वैसी चीजों की तलाश करें जिसमें आपको शारीरिक रूप से सक्रिय रहना पड़े और कैलोरी की खपत हो।


 


Post a Comment

0 Comments