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ठंड बढ़ने से बढ़ रहा है घुटने का दर्द

तापमान में गिरावट आने के साथ सर्दी ने दस्तक दे दी है और ऐसे में आप सुखद धूप भरे दिन में बैठने का आनंद ले सकते हैं। लेकिन सर्दियों का मौसम घुटने के दर्द से पीड़ित लोगों के लिए कष्टकारी भी साबित हो सकता है क्योंकि सर्दियों में घुटने का दर्द बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, घुटने के दर्द को नजरअंदाज करने से आपका स्वास्थ्य और खराब हो सकता है। कपूर बोन एंड चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, जालंधर के ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. जश्नीव कपूर कहते हैं, ''चूंकि तापमान गिरने से आर्थराइटिस के प्रकोप में स्वभाविक रूप से इजाफा होता है क्योंकि अधिक सर्दी का मौसम में सामान्य दिनों की तुलना में जोड़ अधिक सख्त बन जाते हैं और इसके कारण घुटनों में तेज दर्द होता है। तापमान में अधिक परिवर्तन के कारण प्रभावित जोड़ों के आसपास सूजन हो सकती हैए जिससे आस—पास के नसों में अधिक इरिटेशन होने लगती है, जिससे दर्द और जकड़न और बढ़ जाती है।''
कभी—कभी, वायुमंडलीय दबाव के कारण भी घुटने का दर्द बढ़ जाता है। दबाव में गिरावट आने से शरीर के ऊतकों का फैलाव होता हैए जिससे पहले से ही प्रभावित हिस्सों में और अधिक सूजन हो जाती है और दर्द बढ़ जाता है। डॉ. जश्नीव कपूर कहते हैं, ''आर्थराइटिस के रोगी कैसा महसूस कर रहे हैं या उनके जोड़ों में कितनी परेशानी हो रही हैए इनके आधार पर वे अक्सर मौसम की भविष्यवाणी भी कर सकते हैं। सर्दियों के दौरान इस कारण से भी घुटने का दर्द और बढ़ जाता है क्योंकि रोगी खुद को घर में ही सीमित रखते हैं और उनकी जीवन शैली निष्क्रिय हो जाती है।''
आर्थराइटिस की चिकित्सा के तौर पर एक से अधिक प्रकार के उपचार का सहारा लिया जाता है। समय के साथ—साथ उपचार में अंतर हो सकता है और आर्थराइटिस के प्रकार के आधार पर भी इलाज अलग—अलग हो सकता है। यदि सर्जरी के बिना इलाज के बाद भी आपके घुटने का दर्द बना रहता है, तो आपको पूरी तरह से राहत के लिए सर्जरी कराने की आवश्यकता हो सकती है।
सर्जरी को नई तकनीको के साथ करने से सर्जरी ज्यादा सटीक होती है और मरीज जल्दी स्वास्थ्य लाभ करता है। डॉ. जश्नीव कपूर ने बताया, ''नी रिप्लेसमेंट सर्जरी विशेष रूप से कंप्यूटर नेविगेशन प्रौद्योगिकी के ईजाद के बाद सबसे सफल और सुरक्षित प्रक्रिया साबित हुई है। घुटने की  सफल सर्जरी में सबसे महत्वपूर्ण सही अलाइनमेंट का होना है।'' कंप्यूटर की मदद से डॉक्टर घुटने को इस तरह से अलाइन करते हैं जिससे गलती होने की कोई संभावना नहीं हो। इसके अलावा लिगामेंट और मांसपेशियां की भी प्राकृतिक स्थिति बरकरार रहती है।
भारत सरकार द्वारा कीमतों को तय करने के अलावाए ऑक्सीडाइज्ड ज़िकोनियम (एक काला और सफेद इम्प्लांट) जैसे प्रीमियम नी इम्प्लांट भी काफी सस्ता हो गया है, जिन्हें 30 वर्षों के लिए यूएसएफडीए ने अनुमोदित किया है।
डॉ. जश्नीव कपूर कहते हैं, ''आक्सिनियम इम्प्लांट में शून्य घर्षण होता है और ये अत्यधिक घर्षण प्रतिरोधी होते हैं जिसके कारण ये मरीजों के लिए पसंदीदा विकल्प हो गये हैं। अन्य सामग्रियों से बने ये इम्प्लांट अच्छा काम करते हैं लेकिन इस संबंध में पर्याप्त क्लिनिकल डेटा की कमी है। 
इस तरह के इम्प्लांट का जीवन आमतौर पर 10 से 15 वर्ष होता है और वैसे कई मरीजों के लिए जो धातुओं के प्रति संवेदनशील होते हैंए यह एक दुःस्वप्न हो सकता है। क्सिनियम इम्प्ंलांट वास्तव में विशेष रूप से युवा लोगों के लिए वरदान हैं क्योंकि विशेषज्ञों के अनुसार अब युवा लोगों में टोटल नी रिप्लेसमेंट की दर में काफी वृद्धि होने का अनुमान हैंए लेकिन इन इम्लांटों को प्रत्यारोपित करने के बाद इनकी दोबारा जरूररत पड़ने की आशंका समाप्त हो जाती है। अक्सर देखा गया है कि रिवीजन सर्जरी अक्सर अधिक जटिल और कम फायदेमंद होती है।


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