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व्यायाम की तुलना में अधिक कारगर है शुगर रहित आहार

केवल शारीरिक श्रम एवं व्यायाम के जरिये ही शरीर के वजन को कम नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों से लोगों द्वारा व्यायाम को अपनाये जाने के वाबजूद मोटापे के मामलों में कई गुना बढ़ोतरी हुयी है। शक्कर एवं कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार इसके लिये मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। लोग जिस तरह की कैलोरी ग्रहण करते हैं, उसके स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभाव मोटापे से कहीं अधिक होते हैं। कैलोरी नियंत्रण के जरिये सेहतमंद वजन को बरकरार रखने का संदेश इसलिये अनुपयोगी साबित होता रहा है क्योंकि लोगों के मन में यह गलत धारणा बैठी हुयी है कि व्यायाम नहीं करने के कारण मोटापा होता है। 
ब्रिटिश जर्नल आफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार शारीरिक श्रम की तुलना में आहार का बहुत अधिक महत्व है और अगर लोग अधिक शक्कर एवं कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार का सेवन करते रहें तो व्यायाम करने पर भी वजन घटाने अथवा स्वस्थ बने रहने में मदद नहीं मिलती है। इस अध्ययन ने इस लोकप्रिय धारणा को खारिज कर दिया है कि केवल व्यायाम से ही वजन घटाया जा सकता है। 
नियमित रूप से व्यायाम करने तथा सामान्य वजन के होने के बावजूद स्वस्थ दिखने वाला व्यक्ति गलत आहार- चीनी तथा कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार का सेवन करने के कारण बहुत ही अस्वस्थ हो सकता है। जिन लोगों का बाॅडी मास इंडेक्स (बीएमआई) सामान्य है उनमें से 40 प्रतिशत लोगों को उच्च रक्त चाप, डिसलिपिडेमिया, फैटी लीवर रोग और हृदय रोग जैसी मोटापे से जुड़ी हुयी समस्यायें हो सकती है। शारीरिक निष्क्रियता की तुलना में खराब आहार के साथ-साथ धूम्रपान करने तथा शराब पीने पर अधिक बीमारियां होती है। 
यह एक मिथ है कि अगर व्यक्ति व्यायाम करता रहे तो वह जंक डायट भी लेता रह सकता है। दरअसल कैलोरी का क्या स्रोत है यह भी महत्वपूर्ण है। उदाहरण के तौर पर शुगर से मिलने वाली कैलोरी वसा के जमाव तथा भूख को बढ़ावा देती है जबकि वसा से मिलने वाली कैलोरी ''पेट भरा होने'' तथा संतुष्टी का अहसास कराती है। वसा या प्रोटीन से मिलने वाली कैलोरी की तुलना में चीनी से मिलने वाली हर 150 कैलोरी टाइप 2 मधुमेह के खतरे को 11 गुना बढ़ाती है। इसलिये आज के समय में आसानी से उपलब्ध होने वाले शुगर युक्त ड्रिंक्स के बारे में पुनर्विचार करने की जरूरत है। 
परामर्श एवं शिक्षा की तुलना में खान-पान की आदतों में बदलाव लाना जन स्वास्थ्य के लिये अधिक प्रभावकारी होगा। अपने आहार में शुगर की मात्रा घटाने का स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक साकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बाजार में कृत्रिम मिठास पैदा करने वाले अनेक बेहतरीन विकल्प उपलब्ध हैं जो हमारे आहार में मीठापन पैदा करते हैं लेकिन ये रोज-मर्रे के आहार में व्यापक तौर पर इस्तेमाल होने वाली क्रिस्टलाइज्ड चीनी के कारण उत्पन्न होने वाले दुष्प्रभावों से मुक्त हैं। 
लोग अपने वजन पर नियंत्रण रखने के लिये सबसे महत्वपूर्ण काम यह कर सकते हैं कि वे कैलोरी (खास तौर पर शुगर से मिलने वाली कैलोरी) तथा कार्बोहाइड्रेट के सेवन पर नियंत्रण करें। बेहतर स्वास्थ्य के लिये सभी प्राकृतिक खाद्य पदार्थ बेहतर हैं। इस मिथ को तोड़ा जाना चाहिये कि स्थूल जीवन शैली एवं मोटापे में सीधा संबंध है। 
अंत में, खराब आहार को बढावा नहीं दिया जाना चाहिये। लोग अस्वास्थ्यकर आहार का सेवन करके स्वस्थ बने नहीं रह सकते हैं, चाहे वे कितना ही व्यायाम क्यों न करें। इसलिये आप अपने शरीर से प्यार करते हैं तो शुगर एवं कार्बोहाइड्रेड में कटौती करें।


 


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