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युवावस्था में दिल के दौरे से मौत होने वाले परिवारों में कम उम्र में ही हृदय रोग का अधिक खतरा

कम उम्र में दिल के दौरे के कारण मौत होने वाले परिवारों में कम उम्र में ही हृदय रोग होने का खतरा अधिक होता है। यह निष्कर्ष 40 लाख लोगों पर किये गये व्यापक अध्ययन से निकला है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में हृदय रोग के वंशानुगत होने की पुष्टि हुई है।    
हृदय रोग से मुक्त लोगों की तुलना में जिन लोगों के बिल्कुल करीबी पिछली पीढ़ी के रिश्तेदारों की हृदय रोग के कारण कम उम्र में मौत हो गयी हो उनमें कम उम्र में ही हृदय रोग होने का खतरा 78 प्रतिषत अधिक पाया गया है। पिछली एक या दो पीढ़ी के रिश्तेदारों में कम उम्र में एक मौत की तुलना में दो या अधिक मौत हृदय रोग के खतरे को दोगुना या इससे भी अधिक बढ़ा देता है। 
फोर्टिस अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग विषेशज्ञ डा. प्रमोद कुमार कहते हैं कि इस अध्ययन से यह साबित होता है कि हृदय रोग के विकास में पारिवारिक इतिहास यहां तक कि उच्च रक्तचाप, उच्च कॉलेस्ट्रॉल और मधुमेह जैसे दिल को नुकसान पहुंचाने वाले कारणों के गैर मौजूद होने पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए लोगों को अपने परिवार में किसी भी हृदय रोग की घटना के बारे में जानकारी रखना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है और चिकित्सकों को भी हर मरीज से इस संबंध में पूछताछ करनी चाहिए।    
पिछली पीढ़ी के रिश्तेदार में समयपूर्व मौत इस्कीमिक हृदय रोग के खतरे को 2 से 5 गुणा बढ़ाता है और इसका संबंध परिवार के सदस्यों में सभी प्रकार के एरिथमियाज से है। वैसे परिवारों में जिनके दो पीढ़ी पहले के रिष्तेदार की समयपूर्व मौत हो गयी हो उनमें आईएचडी और वेंट्रिकुलर एरिथमिया का खतरा दो गुणा कम हो सकता है।   
दिल्ली के शालीमार बाग स्थित मैक्स हेल्थ केयर के हृदय रोग विषेशज्ञ डा. नित्यानंद त्रिपाठी कहते हैं कि दिल का दौरा धमनियों में रुकावट के अलावा दिल की असामान्य ताल और हृदय की मांसपेशी की समस्याओं जैसी खराब स्वास्थ्य आदतों के कारण भी हो सकती है।  


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