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डीएनए सिक्वेंसिंग की अधिक तेज और सस्ती विधि का विकास

बायोमेडिकल इंजीनियरों ने भविष्य के जीनोम सिक्वेंसिंग को अधिक तेज और सस्ता बनाने की एक ऐसी विधि का विकास किया है जिसमें जरूरी डीएनए की मात्रा को आश्चर्यजनक रूप से कम कर दिया जाता है। इस तरह यह डीएनए प्रवर्धन का कम खर्चीला, समय की बचत करने वाला और त्रुटिविहिन प्रक्रिया है।
बोस्टन यूनिवर्सिटी  के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर अमित मेलर और उनके सहयोगियों ने ऐसी सिक्वेंसिंग के लिए जरूरी डीएनए अणुओं की संख्या को 10 हजार गुना कम कर दिया और उन्होंने इस संख्या को एक बिलियन सैंपल अणुओं से एक लाख कर दिया।
इस जीनोम सिक्वेंसिंग या जीनोम प्रोफाइलिंग के लिए नैनोपोर्स का इस्तेमाल किया गया। डीएनए अणुओं की पहचान के लिए इन्हें सिलिकन नैनोपोर्स से गुजारा गया। इस तकनीक के तहत् चार नैनोमीटर चौड़े छिद्रों के द्वारा डीएनए की लंबी लड़ी को फीड देने के लिए विद्युतीय क्षेत्रों का इस्तेमाल किया जाता है। इस विधि में अकेला डीनए अणु की पहचान के लिए संवेदनशील विद्युतीय तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है और उन्हें नैनोपोर्स के द्वारा गुजारा जाता है।  
मेलर कहते हैं, ''इस अध्ययन से पता चलता है कि हमलोग पहले की तुलना में अब डीएनए सैंपल की अत्यधिक छोटी मात्रा की पहचान कर सकते हैं।''
मेलर कहते हैं, ''जब लोग नैनोपोर्स का इस्तेमाल कर जीनोम सिक्वेंसिंग या जीनोम प्रोफाइलिंग को कार्यान्वित करते हैं तो वे इन मापन में संख्या को कम करने के लिए हमारे नैनोपोर कैप्चर के तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं।''
मौजूदा समय में करोड़ों की संख्या में आण्विक प्रतिलिपि बनाने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग के तहत् डीएन प्रवर्धन इस्तेमाल में लाया जाता है ताकि इसके विश्लेषण के लिए एक काफी बड़ा सैंपल तैयार किया जा सके। इससे डीएनए प्रवर्धन में समय और खर्च तो अधिक लगता ही है, कुछ अणुओं, जैसे फोटोकॉपी का फोटोकॉपी परिपूर्ण नहीं आ पाता है। मेलर और उनके सहयोगियों द्वारा विकसित इस तकनीक के तहत् निगेटिव चार्ज वाले डीएनए की लंबी लड़ियों को आकर्षित करने के लिए नैनोपोर्स के मुंह के चारों ओर विद्युतीय क्षेत्र पैदा किया जाता है और उन्हें नैनोपोर के द्वारा सरकाया जाता है जहां डीएनए सिक्वेंस की पहचान हो सकती है। डीएनए लड़ी जितनी लंबी होगी पोर का मुंह उतना जल्दी खुलेगा।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार एक बार में ही डीएनए की लंबी लड़ी के विश्लेषण से भविष्य के जीनोम सिक्वेंसिंग की गति में आश्चर्यजनक रूप से बढ़ोत्तरी होगी।  


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