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जब शुगर का स्तर अनियंत्रित हो जाए 

दवा और इंसुलिन के डोज के बाद भी अगर शुगर का स्तर नियंत्रित न रहे, तो ऐसे मरीज को इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए तुरंत इसे नियंत्रण में लाने के लिए इलाज कराना चाहिए। कई बार शुगर के अनियंत्रित स्तर पर होने के बाद भी इंसान को लक्षण नहीं दिखता तो कई बार शुगर के अनियंत्रित होने के बाद भी उन पर असर नहीं होता है। लेकिन कई बार अचानक इसका असर होता है और यह असर बड़े स्तर पर होता है जो शरीर के कई अंगों को क्षतिग्रस्त भी कर देता है। ऐसा होने पर इसे हल्के में लेने के बजाए इसका इलाज कराना चाहिए। 
शुगर का स्तर बढ़ने के कारण
लगातार काम करने, दवाई या इंसुलिन का डोज पर्याप्त नहीं होने, आहार पर नियंत्रण नहीं होने या व्यायाम नहीं करने के कारण शुगर का स्तर बढ़ जाता है। शरीर में संक्रमण की वजह से भी शुगर का स्तर बढ़ जाता है चाहे संक्रमण छाती में हो, गले में हो, दांत में हो या पेशाब में हो। तनाव के कारण भी शुगर का स्तर अचानक 150 से 200 तक बढ़ जाता है।
अनियंत्रित शुगर के परिणाम
आंखों के रेटिना पर असर हो सकता है। किडनी पर असर होता है और यूरिन में प्रोटीन आने लगता है।  नसों पर भी इसका असर हो सकता है। इसके अलावा हृदय पर भी असर हो सकता है। शुगर का स्तर जितना ज्यादा होता है, संक्रमण के बढने की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है।
इलाज
सबसे पहले शुगर के अनियंत्रित स्तर को नियंत्रित करना चाहिए और 200 से नीचे रखना चाहिए। इसके लिए दवा के साथ-साथ सही उचित आहार और व्यायाम जरूरी है। हालांकि कई बार शुगर का स्तर 300 से ऊपर होने पर भी दिक्कत नहीं होती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसे मरीज ठीक हैं। उन्हें नियमित रूप से चेकअप कराना चाहिए और पूरा इलाज कराना चाहिए। अगर एक-दो दिन में शुगर का स्तर नियंत्रण में नहीं आता है, तो शरीर के कई अंग लंबे समय के लिए क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।


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