जब रक्त में ग्लूकोज की मात्रा 50 मिलीग्राम प्रतिशत से कम हो जाए तो इसे हाइपोग्लाइसिमिया कहते हैं। यह मधुमेह से ज्यादा आपात एवं जानलेवा स्थिति होती है।
कारण
— हाइपोग्लाइसिमिया के कई कारण होते हैं, लेकिन मधुमेह के रोगियों में इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं- इंसुलिन या दवाई लेने के पश्चात भोजन न कर पाना।
— इंसुलिन या दवाई की मात्रा आवश्यकता से अधिक ले लेना या भूलवश दो बार ले लेना।
— आवश्यकता से अधिक शारीरिक श्रम या कसरत करना, बच्चों में अधिक खेलकूद करना।
— शराब का अत्यधिक सेवन करना और समय पर भोजन नहीं कर पाना।
— इंसुलिन को त्वचा के नीचे (सबक्यूटेनियस) लगाने के बजाय नस में (इन्ट्रावीनस) लगा देना।
— रीनल ग्लायकोसूरिया का इलाज करने पर।
लक्षण
इसके लक्षण हैं- पसीना आना, चक्कर आना, हाथ-पैरों में कंपन तथा मिर्गी जैसे दौरे आने लगना, बेहोशी, पक्षाघात जैसी स्थिति का उत्पन्न हो जाना। कई बार मरीज कोमा की स्थिति में भी पहुँच जाता है।
क्या करें?
यदि मरीज होश में हो तो उसे ग्लूकोज पिलाएं। बेहोश होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। किसी से ग्लूकोज के इंजेक्शन इन्ट्रावीनस लगवाएं। बेहोश मरीज को मुंह से कुछ भी न दें।
इंसुलिन से होने वाला हाइपोग्लाइसिमिया अलग प्रभाव वाला होता है, परंतु दवाइयों से होने वाले हाइपोग्लाइसिमिया का प्रभाव लंबे समय तक रहता है तथा बार-बार भी हो सकता है। कई बार इसका प्रभाव सात दिन तक भी बना रह सकता है। अतः संभव हो तो मरीज को अस्पताल में भर्ती करें।
बचाव
- अचानक अधिक व्यायाम करना
- इंसुलिन मुंह से नहीं लें।
- घाव को खुला नहीं छोड़ें।
- दवाई की दुकान से बगैर सलाह के मधुमेह की गोली खरीदकर नहीं खाएं।
- भूखे नहीं रहें।
- पानी की सतह के नीचे तैराकी और फैशन के लिए तंग एवं ऊँची एड़ी वाले जूते कदापि न पहनें। खासतौर पर वैसे जूते जो काटते हैं।
- बेहोश होने पर मुंह से कभी भी कुछ न दें। यह बात हर तरह के रोगी के लिए सही है।
- दुर्घटना के दौरान मधुमेह की बात छिपाएं नहीं।
- चीकू, सीताफल, शकर, गुड़, शहद आदि का कम प्रयोग करें। फलों के रस के बजाय फलों का ही उपयोग करें (यदि रस का उपयोग करें भी तो उसमें शक्कर नहीं डालें)। मिठाई, तंबाकू, शराब, सिगरेट, पान मसाले से भी दूर रहें।
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