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आरंभिक अवस्था में ही प्रोस्टेट कैंसर का इलाज संभव है

नेशनल कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार प्रोस्टेट कैंसर तेजी से बढ़ने वाले कैंसर में शुमार है। दुनिया भर में प्रोस्टेट कैंसर दूसरा सबसे सामान्य कैंसर है और विश्व भर में कैंसर से होने वाली मौतों का यह छठा प्रमुख कारण है और यह तथ्य भारत के लिये भी लागू है। 
नयी दिल्ली के मैक्स हेल्थकेयर के इंस्टीच्यूट आफ यूरोलाॅजिक साइंसेस के निदेशक डा. पी बी सिंह ने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर का प्रकोप बढ़ रहा है और दुनिया भर में विकास तथा बुजुर्गों की संख्या बढ़ने के कारण 2030 तक इसके 17 लाख नये मामले समाने आयेंगे। दुनिया भर में सितम्बर का महीना प्रोस्टेट कैंसर जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। 
डा. पी बी सिंह ने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर के 10 में से छह मामले 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में पाये जाते हैं। प्रोस्टेट कैंसर की जांच बढ़े हुये प्रोस्टेट स्फेफिक एंटीजन (पीएसए) के स्तर को प्रदर्षित करने वाली रक्त जांच के जरिये होता है। पीएसए ऐसा प्रोटीन है जो प्रोस्टेट ग्रंथि एवं डीआरई (डिजिटल रेक्टल परीक्षण) से बनाता है। जिन पुरूषों में पीएसए स्तर 4 से 10 के बीच होता है उन्हें प्रोस्टेट कैंसर होने की आशंका 4 में 1 होती है। अगर पीएसए का स्तर 10 से अधिक होता है तो प्रोस्टेट कैंसर होने की आशंका 50 प्रतिशत से अधिक होती है।
हालांकि आज तक प्रोस्टेट कैंसर के सही कारण का पता नहीं चला है लेकिन एसे कई उपाय हैं जिनकी मदद से प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। इन उपायों में विभिन्न सब्जियों एवं फलों का सेवन करके, शारीरिक रूप से सक्रिय रहकर तथा अपने वजन पर नियंत्रण रखकर प्रोस्टेट कैंसर के खतरे घटाये जा सकते हैं।
नयी दिल्ली के अपोलो स्पेक्टा हास्पीटल के वरिष्ठ यूरोलाॅजिस्ट डा. विनीत मल्होत्रा बताते हैं कि हालांकि प्रोस्टेट कैंसर के सही कारणों का अभी तक पता नहीं चला है, कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों को अधिक अग्रिम अवस्था वाले प्रोस्टेट कैंसर होने तथा इससे मौत होने का खतरा अधिक होता है। वह कहते हैं, ''युवा पुरूषों में हालांकि इसके मामले बहुत दुर्लभ हैं लेकिन 50 साल की उम्र होने पर प्रोस्टेट कैंसर होने की आशंका तेजी से बढ़ती है। यह देखा गया है कि 10 से छह मामले 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होती है।''
विशेषज्ञों का मानना है कि पुरूषों में मोटापे में तेजी से बढ़ने तथा डायग्नोस्टिक तकनीकों की उपलब्धता बढ़ने के कारण आज अधिक संख्या में प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों का पता चल रहा है। 
प्रोस्टेट कैंसर के आरंभिक अवस्था में आम तौर पर लक्षण नहीं होते हैं लेकिन जांच से इसका पता चला जाता है। हालांकि प्रोस्टेट कैंसर कोई नुकसान पहुंचाये बगैर बर्षों तक हमारे शरीर में निष्क्रिय पड़ा रह सकता है। इस रोग के अधिक बढ़ने की अवस्था में इससे ग्रस्त मरीजों का मूत्र प्रवाह बाधित होता है या मूत्र प्रवाह कमजोर होता है, मूत्र करने में असमर्थता होती है या पेशाब शुरू करने या रोकने में दिक्कत होती है, बार-बार मूत्र त्याग के लिये जाना पड़ता है और पेशाब करने में जलन या दर्द होता है। 
पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर रोकने के लिए टिप्स 
1. रेड मीट और डेयरी उत्पादों से लेने वाले वसा की मात्रा कम कर दें। 
2. अपने दैनिक आहार में अधिक एंटीआक्सीडेंट वाले फल और सब्जियों विशेषकर टमाटर की मात्रा बढ़ा दें। 
3. 30 या उससे अधिक बाॅडी मास इंडेक्स (बीएमआई) होने से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
4. 50 की उम्र होने पर डीआरई, अल्ट्रासाउंड, यूरोफ्लोमेट्री और पीएसए टेस्ट के माध्यम से अपने प्रोस्टेट की जांच कराएं।  


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