नीदरलैंड में यूनिवर्सिटी आफ ग्रोनिंगन के वैज्ञानिकों ने डच अस्पताल में 1975 से 1978 के बीच जन्में नौ वर्ष के 570 वैसे बच्चों के स्कूल के रिजल्ट का अध्ययन किया जिनकी माता गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करती थी। उन्होंने इस अध्ययन में पाया कि बोतलपान करने वाले बच्चों का स्कूल टेस्ट में प्रदर्शन खराब था।
इपिडेमियोलाॅजी एंड कम्यूनिटी हेल्थ की जर्नल की रिपोर्ट में डा. लौरा बटस्ट्रा ने कहा है कि इस अध्ययन के निष्कर्ष से पता चलता है कि गर्भावस्था में माता के धूम्रपान करने और बच्चे के स्तनपान नहीं करने से बच्चे के ज्ञान का दायरा संकुचित हो जाता है। बटस्ट्रा और उनकी सहयोगियों के अनुसार इसका कारण मनोवैज्ञानिक या दूसरे कारक हो सकते हैं लेकिन ऐसा माना जाता है कि स्तन दूध में पाये जाने वाले अवयव बच्चे के मस्तिष्क के विकास में सहायता करते हैं और माता के धूम्रपान के नकारात्मक प्रभाव को कम करते हैं। बटस्ट्रा का कहना है कि इस अध्ययन के निष्कर्ष को व्यवहार में लाना जरूरी है खासकर तम्बाकू का सेवन करने वाली माताओं को इसका सेवन बंद कर देना चाहिए या कम कर देना चाहिए और अपने बच्चे को स्तनपान अवश्य कराना चाहिए।
विभिन्न चिकित्सकीय अध्ययनों से भी पता चला है कि स्तनपान से बच्चे को आश्चर्यजनक फायदा होता है। यह बच्चों में कान के संक्रमण, एलर्जी, उल्टी और डायरिया के खतरे को कम करता है। नौरवेन के वैज्ञानिकों ने स्तनपान और बच्चों के मानसिक विकास के बीच सकारात्मक संबंध पाया है। बच्चा जितने लंबे समय तक स्तनपान करता है उसे उतना ही ज्यादा फायदा होता है। चिकित्सकों का सुझाव है कि किसी भी महिला को गर्भ धारण करने से पहले अपनी उम्र, शिक्षा, बुद्धि और धूम्रपान आदि को ध्यान में रखना चाहिए।
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