गलत जीवनशैली के कारण आज अधिक से अधिक युवा विभिन्न प्रकार के हृदय रोगों की चपेट में आ रहे हैं। हालांकि गंभीर हार्ट फेल्योर को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन उन्नत उपचार तकनीकों की मदद से हृदय रोग के लक्षणों को कम किया जा सकता है ताकि हृदय प्रभावी ढंग से कार्य करे। कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में जो आधुनिक तकनीकें विकसित हुई हैं वे हृदय की रक्त धमनियों में रुकावट से ग्रस्त और यहां तक कि अंतिम चरण में पहुंच चुके हृदय रोगियों के इलाज के संबंध में निर्णय लेने और इलाज के बेहतर परिणाम देने में काफी मददगार होती हैं।
मैक्स सुपर स्पेशिऐलिटी हाॅस्पिटल, शालीमार बाग के कार्डियोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी ने कहा, “अवरुद्ध धमनियों को खोलने के लिए एंजियोप्लास्टी की जाती है और स्टेंट लगाया जाता है, लेकिन वैसे ज्यादातर मामलों में केवल पीटीसीए प्रभावी उपचार साबित नहीं हो पाता है जिनमें धमनियों में गंभीर रूप से कैल्सियम जमा हो जाता है। इन कैल्सीफाइड हिस्सों का रोटाबलेशन की मदद से सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है। रोटाबलेशन में, कोरोनरी धमनियों से कैल्शियम निकालने के लिए डायमंड बर का उपयोग किया जाता है और इसके बाद स्टेंट लगाया जाता है। इन नई तकनीकों की मदद से कठिन मामलों में भी बीमारी का पता बीमारी के लक्षण के प्रकट होने से पहले ही चल सकता है जबकि परम्परागत तरीकों से इसका पता तब चलता है जब बीमारी बढ़ चुकी होती है।
फ्रैक्शनल फंक्शनल रिजर्व (एफएफआर), इंट्रावस्कुलर अल्ट्रासाउंड (आईवीवीएस) और ऑप्टिकल कोहरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी) तकनीक का उपयोग करने से न केवल मरीजों का प्रभावी ढंग से इलाज करने में मदद मिलती है, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। ऐसी जटिल प्रक्रियाओं के लिए हमारे पास उपलब्ध तकनीकी विशेषज्ञता के कारण, उपचार की सफलता दर 90 प्रतिशत से भी अधिक होती है।”
बड़े और मंझोले शहरों में जन्मजात हृदय दोष, वाल्व की समस्या और हृदय की धमनियों की रुकावट जैसी हृदय संबंधी विभिन्न बीमारियों, जीवनशैली संबंधी बीमारियों और वायरल संक्रमण से पीड़ित रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है। यह भ्रांति है कि दिल की बीमारियां और हार्ट फेल्योर सिर्फ वृद्ध लोगों को ही प्रभावित करते हैं और ये समस्याएं मेट्रो शहरों तक ही सीमित हैं।
“कार्डियोवैस्कुलर फेल्योर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंजियोप्लास्टी तकनीक न केवल तेजी से कोरोनरी फेल्योर को रोककर और हृदय में रक्त प्रवाह को फिर से स्थापित करके जीवन को बचाती है, बल्कि कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग (सीएबीजी) की आवश्यकता को भी समाप्त करती है। बाईपास चिकित्सा प्रक्रिया के मामले में रोगी को एक महीने से अधिक समय तक घर में ही रहना पड़ता है जबकि एंजियोप्लास्टी कराने वाले मरीजों की बहुत कम समय में ही रिकवरी हो जाती है और प्रक्रिया के 7 दिनों के भीतर ही वे सामान्य जीवन में वापस आ सकते हैं। एंजियोप्लास्टी कार्डियोवैस्कुलर फेल्योर के लिए तो सबसे अच्छा उपचार विकल्प है ही, इसके अलावा, इससे गंभीर कोरोनरी बीमारी के रोगियों का भी इलाज किया जाता है, और यह सीने में दर्द, थकावट और सांस की तकलीफ सहित गंभीर दुष्प्रभाव में कारगर तरीके से और तुरंत सुधार करती है।”
मैक्स हाॅस्पिटल, शालीमार बाग के कार्डियोलॉजी के कंसल्टेंट डाॅ. राशि खरे ने कहा, ''यह प्रक्रिया कोरोनरी फेल्योर को तेजी से रोकती है और हृदय में रक्त प्रवाह को फिर से बहाल करती है। उन रोगियों के लिए जिन्हें चिकित्सकीय प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है, एंजियोप्लास्टी से बहुत कम समय में ही रिकवरी हो जाती है। बाईपास चिकित्सा प्रक्रिया के रोगियों को अस्पताल में कई दिनों तक रहना पड़ सकता है और घर पर भी कम से कम एक महीने तक रहना पड़ सकता है, जबकि एंजियोप्लास्टी के अधिकतर रोगियों को 24 घंटे के भीतर ही क्लिनिक से छुट्टी दे दी जाती है और वे सात दिनों के भीतर अपने काम पर वापस आ सकते हैं। एंजियोप्लास्टी से केवल हार्ट फेल्योर का ही इलाज नहीं किया जाता है। गंभीर कोरोनरी बीमारी वाले रोगियों के लिए, एंजियोप्लास्टी सीने में दर्द, सांस की तकलीफ और घबराहट जैसे कमजोर कर देने वाले दुष्प्रभाव में कारगर तरीके से और त्वरित सुधार कर सकती है।”
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