गंभीर हृदय रोग का होम्योपैथी से हो सकता है कारगर इलाज

  • by @ हेल्थ स्पेक्ट्रम
  • at November 28, 2019 -
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हृदय रोगों के निवारक और उपचारात्मक पहलुओं के प्रबंधन के बारे में दिल्ली-एनसीआर के 42 वर्ष पुराने डॉ. कल्याण बनर्जी के क्लिनिक में रोगियों पर किये गये अध्ययन के सबूतों ने होम्योपैथी की प्रभावशीलता को फिर से साबित कर दिया है। कई वर्षों से एकत्र किए गए सबूतों में कहा गया है कि कार्डियक स्टेंटिंग या बाईपास सर्जरी की आवश्यकता वाले 85 प्रतिषत से अधिक रोगियों में, जिन्होंने प्रारंभिक अवस्था में क्लिनिक में विशिष्ट होम्योपैथिक उपचार प्रोटोकॉल शुरू किया था, इन प्रक्रियाओं को कराने की जरूरत नहीं पड़ी। दशकों के अनुभव के साथ विकसित किये गये इन होम्योपैथी उपचार से मरीजों के रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में भी काफी सुधार देखा गया।
धमनी की संभावित रुकावट के परिणामस्वरूप ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाले हृदय की मांसपेशियों को नुकसान वाले 60 प्रतिशत से अधिक रोगियों में होम्योपैथिक उपचार प्रोटोकॉल से 6 या 12 महीने के उपचार से ट्रेडमिल परीक्षण में सुधार दर्ज किया गया। ज्ञातव्य है कि ट्रेडमिल परीक्षण का उपयोग हृदय में इस्केमिक परिवर्तनों का पता लगाने के लिए किया जाता है। डॉ. कल्याण बनर्जी क्लिनिक में डॉक्टर, हर दिन हृदय रोग वाले लगभग 100 रोगियों को देखते हैं। इन डाॅक्टरों ने यह पाया है कि होम्योपैथी इलाज से विभिन्न प्रकार के हृदय रोग वाले लगभग सभी रोगियों को मदद मिल सकती है, जिसमें एंजियोग्राम-प्रूवेन प्लाक के साथ कोरोनरी धमनी रोग, वाहिकाओं की रुकावट, और मायोकार्डियल इंफार्कशन (दिल के दौरे) से पीड़ित शामिल हैं।
होम्योपैथी हृदय रोग के लक्षणों से निपटने और नियंत्रण में किस प्रकार मदद करती है, इस बारे में जानकारी देते हुए, डॉ. कल्याण बनर्जी क्लिनिक के डॉ. कुशल बनर्जी ने कहा, “एलोपैथिक दवाओं के साथ-साथ होम्योपैथी दवा लेने पर अक्सर लाभकारी प्रभाव होता है और एलोपैथी दवाओं के उच्च खुराक के अतिरिक्त दुष्प्रभाव से भी बचा जा सकता है। कुछ मामलों में, एलोपैथिक दवाइयां लेने के बावजूद मरीज के लिपिड प्रोफाइल या उच्च रक्तचाप में सुधार नहीं होता है। हालांकि, होम्योपैथी कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप रीडिंग को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में सक्षम है। रोग के शुरुआती चरण में हमारे पास आने वाले रोगी अपने रक्तचाप प्रबंधन के लिए विशेष होम्योपैथिक दवाएं ले सकते हैं। यदि जीवनशैली और आहार संबंधी संशोधनों का पालन किया जाए, तो रोगी को किसी भी प्रकार की दवा लेने की जरूरत नहीं हो सकती है। उच्च रक्तचाप के पुराने मामलों को होम्योपैथी के साथ एलोपैथिक दवाओं से जहां तक संभव हो, धीरे-धीरे ठीक कर दिया जाता है। जब यह संभव नहीं होता है, तो मरीज या तो अपनी एलोपैथिक दवाओं को कम कर सकते हैं या इसमें वृद्धि को रोक सकते हैं, जिससे उनके दुष्प्रभावों को सीमित किया जा सकता है।”
डॉ. कुशल बनर्जी ने कहा, ''कार्डियक स्टेंट लगने और कार्डियक बाईपास सर्जरी के बाद, रोगियों को अपने कोलेस्ट्रॉल की रीडिंग और रक्तचाप को नियंत्रण में रखना आवश्यक है। होम्योपैथी दोनों में प्रभावी रूप से मदद करने में सक्षम है। वास्तव में, सही जीवन शैली और आहार परिवर्तन के साथ-साथ इन दवाओं को लगातार लेने पर रोगियों में बार-बार स्टेंटिंग की आवश्यकता को भी खत्म किया जा सकता है। 
डॉ. कुशल बनर्जी ने कहा, “होम्योपैथी हाल ही में दिल की सर्जरी कराने वाले रोगियों में स्वास्थ्य लाभ वाले चरण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बाईपास सर्जरी के मामले में, जिस जगह से बाईपास के लिए ग्राफ्ट लिया जाता है उस जगह को भरने में काफी जटिलताएं आती है। एलोपैथिक प्रणाली में इसके लिए कोई इलाज नहीं है। इन जगहों से उत्पन्न होने वाले लक्षणों से गैंग्रीन जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है जिससे प्रभावित अंगों के काटने की नौबत आ सकती है। हमारे क्लिनिक में इन मरीजों का इलाज सिर्फ होम्योपैथी से किया जाता है, क्योंकि बड़ी सर्जरी के बाद रोगी को लंबे समय तक बेचैनी होती है। हम होम्योपैथिक उपचार शुरू करने में किसी भी देरी से बचने के लिए उनकी रिकवरी अवधि के दौरान अस्पतालों में रोगियों के पास जाते हैं।”
डॉ. कल्याण बनर्जी के क्लिनिक में प्राप्त कई निष्पक्ष निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि विशिष्ट होम्योपैथिक चिकित्सा से दिल के दौरे या अन्य कार्डियो-वैस्कुलर रोगों के कारण हृदय को क्षति के बाद हृदय के कामकाज में सुधार होता है। इन निश्कर्शों में बाएं वेंट्रिकुलर इजेक्शन फ्रैक्शन में भी सुधार देखा गया है जिसे इकोकार्डियोग्राम के माध्यम से देखा जाता है। मरीजों को असुविधा के बिना अधिक परिश्रम करने और सीने में दर्द (एनजाइना) और सांस फूलने के कम मामले भी दर्ज किये गये हैं। डॉ. कुशल बनर्जी ने कहा कि जो मरीज उम्र या अन्य मौजूदा स्थितियों के कारण सर्जरी के लिए फिट नहीं होते हैं, उन्हें भी होम्योपैथिक दवाओं से अच्छी तरह से प्रबंधित किया गया है।
एरिदमिया या दिल की अनियमित धड़कन किसी रोगी के लिए बहुत ही संकटपूर्ण स्थिति हो सकती है। डॉ. कल्याण बनर्जी क्लिनिक में इस्तेमाल किए गए विशिष्ट प्रोटोकॉल ने एरिदमिया के मामलों को कम कर दिया है और कई मामलों में रेडियो-फ्रीक्वेंसी एब्लेशन या पेसमेकर लगाने जैसी इनवैसिव प्रक्रियाओं से बचने में मदद की है। एरिदमिया के लिए एलोपैथिक दवाओं के विभिन्न प्रकार के दुष्प्रभाव होते हैं। जो मरीज होम्योपैथिक उपचार के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया करते हैं, उन्हें इन दुष्प्रभावों से बचाया जा सकता है।
डॉ. कुशल बनर्जी ने कहा, “कुछ मरीज कोलेस्ट्रॉल के लिए एलोपैथिक दवाओं का सेवन करने पर मांसपेशियों में तेज दर्द की शिकायत करते हैं। उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं रह जाता है, बजाय इसके कि वे बड़ी असुविधा का सामना करते रहें या हृदय संबंधी जोखिम उठाते रहंें। इन रोगियों को हमारे विशिष्ट होम्योपैथिक उपचार प्रोटोकॉल से बहुत प्रभावी ढंग से उपचार किया जाता है और काफी मरीज अपनी कोलेस्ट्रॉल रीडिंग को कम करने में सक्षम होते हैं।”


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