गर्भाशय का प्रोलैप्स वैसी स्थिति है जिसमें मूत्राशय और मलाशय के साथ गर्भाशय योनि में नीचे उतर आता है। यह 40 साल की उम्र के बाद महिलाओं में एक बहुत सामान्य स्थिति है, विशेषकर सामान्य प्रसव होने वाली और पुरानी खांसी या कब्ज से पीड़ित महिलाओं में तो यह बेहद सामान्य है। इसका संबंध बार-बार मूत्र के लीक करने से भी है। जब महिला खांसती है, छींकती है या हंसती है तो अक्सर मूत्र लीक करने लगता है। गर्भाशय का प्रोलैप्स काफी आम है और इसके विकसित होने का खतरा उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता जाता है।
लक्षण
— पेल्विस में भारीपन या दबाव महसूस होना
— पेल्विस, पेट या कमर में दर्द
— यौन क्रिया के दौरान दर्द
— योनि के मुंह से ऊतक का उभार
— बार- बार मूत्राशय में संक्रमण
— योनि से असामान्य या अत्यधिक स्राव होना
— कब्ज
— मूत्र पर नियंत्रण करने की क्षमता में कमी या बार-बार मूत्र त्याग करने की इच्छा या तत्काल मूत्र त्याग करने की इच्छा सहित मूत्र त्याग करने में परेशानी
जांच
चिकित्सक गर्भाशय के अपनी सामान्य स्थिति से नीचे चले जाने की स्थिति का पता लगाने के लिए पैल्विक परीक्षण कराएंगे। चिकित्सक योनि के रास्ते में फैले हुए गर्भाशय की वजह से उत्पन्न किसी भी उभार को महसूस करने की कोशिश करेंगे।
इलाज
इसकी चिकित्सा स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करेगी, साथ ही साथ महिला का सामान्य स्वास्थ्य, उम्र और बच्चे पैदा करने की इच्छा पर भी निर्भर करेगी। इलाज से आम तौर पर महिलाओं को फायदा होता है।
परम्परागत सर्जरी
इस स्थिति का इलाज परंपरागत रूप से वेजाइनल रिपेयर सर्जरी के द्वारा किया जाता है लेकिन 40 से 50 प्रतिशत मामलों में इस स्थिति का इलाज पूरी तरह नहीं हो पाता और इसलिए सर्जरी के बाद 5 साल में प्रोलैप्स फिर से हो जाता है।
नयी सर्जरी
इन दिनों प्रोलैप्स के इलाज के लिए 'लेप्रोस्कोपिक मेश उपचार' अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पसंदीदा इलाज बन गया है। इस नई तकनीक के तहत योनि में प्रोलैप्स करने वाले पूरे हिस्से को उपर खींच लिया जाता है और स्थायी मेश की मदद से रीढ़ की हड्डी के सामने वाले हिस्से को सहारा प्रदान किया जाता है। यह मेश स्थायी रूप से प्रत्यारोपित किया जाता है जिससे सर्जरी के विफल होने की कोई आशंका नहीं होती है। इस तकनीक का इस्तेमाल अब सभी तरह के प्रोलैप्स के लिए किया जाता है, जैसे वैसी युवा महिलाओं में जो आगे बच्चे को जन्म देने के लिए अपने गर्भाशय को रखना चाहती है, उनमें मेश की मदद से पूरे गर्भाशय को उपर खींच लिया जाता है और वैसी महिलाओं में जिन्होंने पहले हिस्टेरेक्टोमी कराया हो उनमें भी मेश की मदद से वेजाइनल वाल्ट क्षेत्र को उपर खींच लिया जाता है। मूत्र पर नियंत्रण नहीं रखने वाली महिलाओं में भी मूत्र के रिसाव का इलाज करने के लिए मूत्राशय को सहारा देने के लिए एक ट्रांसवेजाइनल टेप मेश प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। ये सभी उपचार लैपरोस्कोपी की मदद से किये जाते हैं और इसके लिए रोगी को सिर्फ एक दिन अस्पताल में रहने की आवश्यकता होती है और इसमें रक्त का बहुत कम नुकसान होता है और बहुत कम दर्द होता है और रोगी 3-4 दिनों पर वापिस अपना काम करने लगती है।
0 Comments