हृदय के रुकने के आनुवांशिक कारण की खोज

वैज्ञानिकों ने हृदय गति रुकने के लिये जिम्मेदार प्रोटीन की खोज की है। इस खोज की मदद से हृदय के रुकने के उपचार का मार्ग प्रषस्त हो सकेगा।  
हीडेलबर्ग यूनिवर्सिटी हॉस्पीटल के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसीन के उपाध्यक्ष डा. वोल्फगैंग रॉटबायर ने इस प्रोटीन की खोज की है। उनका कहना है कि इस प्रोटीन का म्यूटेशन ही हृदय गति के रुकने का कारण है।
नेचर मेडिसीन के ताजा अंक में प्रकाशित इस शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा हृदय पूरी जिंदगी के दौरान लगभग 25 करोड़ लीटर रक्त पंप करता है। हृदय की मांसपेशियों का फाइबर अत्यधिक टिकाऊ और मजबूत होता है। लेकिन हृदय के पंप के कार्य में गड़बड़ी आने के साथ-साथ हृदय की मांसपेशियों की बीमारी के कारण हृदय के चैम्बर के बड़ा होने का खतरा बढ़ जाता है जिसे डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी कहते हैं। यह हृदय गति रुकने का सबसे सामान्य कारणों में से है। हर साल ऐसे हर एक लाख मामलों में छह नये मामले जुड़ जाते हैं और इनमें से 20 प्रतिशत मामले आनुवांशिक होते हैं। हृदय की बीमारी हृदय कोशिकाओं को कमजोर कर देती है और हृदय पर्याप्त रूप से लंबे समय तक पंप नहीं कर पाता है जिससे हृदय के चैम्बर के बढ़ने का खतरा बढ़ता है।
मांसपेशियों की सक्रियता मांसपेशी के फाइबर की सबसे छोटी इकाई सैक्रोमेयर में होती है। इसी सैक्रोमेयर की सक्रियता के लिये उक्त प्रोटीन जिम्मेदार है। अगर यह प्रोटीन (नेक्सिलीन) उत्परिवर्तित होता रहे तो मांसपेशी के गतिमान तत्व लंबे समय तक स्थायी रूप से स्थिर नहीं रह पाते हैं। ऐसे में मांसपेशियां शक्ति खोने लगती हैं और हृदय कमजोर हो जाता है।