छोटे गर्भाशय की समस्या जन्मजात होती है और ऐसी समस्या होने पर गर्भधारण एवं प्रसव में दिक्कत हो सकती है अथवा इस समस्या से प्रभावित महिला का गर्भपात हो सकता है। छोटे गर्भाशय की समस्या कई तरह की होती है और यह जरूरी नहीं कि जिन महिलाओं को यह समस्या है उन्हें गर्भधारण या संतान जनने में दिक्कत होगी ही। कई महिलाओं में गर्भाशय का आकार छोटा होता है लेकिन ओवरी के फंक्शन सामान्य होते हैं। ऐसे में गर्भधारण के बाद गर्भाशय का आकार अपने आप जरूरत के अनुसार बढ़ जाता है।
गर्भाशय की संरचना
गर्भाशय सबसे महत्वपूर्ण प्रजनन अंग है जिसमें भू्रण का विकास होता है। यह 7.5 सेमी लम्बा और 5 सेमी चौड़ा होता है तथा इसकी दीवार 2.5 सेमी मोटी होती है। इसका वजन लगभग 35 ग्राम तथा इसकी आकृति नाशपाती के आकार के जैसी होती है। इसका चौड़ा भाग ऊपर फंडस तथा पतला भाग नीचे इस्थमस कहलाता है। महिलाओं में यह मूत्र की थैली और मलाशय के बीच में होता है। गर्भाशय का झुकाव आगे की ओर होने पर उसे एन्टीवर्टेड कहते है अथवा पीछे की तरफ होने पर रीट्रोवर्टेड कहते है। गर्भाशय के झुकाव से बच्चे के जन्म पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस्थमस नीचे योनि में जाकर खुलता है। इस क्षेत्र को औस कहते है। यह 1.5 से 2.5 सेमी बड़ा तथा ठोस मांसपेशियों से बना होता है। महिलाओं के गर्भाशय की मांसपेशियों को प्रकृति ने एक अद्भुत क्षमता प्रदान की है। वह गर्भावस्था के दौरान आवश्यकता के अनुसार फैल सकती है।
छोटे गर्भाशय की समस्या
छोटे गर्भाशय की समस्या कई तरह की होती है। कुछ मामलों में समस्या अधिक नहीं हाने पर महिला को गर्भ धारण करने और प्रसव में दिक्कत नहीं होती है, लेकिन एजेनेसिस और यूनिकोरनुएट यूटेरस की समस्या होने पर गर्भ धारण करने और प्रसव में दिक्कत आ सकती है या गर्भपात हो सकता है।
एजेनेसिस - कुछ महिलाओं में योनि ठीक तरीके से नहीं बनती है या योनि बहुत छोटी होती हैं ऐसे में या तो बहुत छोटा गर्भाषय होता है या गर्भाशय होता ही नहीं है। इस समस्या का पता तब चलता है जब लड़की का पीरियड शुरू नहीं होता है। इसे एजेनेसिस कहते हैं। यह बहुत ही दुर्लभ स्थिति है। अनुमान है कि चार हजार से लेकर दस हजार में से एक महिला को यह समस्या होती है। इस समस्या के होने पर शादी होने के बाद महिला को यौन क्रिया में कष्ट होता है। इस स्थिति के इलाज के लिये सर्जरी करने की जरूरत होती है। ऐसी महिलाओं के लिये मां बनने का एक ही उपाय सरोगेसी है जिसमें किसी अन्य महिला की कोख की सहायता ली जाती है।
यूनिकोरनुएट यूटेरस
कई महिलाओं में सामान्य गर्भाशय के आधे आकार का गर्भाषय होता है तथा एक फैलोपियन ट्यूब होती है। इसे यूनिकोरनुएट यूटेरस कहा जाता है। यह बहुत ही दुर्लभ किस्म की गड़बडी है और आम आबादी में एक हजार महिलाओं में से केवल एक महिला को यह गड़बड़ी होती है। यह समस्या जीवन के आरंभिक अवस्था में ही षुरू हो जाती है। इसमें गर्भाशय का निर्माण करने वाले उतक समुचित तरीके से विकसित नहीं हो पाते हैं। जिन महिलाओं में यह समस्या होती हैं उनमें आम तौर पर दो ओवरी होती हैं जिनमें से केवल एक गर्भाशय से जुड़ी होती हैं हालांकि अगर गर्भाशय से जुड़ी ओवरी स्वस्थ्य हो तो गर्भधारण करना संभव होता है लेकिन इसमें गर्भपात का खतरा होता है।
जांच
गर्भाशय के आकार की जांच के लिये एक्सरे की जाती है, जिसे हिस्टेरोसैलपिंगोग्राम कहा जाता है। इसकी मदद से गर्भाशय की कैविटी तथा फलोपियन ट्यूब की आकृति का पता चल जाता है और इसकी मदद से ट्यूब्स एवं यूटेरस की अनियमितताओं का पता चल जाता है। इस एक्स रे की सुविधा ज्यादातर जगहों पर उपलब्ध है। यह आसान एवं सुरक्षित जांच है। इसके अलावा एमआरआई अथवा 3डी स्कैन की मदद से गर्भाषय में गड़बडियों का पता चल जाता है।
इलाज
गर्भाशय के आकार संबंधी सभी गबड़ियों के लिये इलाज की जरूरत नहीं होती है। कई मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन सर्जरी के जोखिम हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में आईवीएफ, सेरोगेसी अथवा गोद लेने के विकल्प पर विचार किया जा सकता है।
जब गर्भाशय हो छोटा
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