कुष्ठ मरीजों को आर्थिक एवं समाजिक तौर पर सक्षम बनाने की पहल

  • by @ हेल्थ स्पेक्ट्रम
  • at November 21, 2019 -
  • 0 Comments

नई दिल्ली, 21 नवंबर, 2019: कुष्ठ पीड़ितों और उनके परिवारों को रोजगार के अवसर देते हुए उनके सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में कार्य करने वाले संगठन सासाकावा-इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन (एस-आईएलएफ) ने आज दिल्ली में एक समारोह में 'राइजिंग टू डिग्निटी अवाड्र्स' प्रदान किए।
एस-आईएलएफ ने कुष्ठ पीड़ितों द्वारा स्व-रोजगार के जरिये सभी मुश्किलों से पार पाने और सम्मानजनक जीवन जीने की दिशा में कदम बढ़ाने एवं अन्य लोगों को भी प्रेरित करने की दिशा में उनके प्रयासों को सम्मान देने के लक्ष्य के साथ इन पुरस्कारों का एलान किया। पुरस्कार विजताओं में चंपा (छत्तीसगढ़) से डीजे-टेंट हाउस प्रोजेक्ट; काकीनाडा (आंध्र प्रदेश) से स्क्रैप कलेक्शन प्रोजेक्ट और चंपा (छत्तीसगढ़) से वेजिटेबल एंड राइस कल्टीवेशन प्रोजेक्ट शामिल हैं। शहरों से बाहर बसाई हुई कुष्ठ काॅलोनियों में एक बड़ी आबादी रहती है, जिनकी आजीविका भीख और दान पर निर्भर होती है। एस-आईएलएफ विशेषरूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में ऐसे कुष्ठ पीड़ितों के लिए रिटेल सर्विस, पशुपालन, उत्पादन, कृषि एवं प्रोसेसिंग के सेक्टर में सफलतापूर्वक रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है। भारत में इलाज के बाद कुष्ठ से उबरने वाले मरीजों में रिटेल, पशुपालन और खेती 3 सर्वाधिक प्राथमिकता वाले व्यवसाय हैं। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ऐसे 37.5 प्रतिशत मरीजों ने कृषि को सर्वाधिक प्राथमिकता वाला व्यवसाय माना और छत्तीसगढ़ में 26 प्रतिशत मरीजों ने पशुपालन को प्राथमिकता वाला पेशा माना।
एस-आईएलएफ के राइजिंग टू डिग्निटी अवाड्र्स के माध्यम से पिछले चार साल में एस-आईएलएफ द्वारा फंडिंग पाकर आजीविका की दिशा में तीन सर्वश्रेष्ठ ग्रुप इनीशिएटिव्स को सम्मानित किया गया। पुरस्कार के रूप में एक ट्राॅफी, प्रमाणपत्र और 1,00,000 रुपये की नकद राशि दी गई। काॅलोनी और राज्य के प्रमुख के साथ-साथ विजेता प्रोजेक्ट के अगुआ को भी प्रोजेक्ट की सफलता में योगदान के लिए विशेष प्रमाणपत्र दिया गया।
सासाकावा-इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन (एस-आईएलएफ) की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डाॅ. विनीता शंकर ने पुरस्कार के संबंध में कहा, “एस-आईएलएफ में हम लोग कुष्ठ पीड़ितों को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण एवं फंडिंग की व्यवस्था कराने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं। एस-आईएलएफ कुष्ठ पीड़ित लोगों एवं उनके परिवारों को रोजगार के अवसर मुहैया कराते हुए उनके सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में प्रयासरत है, जिससे वे भीख मांगने के दुष्चक्र से बाहर निकलकर आय के सम्मानित स्रोत की ओर बढ़ने में सक्षम हो पाते हैं। मुश्किल परिस्थितियों एवं सामान्य लोगों के व्यवहार के कारण कुष्ठ पीड़ितों के लिए भीख के दुष्चक्र से बाहर आना एवं सम्मानजनक जीवन की ओर कदम बढ़ाना आसान नहीं होता है। इन पुरस्कारों के जरिये हम उनके प्रयासों, कठिन परिश्रम एवं प्रतिबद्धता को सम्मानित करते हैं, जिसके दम पर अपने उद्यम को उन्होंने सफल बनाया है।“
डीजे/टेंट हाउस प्रोजेक्ट के प्रोजेक्ट लीडर प्रताप दास मानिकपुर ने कहा, “हमने उम्मीद नहीं की थी कि हमें यह सम्मानजनक पुरस्कार मिलेगा। हम रोमांचित हैं, क्योंकि हमने कभी नहीं सोचा था कि इस पुरस्कार के लिए हमारे नाम पर विचार होगा।“
स्क्रैप कलेक्शन प्रोजेक्ट के प्रोजेक्ट लीडर वी. जेजी बाबू ने कहा, “हम इस पुरस्कार को पाकर खुश हैं। हमें इस समारोह का हिस्सा बनने का भी गर्व है। इससे हमारे अंदर और आगे बढ़ने की लालसा बनेगी।“
वेजीटेबल एंड राइस कल्टीवेशन प्रोजेक्ट की प्रोजेक्ट लीडर अनीता ने कहा, “यह मेरे एवं मेरे भाइयों के लिए रोमांचक अनुभव है। हर कदम पर समर्थन एवं सहयोग देने वाले मेरे भाइयों के बिना यह सब संभव नहीं था।“
कार्यक्रम में 300 से ज्यादा प्रतिभागी शामिल हुए। इनके अलावा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की हस्तियां, सरकार के प्रतिनिधि, कुष्ठ पीड़ित लोग, कुष्ठ पीड़ितों की बेहतरी की दिशा में प्रयासरत अधिवक्ता, काॅरपोरेट घरानों और एनजीओ ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस मौके पर महात्मा गांधी के प्रपौत्र श्री राजमोहन गांधी भी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
दुनियाभर में करीब ढाई लाख लोग कुष्ठ से पीड़ित हैं, जिनमें से अधिकतर मामले भारत से हैं।


 


Join as an Author

Health Spectrum

Health Spectrum welcomes unsolicited articles, blog posts and other forms of content. If you are interested in writing for us, please write to us at healthspectrumindia@gmail.com.

0 Comments: