पालियों (शिफ्टों) में खास तौर पर रात्रि पालियों में काम करने वालों को हृदय रोगों और अनिद्रा संबंधी बीमारियां होने का खतरा अधिक रहता है।
नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने अपने नवीनतम अध्ययनों से पाया है कि अलग-अलग पालियों खास तौर पर रात्रि पालियों में काम करने वालों के शरीर के विभिन्न अंगों पर अधिक दबाव (स्ट्रेस) पड़ता है जिससे हृदय की लयबद्धता गड़बड़ा जाती है। एसे लोगों को दिल और मस्तिष्क के दौरे पड़ने की आशंका अधिक रहती है।
इन वैज्ञानिकों ने पालियों में काम करने वाले 400 कर्मचारियों तथा दिन की ड्यूटी करने वाले 400 अन्य कर्मचारियों पर व्यापक अध्ययन करके पाया कि अनियमित पालियों में काम करने वालों में हृदय की धड़कन में असामान्यता अथवा प्रीमेच्योर वेंट्रीकुलर काम्प्लेक्सेस (पीवीसी) नामक हृदय विकृति अधिक होती है। नीदरलैंड के वेगेनिंगेन युनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डा. एवर्ट स्काॅटेन का कहना है कि अलग-अलग पालियों में काम करने वालों की स्वचालित तंत्रिका प्रणाली (आटोमेटिक नर्वस सिस्टम) पर जो दुष्प्रभाव पड़ता है उससे हृदय की धड़कन अनियमित हो जाती है जिससे बाद में हृदय रोग पैदा होते हैं।
शोधकर्ताओं ने एक साल तक दिन की नियमित पाली में काम करने वाले कर्मचारियों तथा एक साल तक रात्रि पाली में काम करने वाले कर्मचारियों के बीच तुलना करने पर पाया कि एक साल तक रात्रि पाली में काम करने वालों में पी वी सी के मामले अधिक होते हैं। इन शोधकर्ताओं का मानना है कि अलग-अलग पालियों में काम करने वाले कर्मचारियों के सोने-जागने के समय में बदलाव होने से अनिद्रा एवं नींद से जुड़ी अन्य बीमारियां होने की भी आशंका होती है।
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