युवा माताओं को सार्वजनिक स्थानों और सामाजिक स्थितियों में स्तनपान कराने को लेकर अपनी हिचक छोड़ देनी चाहिए
भारत में मुख्य रूप से कम पोषण के कारण शिशु मृत्यु दर काफी अधिक है। दुनिया भर के साक्ष्यों से पता चलता है कि जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान की शुरुआत कर, जीवन के पहले छह महीने में विशेष स्तनपान कराकर, और 6-9 महीने की उम्र में सही और पर्याप्त पूरक आहार शुरू कर शिशुओं और बच्चों में कुपोषण को रोकने में मदद मिल सकती है और उन्हें स्वस्थ रखा जा सकता है। ''विशेष स्तनपान (एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग)'' का अर्थ किसी भी प्रकार के पूरक आहार (दवाओं को छोड़कर पानी, जूस, गैर मानव दूध, या खाद्य पदार्थ) के बगैर, जीवन के पहले छह महीने के दौरान शिशु को सिर्फ मानव दूध का सेवन कराना है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) तृतीय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करने की दर केवल 24.5 प्रतिशत है, और छह महीने की उम्र तक विशेष स्तनपान कराने की दर मात्र 46.4 प्रतिशत है। उम्र के लिहाज से इस आंकड़े की व्याख्या से पता चलता है कि विशेष स्तनपान के मामले में पहले महीने से छठे महीने तक तेजी से गिरावट आती है और सिर्फ 27.6 प्रतिशत भारतीय बच्चे को ही छह महीने की उम्र तक विशेष स्तनपान कराना जारी रखा जाता है। इस तरह ये निम्न आंकड़े चिंता का विषय हैं।
विशेष स्तनपान की दर इतना कम होने के मुख्य कारणों में से एक कारण यह है कि ज्यादातर भारतीय महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर या सामाजिक स्थितियों में अपने बच्चे को स्तनपान कराने में असहज महसूस करती हैं। वे स्वयं के प्रति सजग रहती हैं और शर्मिंदगी महसूस करती हैं और घर के बाहर या अन्य लोगों की मौजूदगी में, विशेष रूप से अजनबी लोगों की मौजूदगी में शिशु को स्तनपान कराने से बचती हैं। हालांकि इसे लंबे समय के लिए टाला नहीं जा सकता है। हर समय घर के अंदर रहकर शिशु को स्तनपान कराने के समय पर स्तनपान कराना हमेशा व्यावहारिक नहीं होता है।
यहाँ सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान कराने के लिए कुछ उपयोगी विचार दिये जा रहे हैं जिससे माताओं को शिशुओं को स्तनपान कराने में आसानी होगी:
स्तनपान कराने के अनुकूल कपड़े पहनें: ऐसे कपड़े पहनें जिससे आप बच्चे को स्तनपान कराने में सुविधा महसूस कर सकें और आराम से शिशु को स्तनपान करा सकें। ब्रेस्टफीडिंग ब्रा का प्रयोग करें। इससे आपको कप को सामने से जल्दी नीचे लाने में सुविधा होगी। बनियान और टाॅप जैसे कम से कम दो परत के कपड़े पहनें। दो परत के कपड़े पहनने पर जब आप स्तनपान कराने के लिए बाहरी टाॅप को खोलेंगी या उपर करेंगी तो इससे आपके स्तन और पेट को ढकने में मदद मिलेगी।
स्तनपान के अनुकूल स्थान: इन दिनों कई दुकानों और मॉल में स्तनपान कराने वाली माताओं के लिये विशेष व्यवस्था और विशेष स्थान (आमतौर पर एक छोटा सा कमरा) होता है। जब आपको अपने बच्चे को स्तनपान कराना हो तो ऐसी जगह की तलाश करें। यह देखें कि आप जहां हैं वहां स्तनपान कराने की जगह या चेंजिंग रूम है। इससे आपको सम्पूर्ण स्तनपान कराने का अनुभव होगा और यह आपके और आपके बच्चे के लिये सुखद एवं निजी होगा।
अन्य माताओं के साथ मिलकर: अन्य युवा माताओं के बीच रहना शुरूआती अवस्था में आपके लिये आत्मविश्वास बढ़ाने वाला होगा। धीरे-धीरे आप सार्वजनिक स्थानों पर बच्चों को स्तनपान कराने के लिये अभ्यस्त हो जायेंगी। अगर आपके साथ अन्य युवा मातायें नहीं हों तो आप अपने पति या मां को स्तनपान कराने के समय साथ रहने को कह सकती हैं।
घर से बाहर जाने की योजना बनायें: आप अपनी यात्रा की योजना इस प्रकार बनायें ताकि आप स्तनपान अनुकूल स्थानों के आसपास रहें। अगर आपके पास कार है तो यथा संभव कार से ही कहीं आये-जायें ताकि आपको सुविधाजनक तरीके से स्तनपान करने के लिये निजी जगह मिल सके। आप जहां जा रही हैं वहां के आसपास अगर आपके परिवार का कोई सदस्य या कोई दोस्त है तो अपने बच्चे को स्तनपान कराने के लिये उनके यहां जा सकती हैं।
जब आप घर से बाहर हों तो आप अपने बच्चे को मां के दूध से बंचित नहीं करें और अपने संकोच पर काबू रखें। बच्चे को स्तनपान कराना अत्यंत स्वभाविक एवं प्राकृतिक है ओर मां के रूप में आपके लिये ऐसा करना उचित है। आपको सार्वजनिक स्थल पर स्तनपान कराने के दौरान शांत रहना चाहिये और इसके कारण आपको किसी तरह की शर्मिंदगी महसूस नहीं करनी चाहिये। सार्वजनिक जगह पर स्तनपान करना ऐसी चीज नहीं है जो अचानक होती है, लेकिन अगर इसके लिये आपको अभ्यस्त होने में थोड़ा समय लगता है तो भी बिल्कुल ठीक है।
डॉ रागिनी अग्रवाल डब्ल्यू प्रतीक्षा अस्पताल, गुड़गांव में चिकित्सा सेवा प्रभाग की निदेशक हैं।
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