एक तरफ जहां भारत सस्ती चिकित्सा उपलब्ध कराने के कारण चिकित्सा पर्यटन के लिए एक पसंदीदा स्थल के रूप में उभरा है, वहीं आम आदमी के लिए चिकित्सा को किफायती बनाने के लिए यहां पर्याप्त गुंजाइश है। इसे सरकार के अनुकूल और प्रेरणादायक नीतियों की मदद से प्राप्त किया जा सकता है। इससे भारतीय चिकित्सा उपकरण निर्माता अत्यधिक कारगर चिकित्सा उपकरणों को निर्माण शुरू करने में सक्षम हो जाऐगे। वर्तमान में, जटिल बीमारियों का इलाज कराने वाले मरीजों के बिलों का करीब 75 प्रतिषत आयातित कारगर लेकिन महंगे चिकित्सा उपकरणों का होता है।
कार्डियोलाॅजिकल सोसायटी आफ इंडिया के तत्वावधान में नेशनल इंटरवेंशनल काउंसिल की ओर से आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन में पैनल के विषेशज्ञों ने यह राय व्यक्त की। पैनल में डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के कार्डियोलाॅजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वी. के. बहल, और मेदांता हार्ट इंस्टीट्यूट के इंटरवेषनल कार्डियोलाॅजी के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण चंद्रा के अलावा भारतीय चिकित्सा उपकरण उद्योग के प्रतिनिधि भी शामिल थे।
नेशनल इंटरवेंशनल काउंसिल (एनआईसी) 2015 के आयोजन सचिव डाॅ. प्रवीण चंद्रा के अनुसार, ''भारत में चिकित्सा सम्मेलन में पहली बार, हमने भारत के चिकित्सकांे और चिकित्सा उद्योग को बातचीत करने के लिए एक साझा मंच उपलब्ध कराया है जहां वे देष को अत्यधिक कारगर चिकित्सा उपकरणों के निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने की दिषा में एक साथ मिलकर और इस उद्देश्य के लिए काम करने पर चर्चा करेंगे। हम अपने प्रधानमंत्री की 'मेक इन इंडिया' की दृष्टि से प्रेरित हैं। भारतीय चिकित्सा उपकरण उद्योग अत्यधिक कारगर और प्रतिस्पर्धात्मक वैश्विक उत्पादों का विकास कर रहा है। भारतीय निर्माताओं के चिकित्सा उत्पादों की विनिर्माण लागत कम है। भारतीय चिकित्सक पिछले 15 वर्षों से इन उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे हैं और उनका मानना है कि इन उत्पादों के मानक अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता के बराबर हैं।''
जब पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम 'कलाम - राजू' नामक सस्ती स्टेंट को लेकर आये तो सस्ते स्टेंट के लिए भारत में आशा की एक किरण जागी थी। इस स्टेंट को 5 हजार से 7 हजार रुपये में निर्मित किया जा सकता था। लेकिन इस स्टेंट को कभी बढ़ावा नहीं दिया गया और न ही इस पर आगे शोध करने और इस स्टेंट को और बेहतर बनाने की दिशा में काम किया गया। भारतीय बाजार में अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की हिस्सेदारी 70 प्रतिशम से अधिक है और उनके प्रति स्टेंट की कीमत 45 हजार से लेकर एक लाख 20 हजार रुपये तक है।
ट्रांसलुमिना थेराप्युटिक्स के प्रबंध निदेशक श्री गुरमीत सिंह चुग कहते हैं, ''भारत के पास जटिल बीमारियों के इलाज के लिए अत्यधिक कारगर चिकित्सा उपकरणों का निर्माण करने की क्षमता है और स्वदेशी चिकित्सा उपकरणों के इस्तेमाल से रोगी के बिल में काफी कमी लायी जा सकती है। आत्मनिर्भर होने के लिए, सरकार उद्योग के अनुकूल बुनियादी सुविधाओं का निर्माण कर और हमें सब्सिडी देकर हमारी मदद कर सकती है। यह हमें अनुसंधान और विकास में निवेश करने के लिए प्रेरित करेगा और इन महत्वपूर्ण उपकरणों के निर्माण के लिए बेहतर प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए सशक्त बनाएगा।'' भारतीय चिकित्सा उपकरण निर्माता वर्तमान में कम क्षमता वाले उपकरणों का विकास कर रहे हैं जिससे मरीज के बिल में सिर्फ 5 प्रतिशत की कमी आती है।
भारत हमेशा से कम क्षमता वाले और सस्ते उत्पादों के निर्माण के लिए जाना जाता रहा है और इन उत्पादों की क्षमता को साबित करने के लिए कोई क्लिनिकल सबूत उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन अब यह बात गलत साबित हो रही है। भारत में निर्मित युकाॅन पीसी (वाईयूकेओएन पीसी) नामक औशधि लेपित स्टेंट को तीन प्रशंसित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं - जर्नल आफ अमेरिकन काॅलेज आफ कार्डियोलाॅजी (जेएसीसी), यूरोपियन हार्ट जर्नल (ईएचजे) और यूरो इंटरवेंषन के द्वारा समान रूप से सुरक्षित और प्रभावी पाया गया है।
यूरोप के विभिन्न केंद्रों में 2600 से अधिक रोगियों पर किये गये आईएसएआर टेस्ट - 4 नामक एक परीक्षण में युकाॅन पीसी की तुलना क्जिन्स (एब्बोट्ट वैस्कुलर यूएसए) और साइफर (जॉनसन एंड जॉनसन यूएसए) से की गयी। यूकाॅन पीसी 5 साल में स्टेंट थ्रोम्बोसिस के दर को कम करने में समान प्रभावी और सुरक्षित पाया गया।
विदेशों से आयातित महंगे चिकित्सा उपकरणों के कारण भारतीय मरीजों पर बढ़ रहा है आर्थिक भार
~ ~
SEARCH
LATEST
6-latest-65px
POPULAR-desc:Trending now:
-
- Vinod Kumar मस्तिष्क में खून की नसों का गुच्छा बन जाने की स्थिति अत्यंत खतरनाक साबित होती है। यह अक्सर मस्तिष्क रक्त स्राव का कारण बनती ह...
-
विनोद कुमार, हेल्थ रिपोर्टर वैक्सीन की दोनों डोज लगी थी लेकिन कोरोना से बच नहीं पाए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक...
-
INDIAN DOCTORS FOR PEACE AND DEVELOPMENT An international seminar was organised by the Indian Doctors for Peace and Development (IDPD) at ...
-
अत्यधिक प्रतीक्षित इंडो इंटरनेशनल फैशन कार्निवल एंड अवार्ड्स सीजन 2: मिस, मिसेज और मिस्टर स्टार यूनिवर्स ने एक शानदार लोगो लॉन्च इवेंट के सा...
-
The woman in the picture with a smile is Salwa Hussein !! She is a woman without a heart in her body. She is a rare case in the world, as...
Featured Post
Air Pollution Fuels Alarming Rise in Childhood Asthma Cases (On World Asthma Day - 6 May)
- Vinod Kumar, Health Journalist In a month, 3-4 kids, aged 6-10, report symptoms like frequent coughing, breathlessness during play, dis...
