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केंद्र सरकार ने केरल में मंकी पॉक्स के प्रकोप की जांच करने के लिए उच्च स्तरीय विशेषज्ञ दल भेजा

 – विनोद कुमार

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने केरल के कोल्लम जिले में मंकी पॉक्स के पुष्ट मामले के मद्देनजर सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को स्थापित करने में राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ सहयोग करने के लिए केरल में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ दल भेजा है।


  • केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने केरल के कोल्लम जिले में मंकी पॉक्स की पुष्टि हुई।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को स्थापित करने में राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ सहयोग करने के लिए केरल में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ दल भेजा है।

केरल भेजे गए केंद्रीय दल में नई दिल्ली के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अस्पताल में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के विशेषज्ञ और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के साथ-साथ क्षेत्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण कार्यालय, केरल के विशेषज्ञ शामिल हैं।

केंद्रीय दल राज्य के स्वास्थ्य विभागों के साथ मिलकर काम करेगा और जमीनी स्थिति का जायजा लेगा तथा आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल की सिफारिश करेगा। केंद्र सरकार स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी करके मंकी पॉक्स बीमारी के प्रकोप की ऐसी किसी भी संभावना के मामले में राज्यों के साथ समन्वय करके सक्रिय कदम उठा रही है।

दुनियाभर में मंकी पॉक्स के मामले बढ़ने के बीच केंद्र सरकार ने गुरुवार को राज्यों से कहा कि इस संक्रमण के खिलाफ भारत की तैयारियों के तहत देश में प्रवेश के सभी बिंदुओं पर तथा समुदायों में सभी संदिग्ध मामलों की स्क्रीनिंग और जांच कराई जाए। केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मंकी पॉक्स के किसी भी संदिग्ध या पुष्ट मामले के प्रबंधन के लिए पर्याप्त मानव संसाधन सुनिश्चित करने, साजो-सामान संबंधी समर्थन के साथ अस्पतालों को चिह्नित करने को कहा है।

आपको बता दें कि मंकीपाक्स वायरस एक मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। 1958 में यह पहली बार शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। इस वायरस का पहला मामला 1970 में रिपोर्ट किया गया है। मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों (tropical rainforest area) में यह रोग में होता है।

कैसे फैलता है संक्रमण-

मंकीपाक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। ऐसे में लोगों को शारीरिक संपर्क से बचाव रखना चाहिए।

संक्रमित व्यक्ति या किसी व्यक्ति में पंकीपाक्स के लक्षण हैं, तो उसे तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए।

संक्रमित व्यक्ति को इलाज पूरा होने तक खुद को आइसोलेट रखना चाहिए।

मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।

यह संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ, या फर को छूने से भी हो सकता है।

क्या है मंकीपाक्स का इलाज

मंकीपाक्स का कोई इलाज नहीं है। लेकिन चेचक का टीका मंकीपाक्स को रोकने में 85 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है। मंकीपाक्स को यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इसे कम जोखिम वाला वायरस बताया है।

मंकीपाक्स का लक्षण -

बार-बार तेज बुखार आना।

पीठ और मांसपेशियों में दर्द।

त्वचा पर दानें और चकते पड़ना।

खुजली की समस्या होना।

शरीर में सामान्य रूप से सुस्ती आना।

मंकीपाक्स वायरस की शुरुआत चेहरे से होती है।

संक्रमण आमतौर पर 14 से 21 दिन तक रहता है।

चेहरे से लेकर बाजुओं, पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों पर रैशेस होना।

गला खराब होना और बार-बार खांसी आना।

ध्यान दें! 




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