प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य सुविधाएं एवं पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए ʺएक पहल‘‘ परियोजना की शुरूआत


– विनोद कुमार

नई दिल्ली‚ 21 जून, 2023:  दिल्ली-एनसीआर, बैंगलोर व पुणे में रहने वाले प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों की बेहतरी के लिए ‘एक पहलʺ नामक कार्यक्रम शुरू करने की कल यहां घोषणा की गई। 

यह कार्यक्रम रियल एस्टेट कंसल्टिंग फर्म सीबीआरई साउथ एशिया प्रा.लि. की ओर से बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले अग्रणी संगठन ’बाल रक्षा भारत’ के सहयोग से चलाया जाएगा। इसकी घोषणा सीबीआरआई ने कल राष्ट्रीय राजधानी में की। 

सीबीआरई के चेयरमैन और सीईओ (भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य पूर्व व अफ्रीका) श्री अंशुमन मैगजीन ने इस मौके पर बताया कि सीबीआरई का इरादा है कि सरकार के सहयोग से और बाल रक्षा भारत को बतौर अमलकारी पार्टनर अपने साथ जोड़ कर आगामी वर्षों में लगभग 3 लाख प्रवासी श्रमिकों को उत्तम स्वास्थ्य सेवाएं, औपचारिक शिक्षा मुहैया कराई जाए तथा उनके पोषण में सुधार लाया जाए। सीबीआरई ने इस वित्तीय वर्ष के दौरान सीएसआर कार्यों के लिए लगभग 5 करोड़ रुपए का एक कोष बनाया है, जिसे साल के आखिर तक तकरीबन 15 करोड़ रुपए तक बढ़ाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इस साल ’सीबीआरई केयर्स-एक पहल’ सीएसआर कार्यों का लक्ष्य है कि प्रवासी श्रमिक समुदाय के लिए उपचारात्मक और निवारक उपचार के रूप में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं, सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाना तथा बच्चों, महिलाओं, पुरुषों व किशोरों के पोषण मानकों में वृद्धि सुनिश्चित की जाए। इस पहल के तहत मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में जो कमियां आ रही हैं उन्हें दूर करने की कोशिश भी की जाएगी, ऐसे उपाय किए जाएंगे की उन्हें औपचारिक शिक्षा प्राप्त हो और उन की पढ़ाई निरंतर जारी रहे। 

श्री अंशुमान मैगजीन ने बताया कि इस पहल के तहत इन शहरों में अनेक कदम उठाए जाएंगे जैसे की स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से नियमित स्वास्थ्य जांच शिविरों का आयोजन। प्रोजेक्ट टीम संबंधित सिविल सर्जन/ मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (सीडीएमओ) के सहयोग से शहरी झुग्गी बस्तियों में रहने वाले परिवारों की सेहत के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाएगी। प्रत्येक स्वास्थ्य शिविर से पहले इन बस्तियों में रहने वाले लोगों को तैयार किया जाएगा, जिसके लिए जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोग जैसे आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा प्रोजेक्ट स्टाफ उन्हें जागरुक करेंगे। स्वास्थ्य शिविरों में आने वाले लोगों को विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, एबीएचए कार्ड आदि का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस कार्यक्रम के जरिए महिलाओं को मेंस्ट्रुअल हाइजीन के बारे में शिक्षित किया जाएगा और रजस्वला महिलाओं को सैनिटरी नैपकीन भी दिए जाएंगे। इन महिलाओं के लिए मातृत्व, नवजात शिशु, बच्चों व किशोर स्वास्थ्य तथा सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों के बारे में जागरुक करने वाली गतिविधियां भी चलाई जाएंगी। इसके अलावा, इस पहल के माध्यम से शिक्षकों और स्कूली बच्चों की क्षमता का निर्माण करके आयुष्मान भारत - स्कूल स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम में भी सहयोग किया जाएगा।

इसके अलावा शिक्षा के पहलू पर काम करने के लिए मल्टी ऐक्टिविटी सेंटर (एमएसी) स्थापित किए जाएंगे। ये सेंटर 6 से 14 वर्ष के उन बच्चों को शिक्षित करने का काम करेंगे जो या तो स्कूल कभी गए ही नहीं या फिर स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ चुके हैं; इनमें ऐसे बच्चे भी शामिल होंगे जो बाल मजदूरी कर रहे थे या फिर सड़कों पर रहे हैं या कई तरह की कमियों से जूझ रहे हैं। लाभार्थियों तक पहुंचने के लिए यह सीएसआर कार्यक्रम स्कूलों को बच्चों के अनुकूल आईसीटी-आधारित संसाधनों से लैस करेगा और शिक्षकों को इस काबिल बनाएगा की वे इंस्टॉल किए गए डिजिटल संसाधनों के इस्तेमाल में दक्षता प्राप्त कर के लड़कों व लड़कियों बेहतर ढंग से पढ़ा सकें। स्मार्ट कक्षाओं और डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना से बच्चों को भौतिक और डिजिटल संसाधनों तक पहुंच मिलेगी जिससे उन्हें पढ़ाई में मदद हो सकेगी। स्कूलों को टैबलेट दिए जाएंगे ताकी बच्चों और शिक्षकों को डिजिटल संसाधनों तक पहुंच प्राप्त हो सके। 

  • सीबीआरई अपने कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत ’सीबीआरई केयर्स - एक पहल’ प्रोजेक्ट के द्वारा लगभग 3 लाख प्रवासी मजदूरों की मदद करेगी
  • वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान सीबीआरई ने सीएसआर कार्यों के लिए 5 करोड़ रुपए का कोष बनाया है जिसे साल के आखिर तक बढ़ाकर 15 करोड़ रुपए कर दिया जाएगा। 
  • इस कार्य हेतु कंपनी ने बाल रक्षा भारत के साथ गठबंधन किया है जिसे दुनिया भर में सेव द चिल्ड्रन के नाम से जाना जाता है। इनके साथ मिलकर कंपनी दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु और पुणे काम करेगी। 
  • ’एक पहल’ का लक्ष्य है की प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों को उत्तम स्वास्थ्य व पोषण मिले और उनके बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त हो
  • जिन शहरों में कंपनी सीएसआर कार्य करेगी वहां स्मार्ट कक्षाओं, डिजिटल पुस्तकालयों की स्थापना करके तथा वॉश इंफ्रास्ट्रक्चर (पानी, सैनिटेशन व हाइजीन) को मजबूत बनाकर श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य में बेहतरी लाई जाएगी

श्री अंशुमन मैगजीन ने कहा, ’’सीबीआरई में हमारा यह मानना है कि प्रत्येक जीवन को उत्तम रहन-सहन का अधिकार है। आज, लाखों प्रवासी श्रमिक और उनके परिवार हमारे लिए आधुनिक स्थानों का निर्माण कर रहे हैं, लेकिन अफसोस है कि वे खुद गरीबी, बीमारी और निराशा से घिरे हुए हैं; हर नया दिन उनके लिए अस्तित्व की एक नई लड़ाई है। हमारे सीएसआर कार्यक्रम सीबीआरई केयर्स - ’एक पहल’ को लांच करने का हमारा मकसद है उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना। मेरा दृढ़ विश्वास है कि बाल रक्षा भारत जैसे हमारे साथियों की बदौलत हमारी यह पहल श्रमिक समुदायों को अच्छे स्वास्थ्य के तौर-तरीकों के बारे में शिक्षित करने में अहम भूमिका निभाएगी। हमारे जो कार्यक्रम पहले से चल रहे हैं उनमें इस नई पहल के जुड़ जाने से हमारी कोशिशें और भी ज्यादा असरदार हो जाएंगी।’’

सेव द चिल्ड्रेन के सीईओ सुदर्शन सुचि ने कहा, ’’लगातार दूसरे साल सीबीआरई के साथ ’एक पहल’ के लिए इस सहभागिता से हम बहुत खुश हैं। इस साझेदारी द्वारा बाल रक्षा भारत मुख्य उद्देश्यों में सीबीआरई की सहायता करेगा, जिसमें शामिल हैं- तय शहरी इलाकों में बच्चों और महिलाओं में कुपोषण के मुद्दे पर काम करना और कैच अप क्लब (सीयूसी) के जरिए बच्चों की पढ़ाई में मौजूद कमियों को दूर करना। बाल रक्षा भारत का स्टाफ बच्चों और उनके माता-पिता की जरूरतों को समझेगा और बच्चों के कल्याण व शिक्षा के लिए सहायता प्रदान करेगा। यह कार्यक्रम जन जागरुकता शिविरों और सरकारी योजनाओं -जैसे आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना- के साथ सारा साल इन परिवारों को जोड़े रखकर उन्हें लाभ पहुंचाएगा।’’

पिछले साल सीबीआरई के सीएसआर कार्यक्रम ने चेन्नई, हैदराबाद, दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में लाखों निर्माण श्रमिकों को प्रभावित किया। प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों को न्यूट्रिशन/हाइजीन किट वितरण तथा जागरुकता अभियान और स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से लाभ पहुंचाया गया।