बहुत ज्यादा पानी पीना जानलेवा हो सकता है

– विनोद कुमार



क्या आप भी शरीर में तरलता (हाइड्रेशन) बनाए रखने के लिए बहुत ज्यादा पानी पीते हैं? यदि हां, तो सावधान हो जाएं और तुरंत ऐसा करना बंद करें!

क्या आपने कभी यह सोचा है कि पानी को आमतौर पर जीवन का पर्याय क्यों बताया जाता है? ‘जल ही जीवन’, ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें इंसान के अस्तित्व के लिए जरूरी सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व मौजूद होते हैं। पानी हमारे शरीर में लगभग पूरी पाचन या चयापचय क्रिया (मेटाबॉलिक प्रोसेस) में शामिल होता है।

अक्सर हम एक्सपर्ट्स से पूछते हैं कि हमें कितना पानी पीना चाहिए? दरअसल पानी की मात्रा का ऐसा कोई तय पैमाना नहीं है जो सभी के लिए सही हो। फिर भी आमतौर पर एक दिन में लगभग ढाई से तीन लीटर या आठ से 10 ग्लास पानी पीने की सलाह दी जाती है।

क्यों ओवर हाइड्रेशन भी शरीर और सेहत के लिए अच्छा नहीं है, इससे कई समस्याएं हो सकती हैंः

o बार-बार पेशाब करना

o बार-बार सिर में दर्द होना- दरअसल ओवर हाइड्रेशन से दिमाग की कोशिकाओं में सूजन आ जाती है, जिससे सिर पर दबाव बढ़ता है और दर्द होता है।

o होठों, पैरों या हाथों में सूजन

o जी मिचलाना, उल्टी होना, शरीर में ऐंठन, लगातार थकान, कोमा जैसी समस्या भी हो सकती है।

ओवर हाइड्रेशन से कई समस्याएं हो सकती हैं और शरीर की क्रियाप्रणाली पर भी इसका असर पड़ सकता है। ओवर हाइड्रेशन के कुछ दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं।

वॉटर पॉइजनिंग (जल विषाक्तता)

वॉटर पॉइजनिंग का मतलब आवश्यकता से अधिक पानी पीने से शरीर में खनिजों की मात्रा असंतुलित होने से है। जैसे हाइपोनाट्रेमिया (सोडियम की कमी होना) आदि। कोशिकाओं में नमक की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है और इसके घुल जाने से उनमें सूजन आ सकती है। स्थिति गंभीर होने पर दिमाग की कोशिकाओं में भी जलजमाव हो सकता है जिसका असर पूरे शरीर की क्रियाप्रणाली पर पड़ सकता है।

उल्टी-दस्त

शरीर में पानी की कमी (डि-हाइड्रेशन) या अधिकता (ओवर हाइड्रेशन) एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों के कई लक्षण भी समान हैं। जैसे- जी मिचलाना, उल्टी होना, सिर दर्द आदि। इन लक्षणों में शरीर का पानी सोडियम और पोटेशियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों को तरल बनाकर शरीर से बाहर निकाल सकता है। इससे असंतुलन पैदा होता है और उल्टी या दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं क्योंकि गुर्दे (किडनियां) शरीर में मौजूद पानी की अतिरिक्त मात्रा को सहेजने में सक्षम नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में खनिजों की आपूर्ति ठीक करने की जरूरत होती है।

हृदय पर अत्यधिक दबाव

बहुत अधिक पानी पीने से शरीर की कोशिकाओं में मौजूद नमक तरल बन सकता है, कोशिकाओं में पानी भर जाता है और उनका आकार बढ़ जाता है। ऐसा आमतौर पर नहीं होता है लेकिन फिर भी ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है। इसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। अगर ठीक समय पर ध्यान नहीं दिया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है। पूरे शरीर की कोशिकाओं में सूजन आने से हृदय पर रक्तसंचार (ब्लड पंपिंग) का दबाव बढ़ता है। वहीं शरीर में सोडियम की कमी होने से ब्लड प्रेशर कम होता है जिसका असर हृदय की रक्तसंचार क्षमता पर पड़ता है।

पोटेशियम के स्तर में गिरावट

पोटेशियम एक प्रकार का खनिज पदार्थ है। यह कोशिकाओं के अंदर और बाहर आयनों के विनिमय (आयन एक्सचेंज) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे तंत्रिका कोशिकाओं को मांसपेशियों के संकुचन और आराम जैसी प्रक्रियाओं पर नियंत्रण में मदद मिलती है। ओवर-हाइड्रेशन से शरीर में खनिजों का असंतुलन हो जाता है। शरीर में पानी की मात्रा अधिक होने से सोडियम और पोटेशियम जैसे खनिज तरल रूप में शरीर से बाहर निकल जाते हैं जिससे कोशिकाओं में ऐंठन और सूजन जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

किसी भी चीज की अति शरीर के लिए खराब होती है, चाहे वह पानी हो! सही मात्रा में पियें।