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राज्यों को केंद्र की घटती सहायता गहरी चिंता का विषय-कैप्टन अमरिन्दर सिंह  

नई दिल्ली, 3 अक्तूबर: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज राज्यों के लिए और साधनों की मांग की जिससे इनके सर्वपक्षीय विकास को और बेहतर ढंग से अमल में लाया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार को जी. एस. टी. से सम्बन्धित मसले जल्दी से जल्दी हल करने की अपील की जिससे राज्य यह सुनिश्चित कर सकें की केंद्रीय फंडों की देरी की क्षतिपूर्ति उनको न भुगतनी पड़े। 

जी. एस. टी. एक्ट लागू होने से लेकर अब तक हुई अलग-अलग संशोधनों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा की ऐसा लगता है की केंद्र ने इस नयी टैक्स प्रणाली को लागू करने से पहले गहराई तक जाकर विचार नहीं किया। उन्होंने कहा की जी. एस. टी. की अदायगी की देरी के मामले को पंजाब लगातार उठाता आ रहा है परन्तु तरीकें देने के अलावा कुछ नहीं हुआ। उन्होंने जी. एस. टी. के तहत राज्यों का हिस्सा रोकने के लिए केंद्र सरकार की अलोचना भी की। 

आज यहां भारतीय आर्थिक सम्मेलन में ' यूनियन ऑफ स्टेटस' के सैशन को संबोधन करते हुए और इसके बाद पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत के दौरान कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्र से राज्यों को मिलती वित्तीय सहायता घटने पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा की एक समय फंडों की बांट 90:10 के अनुपात से होती थी परन्तु अब यह बहुत नीचे चली गई है। उन्होंने अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम की मिसाल भी दी जिसको केंद्र सरकार की तरफ से पहले पूरी तरह स्पांसर किया जाता था और अब केंद्र इसमें से बाहर निकलने की योजना बना रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा की उन्होंने इस मसले को केंद्र सरकार के पास भी उठाया है। 

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा की राज्य और केंद्र के बीच टैक्सों के विभाजन का मापदण्डों का घटना बहुत चिंता का विषय है। उन्होंने कहा,' 'वेतन देने जैसे प्राथमिक फर्ज निभाने के लिए मैं कर्ज क्यों लूँ?''

भारत सरकार की तरफ से हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक से फंड लेने का हवाला देते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा की यदि केंद्र सरकार राष्ट्रीय साधनों से फंड निकलवाने या उधार ले सकती है। इसी तरह संघीय ढाँचे में राज्य को भी अपने स्तर पर और साधन रखने का हक होना चाहिए। 

उनकी सरकार की नये वित्त कमीशन पर लगी आशाओं बारे पत्रकारों की तरफ से पूछे सवाल बारे कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा की 15वें वित्त कमीशन की शुरुआत से पहले राज्य सरकार सभी पक्षों को जांचेगी। 

वैश्विक वित्तीय संकट का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा की उद्योगीकरण के बढऩे और मजबूत कृषि आर्थिकता के नतीजे के तौर पर पंजाब इससे बड़े स्तर पर बचा हुआ है। उन्होंने कहा की राज्य में उनकी सरकार बनने से लेकर अब तक 50 हजार करोड़ से अधिक का निवेश हासिल हो चुका है और अब इसको निवेश के लिए सबसे पसन्दीदा स्थान के तौर पर देखा जा रहा है।

इससे पहले सम्मेलन के दौरान संबोधन करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा की केंद्र, पंजाब जैसे राज्यों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता क्योंकि पंजाब लंबे समय से मुल्क की अनाज की जरूरतों की पूर्ति करने के अलावा विकास के रास्ते पर चल रहा है। 

मुख्यमंत्री ने कहा की समूचे मुल्क की अन्न सुरक्षा को यकीनी बनाने की जिम्मेदारी पंजाब के कंधों पर डाली गई थी और राज्य की तरफ से इस जिम्मेदारी को हरित क्रांति से लेकर अब तक निभाया जा रहा है। उन्होंने कहा की अब केंद्र सरकार पंजाब का साथ दे और अन्य विकास करने के लिए राज्य के सामथ्र्य को प्रोत्साहन दे। 

उन्होंने यह भी नुक्ता उठाया की 1960 से लेकर भारत के लिए अन्न पैदा करने वाला अगुआ राज्य होने के नाते पंजाब उस समय अपने उद्योग के प्रसार की तरफ ध्यान एकाग्र नहीं कर सका जिस कारण उन्होंने आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए राज्य के प्रोग्रामों और नीतियों के लिए केंद्र से सहायता मांगी। 

इस सैशन का संचालन सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के प्रमुख और सी. ई. ओ. यामिनी अय्यर ने किया और इसमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनार्ड संगमा, तेलंगाना के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रामा राओ और आंध्रप्रदेश के उद्योग और व्यापार मंत्री मेकापती गौथम रेड्डी ने भी हिस्सा लिया। 

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