आपकी चौड़ी और मोटी कमर आपके स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक हो सकती है। अगर आप वैसे तो छरहरे हैं लेकिन आपकी कमर मोटी है तो आपको भी यह खतरा हो सकता है।
यही बात मैं अपने 26 वर्षीय चचेरे भाई को समझाने की कोशिश कर रही थी, जो अपने थुलथुले पेट की यह कहकर अनदेखा कर रहे थे कि यह तो कुछ भी नहीं है। यह केवल मेरे खराब पोश्चर की वजह से है। मेरा वजन ठीक है। मैं हर दिन इसकी जाँच करता हूँ!
हालांकि उनकी उम्र अभी ज्यादा नहीं हुई है लेकिन उनका रक्तचाप अधिक है। आखिर ऐसा क्यों? इस बात को समझें।
दरअसल हमें यह समझने की आवश्यकता है कि जब हमें बेसल मेटाबोलिक इंडेक्स (बीएमआई) से यह पता चले कि हमारे शरीर का वजन लंबाई के हिसाब से सही नहीं है, तो यह चिंता की बात है और वास्तव में हमें मधुमेह, हृदय रोग और अन्य बीमारियों के खतरे को समझना चाहिए। हमें एक और कदम आगे बढ़कर अपनी कमर की परिधि (पेट के घेरे) की भी माप लेनी चाहिए। ऐसा करना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि न केवल आपका अतिरिक्त वजन खतरनाक है, बल्कि अतिरिक्त पाउंड कहां पर है, खतरा इस पर भी निर्भर करता है।
इसलिए टेप निकालें और अपनी कमर की परिधि (पेट का घेरा) का माप लें। महिलाओं के लिए 32 इंच से अधिक और पुरुषों के लिए 37 इंच से अधिक कमर की परिधि जीवनशैली से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ा सकती है, चाहे उनकी लंबाई और वजन कुछ भी क्यों न हो।
आपके लिए कितना खतरा है इसका सबसे बेहतर पता आपकी कमर की परिधि (आपके पेट के सबसे निचले हिस्से) से आपके कूल्हे की परिधि (सबसे चैडे हिस्से) के अनुपात से लगाया जा सकता है। पुरुश के लिए 1.0 से अधिक (दूसरे शब्दों में आपकी कमर आपके कूल्हों से बड़ी है) या महिला के लिए 0.8 से अधिक के अनुपात का मतलब है कि आपको तत्काल अपनी जीवन शैली के विकल्पों पर फिर से ध्यान देनेे और उनमें सुधार करने की आवश्यकता है। हो सकता है कि सभी बर्गर लंच न केवल सीधे आपके पेट में जा रहे हों, बल्कि वहां रहकर आपके रक्तचाप को भी बढ़ा रहे हों।
अनुसंधान से साफ तौर पर पता चलता है कि अपने पेट के हिस्से के आसपास वसा के जमाव वाले लोगों को उसी समान बाॅडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले लोगों जिनके षरीर पर वसा का जमाव कहीं और (जांघों या बाहों आदि में) हो, की तुलना में उच्च रक्तचाप होने का अधिक खतरा होता है।
इससे भी एक बुरी खबर है। अनुसंधान के अनुसार यहां तक कि धूम्रपान नहीं करने वाले लोगों के पेट में जमा वसा के कारण सीओपीडी (क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) का खतरा बढ़ जाता है। सीओपीडी ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़े बहुत बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। साथ ही पेट का वसा अस्थमा, ऑस्टियोपोरोसिस और डायबिटीज के खतरे को भी बढ़ाता है।
ऐसा लगता है कि जब वसा किडनी, लीवर और पैंक्रियाज जैसे अंगों पर दवाब डालता है तो यह अलग तरीके से व्यवहार करता है। आपका वजन बढ़ने पर आपके पेट में कितना वसा जमा होगा, इसमें आनुवांशिकी प्रमुख भूमिका निभाता है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि आंत (पेट) का वसा इस पर केंद्रित वजन घटाने के प्रयासों से कम होता है।
लेकिन सिर्फ वजन कम करने से ज्यादा फायदा नहीं होगा, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी सचेत प्रयास करना चाहिए कि पेट अंदर की ओर धंसा रहे। इसलिए न सिर्फ इस पर ध्यान देना जरूरी है कि आप कितना वसा का सेवन कर रहे हैं बल्कि आप जिस तरह का वसा का सेवन कर रहे है, उस पर भी बहुत बारीकी से ध्यान दें। हमें वसा का बिल्कुल सेवन नहीं करने की बजाय असंतृप्त वसा (मुफा और फुफा) का सेवन करना चाहिए और समझना चाहिए कि अधिक वसा और अधिक चीनी दोनों खाद्य पदार्थ पेट की चर्बी और फैटी लीवर के मित्र हैं। इसलिए, शाम चार बजे चिप्स खाने पर अंकुश लगाने का यह सही समय है!
सोडा का डर भी सही है। मीठा सोडा में कैलोरी नहीं होती है, लेकिन यह आपके आहार को स्पष्ट रूप से खराब करता है और इससे बनाये गये खाद्य पदार्थ आपकी कमर का भी विस्तार कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उसमें कृत्रिम मिठास होते हैं, जो नियमित चीनी की तुलना में सैकड़ों गुना अधिक मीठे होते हैं। ये हमारे शरीर के मेटाबोलिज्म के लिए यह भ्रम पैदा करते हैं कि शरीर में शुगर आ रहा है और शुरीर इंसुलिन, फैट जमा करने वाले हार्मोन उत्सर्जित करता है जिससे पेट में अधिक चर्बी बढ़ती है।
इस सबका सार यह है कि अपनेे पेट को कम करने के लिए प्रयास करना महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह न केवल अप्रिय लगता है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर रूप से खतरनाक है।
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