मैक्स सुपर स्पेशलिटी हाॅस्पिटल ने रॉयल मैवरिक्स के सहयोग से अंग दान के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए दिल्ली से मूर्थल तक एक बाइक परेड आयोजित किया। इस परेड में 150 से अधिक बाइक सवारों ने हिस्सा लिया। उन्होंने अपने बाइक पर राष्ट्रीय ध्वज को लहराते हुए 60 किलोमीटर की दूरी तय की। बाइक सवारों को सुबह 6ः30 बजे रवाना किया गया था। उसके बाद सभी बाइक सवारों को अंग दान करने की षपथ पर हस्ताक्षर कराने के लिए उपहार में पौधे दिये गये, जो जीवन के प्रतीक का संकेत हैं।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग के यूरोलॉजी एंड रेनल ट्रांसप्लांटेशन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. वाहिद ज़मान ने कहा, ''भारत में अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा करने वाले लोगों की संख्या और उपलब्ध अंगों के बीच व्यापक अंतर है। अंग दान के बारे में जागरूकता पैदा करने के मामले में हम हमेशा अग्रणी रहे हैं। एक अंग दाता अपने अच्छी तरह से काम कर रहे अंगों को दान करके औसतन 8 से अधिक लोगों के जीवन को बचाता है। अंग प्रत्यारोपण की जरूरत वाले रोगियों में से केवल 10 प्रतिशत रोगी ही समय पर अंग प्राप्त करते हैं और अंग दान के लिए आगे आना अब समय की जरूरत है। अधिकांश जनसंख्या के युवा होने, और भारतीय समाज में अंग दान को अच्छी तरह से स्वीकार नहीं किये जाने के कारण, हम इस प्रवृत्ति में परिवर्तन लाने के लिए युवाओं से सहयोग लेने में विश्वास करते हैं।''
ऑर्गन इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, अंगों के खराब होने के कारण लगभग 5 लाख लोगों की सालाना मौत हो जाती है। एक लाख से अधिक लोगों को लीवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है और केवल 1 प्रतिशत (एक हजार) लोगांे में ही लीवर प्रत्यारोपण हो पाता है। इसी प्रकार किडनी प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा करने वाले मरीजों में से केवल 7 प्रतिषत मरीजों में ही प्रत्यारोपण हो पाता है। कई रिपोर्टों से पता चलता है कि भारत में अंग दान के लिए सहमति देने के लिए आगे नहीं आने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ा कारण जागरूकता की कमी, सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं, साथ ही साथ अंग दान के कारण अपने स्वयं के स्वास्थ्य को लेकर संदेह है।
अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और नीदरलैंड जैसे देशों में अंग दान के लिए 'पारिवारिक सहमति' प्रणाली है जहां लोग दाताओं के रूप में साइन अप करते हैं, और उनके परिवार की सहमति की आवश्यकता होती है। सिंगापुर, बेल्जियम और स्पेन जैसे अन्य देशों में 'अनुमानित सहमति' का अधिक व्यापक दृष्टिकोण है, जो डिफ़ॉल्ट रूप से अंग दान की अनुमति देता है।
प्रत्यारोपण के लिए दान किए जा सकने वाले अंगों में शामिल हैं - गुर्दे, दिल, फेफड़े, यकृत, छोटी आंत और पैनक्रियाज। ऊतकों को दान किये जा सकने वाले अंगों में आंखें, हृदय वाल्व, हड्डी, त्वचा, नसें और टेंडन शामिल हैं। हृदय, यकृत, गुर्दे, आंतों, फेफड़ों, और पैनक्रियाज जैसे महत्वपूर्ण अंग केवल 'मस्तिष्क की मृत्यु' के मामले में दान किए जा सकते हैं। हालांकि कॉर्निया, हृदय वाल्व, त्वचा, हड्डियों आदि जैसे अन्य ऊतकों को प्राकृतिक मौत के मामले में ही दान किया जा सकता है।
अंगदान को लेकर जागरूकता के लिए बाइक परेड
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