जब हम किसी व्यक्ति से पहली बार मिलते हैं तो हमारा पहला संवाद आंखों के जरिये होता है। समुचित तरीके से विकसित और सुव्यवस्थित पलकों से घिरी हमारी आखें किसी व्यक्ति के सौंदर्य एवं व्यक्तित्व में चार चांद लगाती हैं।
हमारी उम्र के बढ़ने का पहला संकेत आंखों से ही मिलता है। आंखों के चारों तरफ की ढीली- ढाली त्वचा और झुर्रियां, गिरी हुयी और भैंगी पलकें किसी व्यक्ति की बढ़ती उम्र की कहानी कहती हैं। यही नहीं, आंखों के बाहरी कोनों पर अत्यधिक झुर्रियों और किनारे पर पतली लकीरें (क्रोज फीट) के कारण व्यक्ति अपना आकशण खो देता है।
पलकों की सर्जरी (आई लिड सर्जरी) या ब्लेफारोप्लास्टी के जरिये उपरी, निचली अथवा उपर-नीचे दोनों तरफ की पलकों के सौंदर्य में चार चांद लगाया जा सकता है। इस सर्जरी के जरिये आंखों के आसपास के हिस्से में सुधार लाया जा सकता है तथा पलकों के नीचे झुक जाने के कारण दृश्टि में आने वाली बाधा को दूर किया जा सकता है। इस तरह से व्यक्ति के सौदर्य एवं नेत्र दृश्टि दोनों में सुधार लाया जा सकता है।
ऑपरेटिव और पोस्ट ऑपरेटिव:
यह सर्जरी लोकल एनेस्थीसिया के तहत की जाती है और पूरी तरह से दर्द रहित है। एक ही सीटिंग में उपरी, निचली और उपर-नीचे दोनों पलकों के दोषों को दूर किया जा सकता है। आंखों की पलकों पर जरूरी मार्किंग के बाद त्वचा की अतिरिक्त सिलवटों को दूर कर दिया जाता है। इसके अलावा पलकों के नीचे से अतिरिक्त वसा को भी निकाल दिया जाता है।
कई बार नीचे की पलकों को ठीक करने के लिये कसावट लाने की प्रक्रिया करने की जरूरत होती है। मांसपेशियों में कसावट लाने या उन्हें छोटा करने से उपरी पलकों के नीचे झुकने या गिरने की समस्या समाप्त हो जाती है। हंसने के दौरान आंखों के किनारे उभरने वाली लकीरें तथा झुर्रियों को कम किया जा सकता है लेकिन पूरी तरह से दूर नहीं किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के कारण बनने वाले जख्मों को भर दिया जाता है और टांकों पर मलहम लगाये जाते हैं।
पहले दो से तीन दिनों तक आंखों के आसपास सूजन और लालिमा रहती है और उसके बाद यह ठीक होने लगती है। आॅपरेषन के पांचवे या छठे दिन सभी टांके हटा दिये जाते हैं। शुरू में स्टिच लाइन दिखती है लेकिन एक महीने में ये दूर हो जाती है और प्राकृतिक त्वचा हो जाती है।
परिणाम और जटिलतायें:
टांके हटने के एक सप्ताह बाद चेहरे पर ताजगी आ जाती है एवं यौवन झलकने लगता है। ज्यादातर मामलों में इस सर्जरी के बाद चेहरा अधिक साफ दिखता है। आॅपरेषन के बाद की दिक्कत तथा पलकें खोलने की दिक्कत कम हो जाती है और आंखें थकी-थकी नहीं लगती है।
सर्जरी के कोई गंभीर दुश्प्रभाव नहीं होते हैं। खून बहने के कारण कई बार अधिक सूजन होती है लेकिन इसका समाधान हो सकता है। लैक्स मार्जिन के कारण सहारे में कमी या अधिक रिसेक्षन के कारण निचली लिड झुकने जैसी स्थिति आती है। इसे ठीक करने के लिये निचली लिड मार्जिन में कसावट लाने की प्रक्रिया की जाती है। जिन लोगों को ड्राई आई सिंड्रोम है या जिन्हें आंसू बनने में दिक्कत होती है उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है। चिकित्सा शास्त्र में बहुत ही दुर्लभ स्थिति में आईबाॅल में असामान्य रक्तस्राव होने के कारण रौशनी को क्षति पहुुचने की बात कही गयी है।
ब्लेफारोप्लास्टी करेगी पलकों का कायाकल्प
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