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लैप्रोस्कोपी से गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का इलाज

गर्भाशय ग्रीवा (गर्भ के मुंह) कैंसर पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीय महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। इसके कारण भारत में हर साल करीब 72 हजार महिलाओं की मौत होती है जो कि दुनिया भर में होने वाली दो लाख 75 हजार मौत का 26 प्रतिषत से भी अधिक है।
आम तौर पर 18 से 45 वर्ष की महिलाओं को प्रभावित करने वाला गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का संबंध यौन संचारित वायरस ह्युमन पैपिलोमा वायरस से है, जो जननांग में गांठ/मस्से भी पैदा करता है।
लक्षण
दुर्भाग्य से, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लक्षण षुरुआत मंे शायद ही कभी प्रकट होते हैं। इसके लक्षण तब दिखना शुरू होते हैं जब कैंसर तेजी से बढ़ने लगता है। इसके लक्षणों में असामान्य योनि स्राव, दो पीरियड के बीच में अप्रत्याषित रक्तस्राव, यहां तक कि रजोनिवृत्ति तक पहुंचने के बाद भी रक्तस्राव, यौन संबध के दौरान रक्तस्राव या असहनीय दर्द शामिल हैं।
रोग की पहचान
गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का जल्दी पता लगाने के लिए पैप स्मीयर परीक्षण सबसे अच्छा तरीका है। इसके लिए गर्भाशय के मुंह से स्वाब को लेकर असामान्य कोषिकाओं का पता लगाया जाता है। यहां तक कि कभी - कभी कैंसर के प्रकट होने से पहले ही इससे असामान्य कोषिकाओं का पता चल सकता है। विषेशज्ञ हर महिला को 30 साल की उम्र के बाद हर तीन साल पर पैप स्मीयर जांच कराने की सलाह देते हैं।
इलाज
इसकी जल्द पहचान होने पर इसेे पूरी तरह से ठीक होने की अधिक संभावना होती है।
नयी सर्जिकल तकनीक
लेप्रोस्कोपी और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर:
अब विशेषज्ञों के द्वारा लैप्रोस्कोपी की मदद से षुरूआती अवस्था के कैसर को पूरी तरह से दूर करना संभव है। यदि महिला का परिवार पूरा हो गया हो और वह और बच्चे नहीं चाह रही हो, तो लैप्रोस्कोपी के द्वारा आसपास के उतकों और नोड्स को हटाने के साथ रैडिकल हिस्टेरेक्टाॅमी की जाती है। लेकिन वैसी महिलाएं जो भविश्य में बच्चे पैदा करना चाहती हैं तो उनमें लैप्रोस्कोपी की मदद से रैडिकल ट्रैकेलेक्टाॅमी (केवल आसपास के ऊतक और नोड्स के साथ गर्भाशय के मुंह को हटाना) की जाती है।
लाभ: 
लैप्रोस्कोपी की मदद से इस प्रक्रिया को करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे ओपन सर्जरी की तुलना में कैंसर को पूरी तरह से और बेहतर तरीके से हटाया जा सकता है। लैपरोस्कोपिक सर्जरी में रोगी को कम दर्द होता है और रक्त की बहुत कम हानि होती है और इसलिए सर्जरी के बाद आम तौर पर रक्त चढ़ाने की आवष्यकता नहीं होती है। सर्जरी के बाद रोगी तेजी से रिकवरी भी करती है। कुल मिलाकर रोगी कैंसर की सर्जरी के बाद बहुत जल्द (दो से तीन दिन) अपनी दैनिक दिनचर्या करने लगती है और वह जल्द ही अपनी बीमारी से मुक्त हो जाती है। यही नहीं, अच्छी तरह से इलाज की गयी युवा महिला इस सर्जरी के बाद अपने बच्चे भी पैदा कर सकती है। हालांकि इसके लिए लैपरोस्कोपी से कैंसर के इलाज के समय ही लैपरोस्कापिक इनसरक्लेग की मदद से उसके गर्भाशय के मुंह में स्थायी रूप से कसावट लाने की जरूरत होती है।
तथ्य 
धूम्रपान गर्भाशय ग्रीवा कैंसर होने के खतरे का बढ़ाता है।
कई लोगों से यौन संबंध स्थापित करने पर गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर होेने का खतरा बढ़ जाता है।
कंडोम के उपयोग से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का खतरा कम हो जाता है।


 


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