मधुमेह ने जीवनशैली से जुड़ी महामारी का रूप अख्तियार कर लिया है। यह हृदय और लीवर को किस प्रकार नुकसान पहुंचाता है, इसके बारे में व्यापक रूप से लिखा गया है। लेकिन यह न सिर्फ हृदय और लीवर को नुकसान पहुंचाता है बल्कि यह हमारी आंखों को भी उतना ही नुकसान पहुंचाता है। लेकिन इसके बारे में सिर्फ नेत्र रोग विषेशज्ञ जान सकता है या वह व्यक्ति जान सकता है जो मधुमेह से पीड़ित हो। मधुमेह के कारण जो नेत्र रोग होता है उसे डायबेटिक रेटिनोपैथी कहा जाता है। यह बीमारी पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकती है और इसमें दृष्टि को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है। हाल के एक अध्ययन के अनुसार, 40 साल से अधिक उम्र के करीब 70 प्रतिशत वयस्क में, अंधापन का कारण डायबेटिक रेटिनोपैथी है। डायबेटिक रेटिनोपैथी के रोगियों में मधुमेह से पीड़ित गर्भवती महिलाओं का प्रतिषत भी काफी अधिक है।
डायबेटिक रेटिनोपैथी मधुमेह से पीड़ित लोगों में ही होती है। यह रेटिना को काफी नुकसान पहुंचाती है। रेटिना आंखों के पीछे हल्की संवेदनशील लाइनिंग होती है। डायबेटिक रेटिनोपैथी मधुमेह की एक जटिल स्थिति होती है जिसमें दृश्टि की गंभीर क्षति होती है।
मधुमेह शर्करा (ग्लूकोज) का उपयोग और संचय करने की शरीर की क्षमता को प्रभावित करता है। इस बीमारी में रक्त में बहुत अधिक शुगर हो जाता है, जो आँखों सहित पूरे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।
बाद में, मधुमेह रेटिना में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है जिसके कारण डायबेटिक रेटिनोपैथी हो सकती है और छोटी रक्त वाहिकाओं से रक्त और अन्य तरल पदार्थों का रिसाव हो सकता है। इसके कारण रेटिना के ऊतक में सूजन हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप दृष्टि धुंधली हो सकती है। यह स्थिति आम तौर पर दोनों आँखों को प्रभावित करती है। जिस व्यक्ति को जितना लंबे समय तक मधुमेह होता है, उसे डायबेटिक रेटिनोपैथी होने की संभावना उतनी ही अधिक हो जाती है। डायबेटिक रेटिनोपैथी का इलाज नहीं कराने पर यह अंधापन पैदा कर सकती है।
मधुमेह टाइप वन (शुरुआती बचपन से) के रोगियों की तुलना में टाइप टू (जीवन शैली के कारण होने वाला मधुमेह) के रोगियों में डायबेटिक रेटिनोपैथी अधिक आम है। कुछ दुर्लभ मामलों में डायबेटिक रेटिनोपैथी के लक्षण प्रारंभिक अवस्था में ही दिखाई देते हैं लेकिन आम तौर पर केवल मूल लक्षण ही दिखाई देते हैं जैसे कि नजर के सामने काले धब्बे दिखना, धुंधली और अस्थिर दृष्टि, दृष्टि का कम होना, रंग को पहचानने में कठिनाई, और दृष्टि क्षेत्र में गहरे या खाली क्षेत्र का दिखना।
अक्सर डायबेटिक रेटिनोपैथी के शुरुआती चरण में दृश्टि से संबंधित कोई लक्षण नहीं होते हैं। इसलिए मधुमेह से पीड़ित हर रोगी को रेटिना विशेषज्ञ के द्वारा साल में एक बार व्यापक डायलेटेड नेत्र परीक्षण कराने की सलाह दी जाती है। डायबेटिक रेटिनोपैथी की प्रारंभिक अवस्था में पहचान कर और इलाज कर दृश्टि को क्षति पहुंचने की क्षमता को सीमित किया जा सकता है।
आप कुछ उपायों पर अमल कर डायबेटिक रेटिनोपैथी को बढ़ने से रोक सकते हैं या धीमा कर सकते हैं, जैसे - डाॅक्टर द्वारा सलाह दी गयी दवा का नियमित रूप से सेवन करें, सलाह दिये गये आहार का ही सेवन करें, नियमित रूप से व्यायाम करें, उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखें, शराब और धूम्रपान से परहेज करें।
डायबेटिक रेटिनोपैथी का इलाज डायबेटिक रेटिनोपैथी के प्रकार और इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। इसका इलाज मुख्य रूप से रोग की गति को धीमा करने या रोकने पर केंद्रित होता है। आपकी दृष्टि या नजर को हानि पहुंचाने या प्रभावित करने वाले डायबेटिक रेटिनोपैथी का मुख्य उपचार इस प्रकार हैंः
लेजर उपचार - उपचार के इस विधि का इस्तेमाल आंख (रेटिना) के पीछे की नए रक्त वाहिकाओं के विकास के इलाज के लिए और आंखों में रक्त और द्रव के रिसाव को रोकने के लिए किया जाता है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, इसमें आंखों में लेजर किरणें डाली जाती हैं और आंखों को सुन्न करने और पुतलियों को चैड़ा करने के लिए एनेस्थेटिक आई ड्राॅप डाला जाता है। इसमें आम तौर पर लगभग 20-40 मिनट लगता है। इसमें आम तौर पर दृश्टि का धुंधला होना और प्रकाष के प्रति संवेदनषीलता का बढ़ जाना जैसे कुछ दुश्प्रभाव हो सकते हैं।
आंखों में इंजेक्शन लगाना - कुछ मामलों में, रेटिना विशेषज्ञ को आंखों में इंफ्लामेषन को कम करने या आंखों के पीछे नयी रक्त वाहिकाओं को बनने से रोकने के लिए आंखों में दवा (ल्यूसेंटिस, अवास्टिन) इंजेक्ट करने की जरूरत पड़ सकती है। इससे दृष्टि में सुधार भी हो सकता है। इंजेक्शन आम तौर पर एक महीने में एक बार दिया जाता है और एक बार जब दृष्टि स्थिर हो जाती है, तो उन्हें बंद कर दिया जाता है या कम बार दिया जाता है। इलाज की इस विधि के आंख में जलन या बेचैनी, आंखों के अंदर रक्तस्राव, आंखों में खुजली, आंखों में कुछ तैरने या आंखों में कुछ होने का अहसास होने जैसे खतरे हो सकते हैं।
डायबेटिक रेटिनोपैथी के गंभीर मामले वाले रोगियों में आंख के पीछे विट्रियस नामक जेल की तरह के द्रव को हटाने और बदलने के लिए शल्यक्रिया (विट्रेक्टाॅमी) कराने की आवश्यकता हो सकती है। इससे संबंधित रेटिनल डिटैचमेंट को ठीक करने के लिए भी सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। अप्रमाणित इलाजों पर अमल करने के चक्कर में मानक उपचार में देरी नहीं चाहिए। दृष्टि को क्षति पहुंचने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका जल्द से जल्द रोग की पहचान करना है।
डॉ. राजीव जैन, नेत्र रोग विशेषज्ञ, निदेशक, सेव साइट सेंटर, नई दिल्ली
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