डायबिटीज रोगियों पर वातावरण का काफी प्रभाव पड़ता है। वातावरण कई तरह का हो सकता है। चाहे घर का माहौल हो, कार्यालय का माहौल हो, आसपास के लोगों का माहौल हो या फिर जिन जगहों पर आप जाते हैं, इन सबका डायबिटिक के स्वास्थ्य पर बहुत असर पड़ता है।
मान लीजिए कोई डायबिटिक मरीज ऐसे लोगों के साथ रहता है जो धूम्रपान बहुत करते हैं, इतना ही नहीं एल्कोहल और नशीले पदार्थों का सेवन भी करते हैं तो निश्चित रूप से डायबिटीज के रोगी पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा क्योंकि डायबिटीज मरीज न सिर्फ इन चीजों का आदी हो सकता है बल्कि धूम्रपान का धुआं भी डायबिटीज मरीज को हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकता है। इस तरह डायबिटीज के मरीज पर धूम्रपान का दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
यदि डायबिटीज का मरीज किसी कारखाने में काम करता है या फिर ऐसी जगह काम करता है जहां केमिकल इत्यादि का काम होता है या फिर जहां बहुत अधिक गंदगी है तो इसका असर डायबिटीज के मरीज पर पड़ सकता है और वह और अधिक बीमार हो सकता है और उसे कई और बीमारियां या संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है।
प्रदूषण का भी डायबिटीज के मरीज के स्वास्थ्य पर बहुत खराब असर पड़ता है। अगर डायबिटीज का रोगी प्रदूषण वाले स्थान पर रहता है तो उसे सांस संबंधी बीमारियां होने की आंशका रहती है। इतना ही नहीं प्रदूषण के कारण डायबिटीज से होने वाली समस्याएं बढ़ जाती हैं।
डायबिटीज मरीज को तले-भुने खाद्य पदार्थों को नजरअंदाज करना चाहिए। इतना ही नहीं शुगर रहित चीजों का सेवन करना चाहिए और अपने खानपान में लो कैलोरी और लो फैट को ही प्राथमिकता देनी चाहिए। डायबिटीज के मरीज ऐसा आहार ना लें जिससे उनका शुगर लेवल बढ़ने की आशंका हो।
तनाव भरा माहौल डायबिटीज के रोगी को और अधिक बीमार कर सकता है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि डायबिटीज मरीज तनाव से दूर रहें और ऐसे माहौल से दूर रहे जहां हर समय तनाव हो।
डायबिटीज के मरीजों के लिए जरूरी है कि वह अधिक से अधिक सक्रिय रहे। शारीरिक निष्क्रियता डायबिटीज मरीजों में मोटापा बढ़ा सकता है जिससे उन्हें कई और गंभीर बीमारियां होने की आशंका बढ़ सकती है।
इस प्रकार डायबिटीज के मरीजों के लिए अच्छा वातावरण होना बहुत जरूरी है। तभी वे ना सिर्फ डायबिटीज को नियंत्रित कर पाएंगे बल्कि सेहतमंद भी रह पाएंगे।
डायबिटीज के रोगियों पर वातावरण का प्रभाव
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