गर्मी के मौसम का एक अलग ही मजा है और इसलिए इम इस मौसम का स्वागत तहे दिल से करते हैं। इस मौसम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मौसम में हम धूप के संपर्क में रहते हैं जिससे हमें विटामिन डी मिलती है जो हमारी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। लेकिन विटामिन डी सिर्फ हमारी हड्डियों को ही मजबूत नहीं करती है बल्कि यह उन महिलाओं के लिए भी वरदान के समान है जो प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण नहीं कर पाने के कारण आईवीएफ उपचार का सहारा लेना चाहती हैं। अध्ययनों से पता चला है कि गर्मी के मौसम में आईवीएफ की सफलता दोगुनी हो जाती है। इसके अलावा गर्भ धारण करने के बाद गर्भावस्था में भी विटामिन डी का काफी महत्व है। इस दौरान शरीर में अधिक मात्रा में विटामिन डी जाने का असर काफी लंबे समय तक रहता है। यह बच्चे के विकास के लिए भी बेहद जरूरी है।
हालांकि हम सभी यह बात काफी पहले से जानते हैं कि गर्भावस्था में विटामिन डी का क्या महत्व है और बच्चे के विकास में यह किस प्रकार योगदान करता है। लेकिन हाल के शोध से यह भी पता चला है कि यह आईवीएफ उपचार की सफलता दर को भी बढ़ा सकता है।
शोध के अनुसार महिलाओं में गर्मी के मौसम में आईवीएफ उपचार कराने पर उसके गर्भ धारण करने की संभावना दोगुनी से भी अधिक हो जाती है। यह भी पाया गया है कि नींद के पैटर्न के लिए जिम्मेदार मेलाटोनिन हार्मोन गर्मी के दौरान महिलाओं में प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है। मेलाटोनिन न केवल सोने और जागने के पैटर्न को निर्धारित करता है बल्कि महिलाओं की प्रजनन क्षमता में भी सुधार करता है। गर्मी के महीनों के दौरान यह हार्मोन सीधे प्रजनन ऊतक पर कार्य करता है जिससे महिलाओं में प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है। इसका एक फायदा यह भी है कि गर्मी के मौसम में गर्भ धारण करने पर बच्चा सर्दी के मौसम के बाद पैदा होगा जिससे उसे अपनी पहली सर्दी का सामना करने के लिए छह से आठ महीने का समय मिल जाएगा।
आईवीएफ उपचार के दौरान, महिलाओं को अधिक गोनाडोट्रोफिन हार्मोन की आवश्यकता होती है जिसका उपयोग सर्दियों के मौसम के दौरान अंडे बनाने के लिए अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए किया जाता है। सर्दी के महीनों में प्राकृतिक धूप की कमी के कारण सिर्फ 18 प्रतिशत आईवीएफ ही सफल होते हैं जबकि गर्मी के महीनों में इसकी सफलता दर 25 प्रतिशत तक होती है।
गर्मी के महीने आम तौर पर टैनिंग, छुट्टियों और लंबे दिनों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन इनफर्टिलिटी का सामना कर रही महिलाओं के लिए मई, जून, जुलाई, अगस्त के चार गर्म महीनों का मतलब कुछ अलग है। ये महीने उन्हें इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) चक्र का एक और सुनहरा मौका प्रदान करते हंै।
गर्मियों में आईवीएफ उपचार के निम्न लाभ हैं:
— खुशी में वृद्धि - गर्मी के मौसम में हम अधिक खुश होते हैं और हमारी एंग्जाइटी कम हो जाती है। इसका कारण यह है कि गर्मी के मौसम में अधिक समय तक धूप होती है और इसके कारण इम धूप में अधिक समय बिताते हैं और हमारे शरीर को विटामिन डी भी अधिक मात्रा में मिलती है। आईवीएफ चक्र से गुजर रही महिलाओं के धूप में अधिक समय बिताने पर उनका तनाव कम हो जाता है और उनके गर्भ धारण करने की संभावना बढ़ जाती है। दरअसल तनाव का आईवीएफ के परिणाम पर काफी अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। और जब महिला का मूड अच्छा होता है तो उसके गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है।
— कम व्यस्तता — गर्मी के दौरान हम कम काम करते हैं और कम व्यस्त होते हैं, इसलिए आप आईवीएफ प्रक्रिया में लगने वाले समय के लिए अधिक समय निकाल पाएंगी।
— दिन का लंबा होना — गर्मी के मौसम में किसी भी अन्य मौसम की तुलना में पूर्वी गोलार्ध में दिन लंबा होता है। अधिक समय तक धूप रहने के कारण महिलाएं अपने पार्टनर के साथ अधिक समय बिताती हैं और फर्टिलिटी का इलाज करा रही महिलाओं को अपने पार्टनर के साथ अधिक समय बिताने की आवश्यकता होती है। इसलिए यह मौसम एक दूसरे के साथ समय बिताने और एक दूसरे को सहारा देने का है।
गर्भावस्था में विटामिन डी का महत्व
विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के उचित स्तर को बनाए रखता है। यह बच्चे के दांतों और हड्डियों को बनाने में मदद करता है और जन्म से लेकर वयस्क होने तक हड्डी के विकास और प्रतिरक्षा कार्यों में भी मदद करता है। विटामिन डी की कमी के कारण गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के मधुमेह जैसी जटिल समस्याओं से पीड़ित हो सकती हैं। गर्भ धारण की कोशिश कर रही महिलाओं और गर्भावस्था के शुरुआती चरणों की महिलाओं को विटामिन डी रक्त परीक्षण कराने की सलाह दी जाती है।
आईवीएफ सफलता में विटामिन डी का योगदान
आईवीएफ उपचार करा रही वैसी महिलाएं जिनका विटामिन डी का स्तर ठीक रहता है, उनके अधिक गुणवत्ता वाले भ्रूण पैदा करने की अधिक संभावना होती है और उनकी गर्भधारण करने की संभावना भी दोगुनी होती है। अध्ययन में पाया गया है कि विटामिन डी का स्तर कम होने पर इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। यह भी पाया गया कि आईवीएफ चक्र की शुरुआत से पहले के कुछ महीने में अधिक धूप के संपर्क में रहनेे वाली महिलाओं में जन्म दर और उपचार में भी सुधार हुआ, जब अंडा परिपक्व हो रहा था।
उम्र, अंडे की गुणवत्ता और जीवन शैली जैसे सभी कारकों का आईवीएफ की सफलता पर काफी प्रभाव पड़ता है। आईवीएफ के चक्र से गुजर रही महिलाओं को इन सभी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। यदि आप आईवीएफ उपचार कराने पर विचार कर रही हैं तो अब आपसे यह पूछने की जरूरत नहीं है कि आपके लिए गर्मी का मौसम ठीक रहेगा या नहीं। जाहिर है, आपका जवाब 'हां' ही होगा। अगर आप गर्भ धारण नहीं कर पा रही हैं तो अच्छे मूड और पूरी धूप के साथ- साथ अपने पार्टनर के साथ गुणवत्ता पूर्ण समय बिताते हुए इस मौसम में आप जरूर आईवीएफ की कोशिश करें और गर्भ धारण करें।
गर्मियों में दोगुनी हो जाती है आईवीएफ की सफलता
~ ~
SEARCH
LATEST
6-latest-65px
POPULAR-desc:Trending now:
-
- Vinod Kumar मस्तिष्क में खून की नसों का गुच्छा बन जाने की स्थिति अत्यंत खतरनाक साबित होती है। यह अक्सर मस्तिष्क रक्त स्राव का कारण बनती ह...
-
विनोद कुमार, हेल्थ रिपोर्टर वैक्सीन की दोनों डोज लगी थी लेकिन कोरोना से बच नहीं पाए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक...
-
INDIAN DOCTORS FOR PEACE AND DEVELOPMENT An international seminar was organised by the Indian Doctors for Peace and Development (IDPD) at ...
-
अत्यधिक प्रतीक्षित इंडो इंटरनेशनल फैशन कार्निवल एंड अवार्ड्स सीजन 2: मिस, मिसेज और मिस्टर स्टार यूनिवर्स ने एक शानदार लोगो लॉन्च इवेंट के सा...
-
The woman in the picture with a smile is Salwa Hussein !! She is a woman without a heart in her body. She is a rare case in the world, as...
Featured Post
Air Pollution Fuels Alarming Rise in Childhood Asthma Cases (On World Asthma Day - 6 May)
- Vinod Kumar, Health Journalist In a month, 3-4 kids, aged 6-10, report symptoms like frequent coughing, breathlessness during play, dis...
