वैज्ञानिकों ने लहसुन को हृदय रोगों की रोकथाम में कारगर पाया है। खासकर मधुमेह रोगियों में कार्डियोमायोपैथी नामक हृदय रोग से बचाव में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। कार्डियोमायोपैथी एक प्रकार का हृदय रोग है। मधुमेह के रोगियों में डायबिटिक कार्डियोमायोपैथी होने का खतरा बहुत अधिक होता है। यही नहीं यह मधुमेह ग्रस्त लोगों में मौत का एक प्रमुख कारण है।
अमेरिकन केमिकल सोसायटी की पाक्षिक जर्नल ऑफ एग्रीकल्चरल एंड फूड केमिस्ट्री में प्रकाषित इस षोध रिपोर्ट के अनुसार मधुमेह रोगियों में हृदय रोग के कारण मृत्यु का खतरा अन्य लोगों की तुलना में कम से कम दोगुना होता है। मधुमेह से संबंधित मौतों में से करीब 80 प्रतिषत मौत के लिए हृदय रोग ही जिम्मेदार है। मधुमेह रोगी एक विषेश प्रकार के हृदय रोग डायबिटिक कार्डियोमायोपैथी के प्रति विषेश रूप से संवेदनषील होते हैं। यह हृदय की मांसपेषी के ऊतकों को उत्तेजित करता है और कमजोर कर देता है। कार्डियोमायोपैथी में हृदय की मांसपेषियां रक्त को पंप करने की क्षमता खो देती है। ऐसी स्थिति में हृदय फैलकर बड़ा हो जाता है। उसके इर्द-गिर्द पानी भर जाता है, रोगी की सांस फूलने लगती है, थकान रहती है, पैरों में सूजन आ जाती है और दिल की धड़कन बढ़ जाती है। ये लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं। इसके इलाज के लिए कार्डियोमायोप्लास्टी ऑपरेषन की एकमात्र उपाय है।
इस षोध के प्रमुख वी-वेन क्यो कहते हैं कि पहले के अध्ययनों में लहसुन को सामान्य हृदय रोगों से बचाव और रक्त षर्करा के असामान्य स्तर को सामान्य करने में कारगर पाया गया था। लेकिन इस अध्ययन में लहसुन को कार्डियोमायोपैथी से बचाव में भी कारगर पाया गया। हालांकि उनका कहना है कि डायबिटिक कार्डियोमायोपैथी पर लहसुन के प्रभाव को देखने के लिए अभी कुछ और अध्ययन करने की जरूरत है।
इस अध्ययन के तहत् वैज्ञानिकों ने प्रयोगषाला में मधुमेहग्रस्त चूहों पर लहसुन के तेल या मकई के तेल के प्रभाव पर अध्ययन किया। लहसुन के तेल का प्रयोग करने वाले चूहों में हृदय की क्षति से सुरक्षा संबंधित कई लाभदायक परिवर्तन देखे गये। वैज्ञानिकों के अनुसार यह लाभदायक परिवर्तन लहसुन के तेल में पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण के कारण हुआ। इसके अलावा उन्होंने लहसुन के तेल में 20 से अधिक ऐसे पदार्थों की पहचान की जो हृदय रोग से बचाव में कारगर हैं।
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