कामकाजी महिलाओं पर घर और दफ्तर दोनों की जिम्मेदारी होती है। घर और दफ्तर का काम खत्म करने के बाद उनके पास रोमांस और पार्टनर के साथ प्यार के लिए भरपूर वक्त नहीं बचता। काम की आपाधापी और तनाव का असर इनके बेडरूम में भी होने लगता है और धीरे-धीरे इन महिलाओं की प्रजनन क्षमता कम होने लगती है।
लंदन में एक फर्टिलिटी क्लिनिक चलाने वाली जीटा वेस्ट के अनुसार माॅडर्न कपल के पास प्यार करने के लिए उतना वक्त नहीं है जितना उनके पहले की पीढ़ी के पास था। इसी तरह से कामकाजी औरतें नौकरी के प्रति इतना ज्यादा समर्पित होती जा रही हैं कि मां बनने की संभावनाओं पर इसका असर पड़ने लगा है।
हेल्थ सर्विस के साथ काम कर चुकीं जीटा के अनुसार हर सात में एक महिला गर्भ धारण करने में तमाम मुश्किलों का सामना कर रही है। कई महिलाओॅ को मां बनने के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट का सहारा लेना पड़ता है। इससे निजात पाने का एक ही तरीका है कि प्यार के लिए भी चार पल निकाला जाए। औरतें काम के साथ आराम और प्यार को भी तरजीह दें।
कामकाजी महिलाओं की इनफर्टिलिटी को खतरा
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