पिछले कुछ सालों में मीठे सॉफ्ट ड्रिक्स के सेवन में तेजी से वृद्धि हुई है। एक अमरीकी अध्ययन के अनुसार मीठे सॉफ्ट ड्रिंक्स की बढ़ती खपत के कारण पिछले दशक में मधुमेह के एक लाख 30 हजार और हृदय रोग के 14 हजार नये मामले सामने आए हैं।
सैन फ्रांसिस्को के युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में मेडिसीन की एसोसिएट प्रोफेसर और इस अध्ययन की प्रमुख डा. किर्सटेन बिबन्स डोमिंगो कहती हैं, ''हमलोगों ने पहले सॉफ््ट ड्रिंक्स के खतरों का कम कर आंका था क्योंकि पहले किये गए अध्ययन 35 या उससे अधिक उम्र के लोगों पर किये गए थे जबकि युवाओं में इनका सेवन तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए इस अध्ययन में युवाओं को भी षामिल किया गया।''
डोमिंगो कहती हैं, ''काफी बड़ी आबादी आबादी पर किये गए अध्ययनों में पाया गया है कि पिछले कुछ सालों में सॉफ्ट के सेवन में तेजी से वृद्धि हुई है जबकि अन्य पेय पदार्थों के सेवन में गिरावट आयी है। अधिक सॉफ्ट पेय पीने का हानिकारक प्रभाव उसमें पाये जाने वाले मीठे पदार्थों के कारण होता है।''
अमेरिकन बिवेरेज असोसिएशन के साइंस पॉलिसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मारीन स्टोरे कहते हैं, ''जैसा कि हम जानते हैं कि हृइस रोग और मधुमेह दोनों ही जटिल स्थिति है और इनका कोई एक कारण नहीं है और न ही इनका कोई एक समाधान है। हालांकि हृदय रोगों के बढ़ने का एक मुख्य कारण मधुमेह का बढ़ता प्रकोप है लेकिन इसके लिए मोटापा भी काफी हद तक जिम्मेदार है। इसलिए हमें लोगों को प्रशिक्षित करना होगा कि शारीरिक सक्रियता के लिए भोजन से ली जाने वाली कैलोरी और पेय पदार्थों से ली जाने वाली कैलोरी के बीच संतुलन रखें।''
बिबन्स डोमिंगों का कहना है कि हमें ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे सॉफ्ट पेय की खपत में कमी लायी जा सके। उनके अनुसार ऐसी ही एक नीति शुगर आधारित मीठे पेय पर अधिक टैक्स लगाना है। हालांकि यह एक विवाद का विषय है लेकिन अध्ययन में पाया गया है कि पुरुषों के द्वारा रोजाना एक केन से अधिक मीठे पेय लेने और महिलाओं द्वारा एक केन से भी कम मीठे पेय के सेवन से मधुमेह और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
अमेरिकन हार्ट असोसिएशन ने भी सोडा पॉप जैसे शुगर आधारित मीठे पेय की सीमित खपत की सलाह दी है। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरैडो के मेडिसीन के प्रोफेसर और असोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राबर्ट एच. इकेल ने इनकी जगह वैकल्पिक पेय का सेवन करने की सलाह दी है। इकेल ने शुगर आधारित मीठे पेय की जगह फलों का रस पीने की सलाह दी है क्योंकि फलों के रस पौष्टिकता से भरपूर होते हैं और इनमें कार्बोहाइड्रेट नहीं होते हैं या बहुत कम होते हैं।
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