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मधुमेह रोगी के लिए विटामिन डी है जरूरी

मधुमेह को नियंत्रित रखने के लिए रोगियों को अपने आहार में नियमित रुप से विटामिन डी को शामिल करना चाहिए। यह मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है। विटामिन डी की कमी के कारण लाखों लोगों के टाइप 2 डायबिटीज की चपेट में आने का खतरा हो सकता है। विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत धूप है। सर्दियों के दिनों में आप आसानी से धूप सेंक सकते हैं। इससे आपकी डायबिटीज नियंत्रित रहेगी।
विटामिन डी और मधुमेह
विटामिन डी की कमी से लोगों में इंसुलिन प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जिसका मतलब है कि वे खाद्य पदार्थों से ग्लूकोज को उर्जा में तब्दील करने के लिए इंसुलिन का ठीक तरीके से प्रयोग नहीं कर सकते। टाइप 2 मधुमेह उस समय होता है जब शरीर में पर्याप्त मात्रा मे इंसुलिन नहीं बनता या जब कोशिकाओं में इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। इसके अलावा विटामिन डी की कमी से हाइपरग्लाइसिमिया (लो बल्ड शुगर) की समस्या भी हो सकती है।
मधुमेह में विटामिन डी का सेवन
- मधुमेह में विटामिन डी लेने से इसके बढ़ने का खतरा कम हो जाता है। 
- खून में विटामिन डी होने से डायबिटीज की चपेट में आने का खतरा 24 फीसदी तक घट जाता है। 
- विटामिन डी के स्रोत सूर्य के प्रकाश से मधुमेह रोग के ठीक होने की भी संभावना रहती है। 
- विटामिन डी से रोगियों में ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है। 
- विटामिन डी से मधुमेह के अलावा हृदय रोग, रक्त चाप जैसी बीमारियों से बचने में भी मदद मिलती है। 
- मधुमेह रोगियों में होने वाली कई समस्याओं का इलाज विटामिन डी के स्रोतों के जरिए किया जा सकता है। 
- मधुमेह रोगियों को सुबह की धूप में थोड़ी देर बैठना चाहिए। 
- जो लोग नियमित रुप से विटामिन डी लेते हैं उनमें मधुमेह का खतरा कम होता है। 
विटामिन डी की कमी से होने वाले अन्य रोग 
- कोलाजन फाइबर्स की कमजोरी
- क्षय रोग
- सर्दी जुकाम बार-बार होना
- शारीरिक कमजोरी 
- खून की कमी


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