मधुमेह रोगियों को स्वस्थ रहने और लंबी उम्र पाने के लिए नियमित जांच जरूर कराना चाहिए। रोगियों को शरीर में शुगर के स्तर की समय-समय पर जांच कराते रहना चाहिए और जैसे ही ग्लूकोज का स्तर बढ़े तुरंत डॉक्टर से संपंर्क करना चाहिए। मधुमेह को कंट्रोल करने के लिए आहार के साथ साथ नियमित जांच भी जरूरी होती है। शरीर में ग्लूकोज का स्तर पता करने के लिए रोगी घर पर ही ग्लूकोज मीटर रख सकते हैं जिससे वे आसानी से घर पर जांच कर सकते हैं।
मधुमेह रोगियों में सबसे ज्यादा खतरा आंख, पैरों व किडनी को होता है। नियमित जांच से रोगी इन खतरों से बच सकते हैं। शुरुआती अवस्था में मधुमेह होने पर थोड़ी सी सावधानी व नियमित जांच से आप इसे ठीक भी कर सकते हैं।
मधुमेह रोगी में होने वाले जांच
ग्लूकोज की जांच
मधुमेह रोगियों को रक्त में ग्लूकोज के स्तर की जांच नियमित रुप से करना चाहिए। ग्लूकोज का स्तर बढ़ना रोगी के लिए खतरनाक हो सकता है। इसके साथ ही खून की जांच भी मधुमेह रोगियों के लिए जरूरी है इससे पता चलता है कि किडनी ठीक ढंग से काम कर रही हैं या नहीं। मधुमेह में किडनी पर काफी प्रभाव पड़ता है। नियमित जांच से रोगी किडनी की समस्या से दूर रह सकता है।
कोलेस्ट्रोल की जांच
मधुमेह में रोगियों को कोलेस्ट्रोल की जांच जरूर करानी चाहिए क्योंकि मधुमेह रोगियों में कोलेस्ट्रोल बढ़ने पर हृदय रोग का खतरा दुगुना हो जाता है। रक्त में ग्लूकोज की मात्रा खराब कोलेस्ट्रोल (एलडीएल) की गति को धीमा कर सकती है जिसकी वजह से वह चिपचिपा हो जाता है और यही कारण है जिससे कोलेस्ट्रोल तेजी से बनने लगता है। खराब कोलेस्ट्रोल रक्त की धमनियों में जम जाता है और हृदय से जुड़ी समस्याएं पैदा करता है।
ब्लड प्रेशर की जांच
हाई ब्लड प्रेशर 'साइलेंट किलर' के समान है। मधुमेह रोगियों में हाई ब्लड प्रेशर काफी घातक साबित हो सकता है। मधुमेह में हाई ब्लड प्रेशर होने से हृदय रोग, हृदयघात, किडनी व आंखों की समस्या भी हो सकती है। इन सबसे बचने के लिए जरूरी है कि आप ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करवाएं।
पैरों की जांच
मधुमेह में रोगियों को पैरों की समस्या हो सकती है। मधुमेह में पैरों की कोई भी समस्या होने पर इसे गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि इसमें पैरों की संवेदनशीलता धीरे धीरे कम होने लगती है। इसलिए पैरों में लगने वाली छोटी से छोटी चोट, संक्रमण रोगियों के लिए खतरनाक हो सकती है।
आंखों की जांच
जब रक्त में ग्लूकोज का स्तर लंबे समय तक बढ़ा हुआ रहता है तो इसका सीधी असर रेटिना पर पड़ता है। इसे रेटिनोपेथी कहते हैं। आंखों को होने वाले नुकसान का आसानी से नहीं पता चलता है इसके लिए रोगी को नियमित जांच करना जरूरी है। अगर रेटिनोपेथी का जल्द इलाज नहीं किया गया तो रोगी अंधा भी हो सकता है। कई बार मधुमेह रोगी को धुंधला दिखाई देता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपंर्क करें।
मधुमेह से ग्रस्त लोगों को नियिमित रुप से ये जांच करवानी चाहिए। इसकी मदद से वे मधुमेह के साथ भी स्वस्थ जीवन बिता सकते हैं।
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