अगर कोई महिला एक साल के प्रयास के बाद भी गर्भवती नहीं हो पाती है तो यह माना जाता है कि वह इंफर्टिलिटी से ग्रस्त है। इसके लिए कई जैविक कारण जिम्मेदार हैं जिनमें ओवुलेशन समस्याए पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम — पीसीओएसए फैलैपियन ट्यूब या यूटरस में समस्याएं, फाइब्रायड एवं इंडोमेट्रियोसिस शामिल हैं। इन सभी का उपचार लैपरोस्कोपी की मदद से हो सकता है। लैपरोस्कोपी उन महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई है जो इंफर्टिलिटी से ग्रस्त हैं। महिलाओं में बढ़ती इंफर्टिलिटी के लिए आधुनिक जीवन शैली काफी हद तक जिम्मेदार है। इंफर्टिलिटी के कारणों में उम्र, धूम्रपान, शराब का सेवन, खराब खान—पान, तनाव, अधिक वजन या कम वजन तथा यौन संचारित रोग शामिल है।
आज के समय में महिलाएं न केवल देर से शादी करती हैं बल्कि देर से बच्चे पैदा करती है। आज महिलाएं अपने जीवन के 30 वें साल में संतान जनने के बारे में सोचती हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि उम्र बढ़ने के साथ संतान जनने की संभावना घटती जाती है क्योंकि उनकी ओवरी अंडे उत्सर्जित करने की क्षमता खोने लगती है। उम्र बढ़ने से उनकी ओवरी में कम संख्या में अंडे बचते हैं और बचे हुए ये अंडे स्वस्थ भी नहीं होते। इंफर्टिलिटी से ग्रस्त महिलाओं को इलाज के लिए सबसे पहले सर्जिकल विकल्पों पर विचार करना चाहिए और उसके बाद ही आईवीएफ का सहारा लेना चाहिए। इंफर्लिलिटी पैदा करने वाली मेडिकल समस्याओं का लैपरोस्कोपी से उपचार करने पर अनेक महिलाएं गर्भधारण करने में सक्षम हो जाती हैं।
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