होलिस्टिक स्वास्थ्य एवं ओलंपिक खेलों के क्षेत्र में काम करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी ''समिधा'' ने दुनिया भर की महिलाओं को उनकी की रक्षा करने के लिये बनाये गये पहले कानूनी एवं व्यापक आत्मरक्षक वाले पोर्टेबल उपकरण को पेश किया है।
पहली बार दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों के इंजीनियरों ने भारत के मार्षल कला विषेशज्ञ एवं खेल चिकित्सक की अगुआई में एकजुट होकर इस छोटे से एकीकृत उपकरण का विकास किया।
अगर कुछ शरारती तत्व किसी महिला के साथ छेडखानी करते है या उनपर हमला करते हैं तो यह उपकरण महिलाओं के लिये सुरक्षा आवरण का काम करेगा। इस उपकरण को ''भवानी'' नाम दिया गया है। यह उपकरण दस इंच की छड़ी की तरह है जिसे छोटा करके एक इंच में किया जा सकता है और किसी भी पर्स या हैंडबैग में आसानी से ले जाया जा सकेगा। इस उपकरण में पांच इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी क्षेत्रों - इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक, दूरसंचार, रासायनिक और यांत्रिक इंजीनियरिंग का उपयोग किया गया है। इसके बटन को जब दबाया जाता है तो इससे तेज रौषनी निकलती है तथा सायरन बजने लगता है, इसमें किसी अन्य को शारीरिक क्षति नहीं पहुंचाने वाला एक स्टेन गन है, दस फीट की दूरी तक फेंकने वाला पिपर स्प्रे तथा एक पैनिक बटन है। बटन को दबाने के साथ ही यह उपकरण स्थल की जीपीएस लोकेशन की जानकारी के साथ पहले से तय किये गये पांच लोगों को एसएमएस भेजता है, पहले फोन नम्बर पर ''एक्टिव वायस'' काल करता है। इसमें स्विस चाकू तथा दो फीट की मोड़ी जा सकने वाली छड़ी है। इसमें लगी हुयी जीपीआरएस प्रणाली पीड़िता की सही जगह को बताता है। इस उपकरण में भारत के अलावा जापान, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम के संबंध में जानकारियां है।
संकट के समय महिलाओं को सक्षम बनाने वाला यह यह उपकरण विशेषज्ञ की टीम की मेहनत का नतीजा है। ''भवानी'' के विकास में मुख्य भूमिका निभाने वाले डा. पवन कोहली के अनुसार, ''प्रधानमंत्री के ''मेक इन इंडिया'' के विजन को पूरा करने की दिषा में यह उपकरण एक और मील का पत्थर है। यह उपकरण भारत में बना है और दुनिया भर की महिलाओं के लिये भारत की तरफ से एक भेंट है जो महिलाओं को सम्मान के साथ जीने में सक्षम बनायेगा। इस उपकरण की अवधारणा को बनाने तथा इसकी डिजाइन के विकास में करीब 30 महीने का समय लगा।'' डा. पवन कोहली भारत के प्रमुख आर्थोपेडिक एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन हैं जो अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खिलाडियों के प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक खिलाडडियों के साथ काम करते हैं।
भवानी का वजन डेढ़ किलोग्राम है तथा लंबाई 10 इंच है। स्टन गन हमलावर को षारीरिक क्षति पहुंचाये बगैर बिजली का झटका देता है और यह झटका इतना तेज होता है कि यह हमलावर को एक से दो फीट दूर फेक देता है। अगर कई हमलावर हों तो पिपर स्प्रे की मदद से उन्हें भगाया जा सकता है। यह स्पे्र गांवों में महिलाओं द्वारा आत्मरक्षा के लिये इस्तेमाल किये जाने वाली परम्परागत लाल मिर्च से 25 गुना अधिक कारगर है। पैनिक बटन के जरिये आसपास के लोगों को मदद के लिये बुलाया जा सकता है। समुराई छड़ी तथा 4'' स्विस चाकू का इस्तेमाल हमलावर से निबटने के लिये हो सकता है। इन सभी विषेशताओं को एक छोटे से पोर्टेबल उपकरण में समाहित किया गया जिन्हें आसानी से हैंडबैग में ले जाया जा सकता है और इसका आभास किसी को भी नहीं होता है।
इन सभी विषेशताओं वाले उपकरणों को समिधा भवानी में एक साथ जोड़ा गया है और इन्हें मिलाकर एकल पोर्टबल उपकरण के रूप में विकसित किया गया है। भारत के सभी षहरों में इसे खरीदा जा सकता है। यह उपकरण किसी को षारीरिक क्षति नहीं पहुंचता है लेकिन पीडिता को सुरक्षा कवच प्रदान करता है। यह पूरी तरह से कानूनी उपकरण भी है।
भवानी हमारे प्राचीन संतों के इन विचारों से प्रेरित है:
1. गरिमा के साथ महिला सशक्तिकरण
2. किसी को क्षति पहुंचाये बगैर अधिक क्षमता के साथ अपनी सुरक्षा
3. मातृभूमि का आत्मसम्मान का सीधा संबंध नारी सम्मान से है - देष की माताओं, बहनों तथा बेटियों के सम्मान के साथ जुड़ा है।
4. दुनिया भर की महिलाओं के लिये भवानी भारत की तरफ से उपहार है। इसकी डिजाइन भारत में की गयी है, इसका निर्माण भारत में किया गया है और यह भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों से प्रेरित है।
5. भवानी महादेव की संगनी का नाम है जो वीरता और सुरक्षा की देवी है।
6. भवानी भारत में महिलाओं में आत्म विष्वास एवं साकारात्मकता को बढ़ायेगी।
महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए सक्षम बनाएगा समिधा
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