कैल्शियम की कमी से होने वाली ओस्टियोपोरोसिस इस खामोशी के साथ हड्डियों को खोखला करती रहती है कि हड्डियों के अचानक फ्र्रैक्चर होने से पहले इसका जरा भी आभास नहीं होता। नयी दिल्ली के साकेत स्थित जी एम मोदी अस्पताल के वरिष्ठ अस्थि शल्य चिकित्सक डा.मनोज मलिक के अनुसार देश में 50 वर्ष से अधिक उम्र की हर चार में एक महिला ओस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त है। ओस्टियोपोरोसिस होने पर हड्डियों को मजबूत करने के लिये समुचित खुराक के अलावा दवाइयों की जरूरत पड़ती है।
कैल्शियम की कमी महिलाओं, खास कर गर्भवती, बच्चे को स्तनपान कराने वाली एवं रजोनिवृत महिलाओं की खास समस्या है। एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में 50 वर्ष से अधिक उम्र की हर चार में एक महिला ओस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त है। भारत में 45 साल की उम्र के बाद लगभग 50 फीसदी महिलाएं और 75 साल की उम्र के बाद लगभग 90 फीसदी महिलाएं ओस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त हो जाती हैं। हालांकि ओस्टियोपोरोसिस पुरुषों को भी प्रभावित करती है, लेकिन पुरुषों में यह बीमारी महिलाओं की तुलना में काफी कम है। तकरीबन आठ पुरुषों में से केवल एक पुरुष को यह बीमारी होती है। हमारे देश में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ओस्टियोपोरोसिस का प्रकोप अधिक होने का मुख्य कारण लैंगिक भेदभाव की वजह से लड़कियों को बचपन से ही कम पोषण मिलना है। यह देखा गया है कि औसत भारतीय परिवारों में लड़कों की तुलना में लड़कियों को दूध एवं दुग्ध उत्पाद बहुत कम दिये जाते हैं। चिकित्सकों के अनुसार जिस महिला को बचपन में कैल्शियम युक्त आहार कम मिला हो उन्हें बाद में गंभीर ओस्टियोपोरोसिस होने की आशंका बहुत अधिक होती है। इसके अलावा उम्र बढ़ने के साथ शरीर में मादा सेक्स हारमोन में कमी आने के कारण कैल्शियम की मात्रा घटने लगती है जिससे महिलाओं को अधिक उम्र में यह बीमारी होने का खतरा अधिक होता है।
ओस्टियोपोरोसिस में शरीर में कैल्शियम की कमी केेे कारण हड्डियों का घनत्व एवं अस्थि मज्जा बहुत कम हो जाता है। साथ ही हड्डियों की बनावट भी खराब हो जाती है जिससे हड्डियां अत्यंत भुरभुरी और अति संवेदनशील हो जाती हैं। इस कारण हड्डियों पर हल्का दबाव पड़ने या हल्की चोट लगने पर भी वे टूट जाती हैं। ओस्टियोपोरोसिस के कारण आमतौर पर तीन हड्डियों में फ्रैक्चर होता है - कुल्हे की हड्डी (नेक आॅफ फीमर), रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) और कलाई की हड्डी (लोअर आर्म बोन)। एक अनुमान के अनुसार भारत में इस बीमारी के कारण हर साल पांच लाख महिलाओं में सिर्फ कुल्हे का फ्रैक्चर होता है।
ओस्टियोपोरोसिस के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि रोग के गंभीर रूप धारण कर लेने या फ्रैक्चर होने से पूर्व कोई संकेत नहीं मिलता है। ओस्टियोपोरोसिस इतनी खामोशी के साथ लोगों को शिकार बनाकर उनकी हड्डियों को खोखला करती रहती है कि हड्डियों के अचानक फ्र्रैक्चर होने से पहले इसका जरा भी आभास नहीं होता। इसी कारण इसे 'साइलेंट डिजीज' का नाम दिया गया है। वैसे कलाई या कूल्हे में फ्रैक्चर, कमर में दर्द या पीठ झुक जाने जैसे लक्षण ओस्टियोपोरोसिस के संकेत हो सकते हैं। इसके अलावा उम्र के साथ लंबाई में कमी आना भी इसका लक्षण है। इसका कारण यह है कि ओस्टियोपोरोसिस के कारण रीढ़ (वर्टेब्रेट में मौजूद हडिड्डयों) का क्षय होने लगता है।
महिलाओं को ओस्टियोपोरोसिस से बचने के लिये खास तौर पर 45 साल की उम्र के बाद अस्थिरोग विशेषज्ञ से आवश्यक परामर्श करना चाहिये। उन्हें कैल्शियम संबंधी परीक्षण कराने चाहिये और शरीर में कैल्शियम की कमी होने पर समुचित मात्रा में कैल्शियम ग्रहण करना चाहिये। ओस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए आहार पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। भोजन में कैल्शियम की उचित मात्रा लेनी चाहिए। इसके लिए उन्हें दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थों का भरपूर सेवन करना चाहिए। जो लोग भोजन में कैल्शियम नहीं ले रहे हों, उन्हें 45 साल की उम्र के बाद नियमित रूप से कैल्शियम की गोली लेनी चाहिए। जिन लड़कियों की मां या दादी को ओस्टियोपोरोसिस हो चुकी हो, उन्हें बचपन से ही अपने आहार में कैल्शियम की अधिक मात्रा लेनी चाहिए। इसके अलावा वैसे खाद्य पदार्थ अधिक मात्रा में ग्रहण करना चाहिये जिसमें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन हो ताकि शरीर में कैल्शियम की वृद्धि हो सके। केवल कैल्शियम की गोलियां खाने से फायदा नहीं होता है। मरीज को कैल्शियम की गोलियां खाने के अलावा विटामिन भी खाने चाहिये जो हड्डियों में कैल्शियम के जमाव को बढ़ा सके। सभी तरह के दुग्ध उत्पादों में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है।
45 साल की उम्र के बाद अक्सर हड्डियों को मजबूत करने के लिये खुराक के अलावा दवाइयों का सहारा लेना चािहये। अक्सर गर्भवती महिलाओं अथवा दूध पिलाने वाली महिलाओं को कैल्शियम की कमी हो जाती है। ऐसे में उन्हें कैल्शियम की जरूरत अधिक होती है। गर्भवती महिला को कैल्शियम अधिक लेने की आवश्यकता इस कारण से भी अधिक होती है ताकि उनके गर्भ में पल-बढ़ रहे बच्चे को पर्याप्त कैल्शियम मिल सके और बच्चे की हड्डियां कमजोर नहीं रहे। लेकिन कैल्शियम का बहुत अधिक मात्रा में सेवन से नुकसान भी हो सकता है इसलिये चिकित्सक की सलाह के मुताबिक ही कैल्शियम का सेवन करना चाहिये।
कुछ साल पहले तक ओस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियों में फ्रैक्चर होने पर रोगी की मृत्यु हो जाती थी, खासकर कुल्हे का फ्रैक्चर होने पर चल नहीं पाने तथा बिस्तर पर लेटे रहने के कारण 10 में से 9 लोगों की मृत्यु फ्रैक्चर होने के छह महीने के भीतर ही हो जाती थी। उनकी मृत्यु बेड सोर (शैय्या व्रण) होने, छाती में संक्रमण होने, पेशाब में संक्रमण होने, पैर की नसों में खून जम जाने आदि के कारण होती थी। लेकिन अब कुल्हे के फ्रैक्चर का आॅपरेशन से इलाज करके मरीज को चलने-फिरने लायक बनाया जाता है जिससे बेड सोर या दूसरे संक्रमण के होने की आशंका बहुत कम होती है और इस कारण मृत्यु की आशंका 90 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) में फ्रैक्चर होने पर अधिकतर रोगी को दर्द नहीं होता है, जिससे फ्रैक्चर का पता तुरन्त नहीं चल पाता। रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर होने पर पीठ झुकती चली जाती है और पीठ में कुबड़ निकल जाता है जिससे रोगी की लम्बाई कम हो जाती है। कुछ रोगियों में नसों पर दबाव पड़ने के कारण लकवा होने की भी आशंका होती है। हारमोन रिप्लसमेंट थिरेपी ओस्टियोपोरोसिस की रोकथाम अथवा इस बीमारी के गंभीर रूप लेने से रोकने का सबसे उत्तम तरीका है। इस थिरेपी के तहत इस्ट्रोजेन एवं प्रोजेस्टिन हार्मोन लिये जाते हैं। इससे शरीर में रजोनिवृति, सर्जरी से गर्भाशय हटाये जाने अथवा अन्य कारणों से इन हार्मोनों की होने वाली कमी की पूर्ति हो जाती है। रजोनिवृति के पूर्व महिला को रोजाना एक हजार मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है। रजोनिवृति के बाद इस्ट्रोजेन हार्मोन लेने की स्थिति में रोजाना कैल्शियम की इतनी ही मात्रा की जरूरत होती है। अगर रजोनिवृति के बाद इस्ट्रोजेन नहीं लिया जाये तो रोजाना डेढ़ हजार मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है।
किन महिलाओं को ओस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक होता है।
0 रजोनिवृत महिलायें।
0 जिनके परिवार में ओस्टियोपोरोसिस का इतिहास रहा हो।
0 जिनमें गर्भाशय निकालने जैसी शल्य क्रियाओं अथवा अन्य कारणों से 45 वर्ष की उम्र से पहले
ही रजोनिवृति शुरू हो गयी हो।
0 जो आहार में कम कैल्शियम (रोजाना आठ सौ मिली ग्राम से भी कम कैल्शियम) लेती हों अथवा
जिन्होंने बचपन में कम कैल्शियम ग्रहण किया हो ।
0 जो दमा अथवा गठिया के इलाज के तौर पर स्टेराॅयड का सेवन करती हों अथवा अधिक
थायरायड हारमोन लेती हों।
0 जो बहुत अधिक सिगरेट, शराब, एवं काॅफी (रोजाना तीन-चार कप से अधिक) पीती हों।
0 जो पर्याप्त व्यायाम नहीं करती हों।
0 जो बहुत दुबली एवं नाटी कद की हैं। (अमरीकियों एवं यूरोपियन महिलाओं की तुलना में
एशियाई महिलाओं को इस बीमारी का खतरा ज्यादा होने का यही कारण है।)
ओस्टियोपोरोसिस से बचाव के उपाय
0 पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम एवं विटामिन 'डी' ग्रहण करें।
0 दूध, दही, पनीर और चीज आदि भरपूर मात्रा में लें।
0 गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली मातायें अधिक कैल्शियम (रोजाना 1200 मिलीग्राम
कैल्शियम) लें। उन्हें कैल्शियम की गोलियों का भी सेवन करना चाहिये।
0 धूम्रपान, काॅफी, चाय, शीतल पेय और शराब के सेवन से बचें।
0 बिना कारण के स्टेराॅयड का सेवन नहीं करे।
0 नियमित तौर पर व्यायाम करें।
0 रजोनिवृत महिलायें हार्मोन रिप्लेसमेंट थिरेपी लें ताकि मादा सेक्स हार्मोनों की कमी दूर हो ज
जाये।
डा.मनोज मलिक नयी दिल्ली के साकेत स्थित जी एम मोदी अस्पताल में वरिष्ठ अस्थि शल्य चिकित्सक हैं।
महिलाओं में बढ़ती ओस्टियोपोरोसिस की समस्या
~ ~
SEARCH
LATEST
6-latest-65px
POPULAR-desc:Trending now:
-
- Vinod Kumar मस्तिष्क में खून की नसों का गुच्छा बन जाने की स्थिति अत्यंत खतरनाक साबित होती है। यह अक्सर मस्तिष्क रक्त स्राव का कारण बनती ह...
-
विनोद कुमार, हेल्थ रिपोर्टर वैक्सीन की दोनों डोज लगी थी लेकिन कोरोना से बच नहीं पाए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक...
-
INDIAN DOCTORS FOR PEACE AND DEVELOPMENT An international seminar was organised by the Indian Doctors for Peace and Development (IDPD) at ...
-
अत्यधिक प्रतीक्षित इंडो इंटरनेशनल फैशन कार्निवल एंड अवार्ड्स सीजन 2: मिस, मिसेज और मिस्टर स्टार यूनिवर्स ने एक शानदार लोगो लॉन्च इवेंट के सा...
-
The woman in the picture with a smile is Salwa Hussein !! She is a woman without a heart in her body. She is a rare case in the world, as...
Featured Post
Air Pollution Fuels Alarming Rise in Childhood Asthma Cases (On World Asthma Day - 6 May)
- Vinod Kumar, Health Journalist In a month, 3-4 kids, aged 6-10, report symptoms like frequent coughing, breathlessness during play, dis...
