आज की तेज रफ्तार जिंदगी में ज्यादातर व्यक्ति डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। इससे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि वयस्कों के अलावा 13.19 वर्ष के किशोर भी अवसाद का शिकार होने लगे हैं। किशोरों में अवसाद को लेकर कई शोध हुये हैं। कनाडा के शोधकर्ताओं ने पाया कि अवसाद के शिकार किशोरों की मस्तिष्क की संरचना में कुछ विसंगति हो सकती है।
नेशनल रिसर्च काउंसिल आॅफ कनाडा और नोवा के डलहौजी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता फैंक मैकमास्टर, विवेक कुसमकर और उनके सहयोगियों ने 13.18 वर्ष के किशोरों पर किये गये शोध में पाया कि डिप्रेशन में हिप्पोकैम्पस छोटा हो जाता है। इन किशोरों में आधे गंभीर अवसाद से ग्रस्त थे। हिप्पोकैम्पस प्रेरणा, भावनाओं और स्मरण से जुड़ा मस्तिष्क का हिस्सा है।
आॅनलाइन जर्नल बायो मैडसेंट्रल मेडिसीन में छपी रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग से किये गये परीक्षणों से अवसादग्रस्त किशोरों का हिप्पोकैम्पस स्वस्थ किशोरों से 17 फीसदी तक छोटा पाया।
अत्यधिक तनाव और पीड़ा के कारण भी हिप्पोकैम्पस सिकुड़ सकता है। यह अपने किस्म का पहला शोध है।
कुछ अन्य शोधों से पता चला है कि अवसाद रोधी दवाएं संकुचित हुई मस्तिष्क की कोशिकाओं को पुनः सही आकार में ला सकती हैं।
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