मस्तिष्क में चोट लगने पर (हेड इंज्युरी) मस्तिष्कऔर खोपड़ी (स्कल) को क्षति या आघात पहुंच सकता है। हेड इंज्युुरी को निम्न वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है।
हेड इंजुरी होने पर मस्तिश्क से रक्तस्राव, बेहोशी और यहां तक कि मौत भी हो सकती है।
अनुमान लगाया गया है कि भारत में हर साल 20 लाख लोगों को हेड इंज्युुरी होती और 10 लाख लोगों की हेड इंजुरी के कारण मौत हो जाती है।
खोपड़ी (स्कल) और मस्तिष्क(ब्रन)
खोपड़ी और चेहरा सहित सिर मस्तिष्क को सुरक्षा प्रदान करता है। हड्डियों से सुरक्षा प्रदान करने केे अलावा, मस्तिष्क मेनिन्ग्स नामक कड़े रेषेदार परतों से ढका रहता है और इसके चारों ओर तरल पदार्थ होता है।
जब कोई इंज्युुरी होती है, तो सिर को दिखाई देने वाली कोई क्षति नहीं होने के बावजूद मस्तिष्क के कार्यांे को क्षति पहुंच सकती है। सिर पर कोई चोट लगने पर मस्तिष्कप्रत्यक्ष रूप से चोटिल हो सकता है या खोपड़ी की भीतरी दीवार के चोटिल होने के कारण इसका मानसिक प्रभाव पड़ सकता है। मस्तिश्क में आघात के कारण मस्तिष्कके आसपास के हिस्सों में रक्तस्राव होने की संभावना होती है, मस्तिष्क के ऊतकों में खरोंच आ सकती है, या मस्तिष्क के भीतर तंत्रिका जुड़ाव को नुकसान पहुंच सकता है।
कारण:
1. सड़क वाहन दुर्घटनाएं हेड इंज्युुरी का सबसे बड़ा कारण है। हेड इंज्युुरी के लगभग 60 प्रतिशत मामलों के लिए सड़क वाहन दुर्घटनाएं ही जिम्मेदार होती है।
2. गिरना विशेष रूप से बुजुर्गों में गिरना हेड इंज्युुरी का एक आम कारण है। इसलिए बुजुर्ग लोगों को चलने में परेशानी आने पर इसकी पहचान करना महत्वपूर्ण है ताकि उन्हें छड़ी का इस्तेमाल करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सके और इस तरह उन्हें गिरने से बचाया जा सके।
3. हिंसा हेड इंज्युुरी का एक और कारण है। हेड इंजुरी के षिकार लगभग 10 प्रतिशत लोगों में इसका कारण हिंसा होता है।
4. शराब को हेड ट्राॅमा के लगभग 20 प्रतिषत मामलों के लिए जिम्मेदार पाया गया है। यह सड़क दुर्घटनाओं, झगड़ों और गिरने की आषंका को बढ़ाता है।
लक्षण:
हेड इंज्युुरी घाव के अलावा भी कई लक्षण पैदा कर सकता है:
1. बेहोशी: हेड इंज्युुरी होने पर व्यक्ति कम या अधिक समय तक अपनी चेतना खो सकता है या एक बार बेहोष होने पर दोबारा होष में आ सकता है लेकिन वह भ्रमित हो सकता है या नींद सा अनुभव कर सकता है। उसे कम समय के लिए दौरे भी पड़ सकते हैं।
2. भ्रम: हेड इंज्युुरी होने पर कुछ रोगी बेहोश नहीं हो सकते हंै, लेकिन उनमें भ्रम के लक्षण दिख सकते हैं और नींद सा अनुभव कर सकते हैं।
3. खोपड़ी में फ्रैक्चर: हेड इंज्युुरी होने पर खोपड़ी में दबाव के लक्षण दिख सकते हैं।
4. कान और नाक से साफ तरल पदार्थ निकल सकता है। यह आम तौर पर तब दिखाई देता है जब खोपड़ी के आधार में फ्रैक्चर हो, तो इससे मस्तिश्क के चारों ओर घूम रहा तरल लीक कर सकता है।
5. आँखों का काला होना या कान के पीछे ब्रूजिंग: सिर में तेज चोट के कारण आँख और कान के आसपास रक्त वाहिकाएं टूट सकती है।
6. नजर में परिवर्तन: गंभीर हेड इंज्युुरी होने पर आंख का प्यूपिल बड़ा हो सकता है। इससे मरीज धुंधली दृष्टि और डबल विजन की शिकायत कर सकते हैं।
7. घुमटा और चक्कर आना: हेड इंज्युुरी के बाद यह अक्सर देखा जा सकता है।
8. उल्टी: यदि हेड इंज्युुरी के बाद बार- बार उल्टी आती है, तो रोगी को तुरंत अस्पताल ले जाना जरूरी है।
हेड इंजुरी के प्रकार
लक्षणों की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि चोट हल्की, मध्यम या गंभीर है।
— माइल्ड ट्राॅमेटिक ब्रेन इंज्युुरी: इसे मस्तिश्काघात (कन्कषन) भी कहा जाता है। यह तब होता है जब चेतना का कोई नुकसान नहीं हुआ हो या यह 30 मिनट से कम रहा हो। इसके लक्षण इंजुरी के समय या उसके तुरंत बाद दिख सकते हैं। लेकिन कभी- कभी इसके लक्षण कई दिनों या सप्ताहों तक नहीं दिख सकते हैं। माइल्ड ट्रामेटिक बे्रन इंज्युुरी के लक्षण आम तौर पर अस्थायी होते हैं और कुछ घंटों, दिनों या सप्ताहों में स्पश्ट हो जाते हैं, लेकिन ये कई महीनों या इससे भी अधिक समय तक रह सकते हैं।
— मॉडरेट ट्राॅमेटिक ब्रेन इंज्युुरी: यह बेहोषी पैदा करता है जो 30 मिनट से अधिक समय तक रह सकती है। मॉडरेट ट्राॅमेटिक ब्रेन इंजुरी के लक्षण माइल्ड ट्राॅमेटिक ब्रेन इंज्युुरी के समान ही होते हैं लेकिन अधिक गंभीर और लंबे समय तक रहता है।
गंभीर ट्राॅमेटिक ब्रेन इंज्युुरी: यह बेहोषी पैदा करता है जो 24 घंटे से अधिक समय तक रहती है। गंभीर ट्राॅमेटिक ब्रेन इंजुरी के लक्षण बहुत गंभीर होते हैं और इसका उचित इलाज कराने की जरूरत है।
ट्राॅमा के कारण मस्तिष्क में होने वाला रक्तस्राव कई प्रकार का हो सकता है:
1. इंट्राक्रैनियल हेमरिज: रक्त मस्तिष्क पैरेन्काइमा के अंदर पाया जाता है। यदि रक्त अधिक बह रहा हो और उसी स्थान से बह रहा हो तो रक्त को निकालने के लिए रोगी की तत्काल सर्जरी करने की जरूरत होगी। इस तरह के रक्तस्राव में रोगी अचानक कमजोरी महसूस कर सकता है।
2. सबड्यूरल हेमैटोमा: यह तब होता है जब रक्त मस्तिष्क और खोपड़ी की परतों के बीच होता है। यह हेड ट्राॅम में अक्सर देखा जाता है और यह नसों के फटने से उत्पन्न होता है। बुजुर्ग लोगों में उनके गिरने पर यह अक्सर होता है। यदि वहां रक्त अधिक जमा हुआ हो, तो रक्त को बाहर निकालने के लिए एक बड़ा छेद किया जाता है।
3. एपीड्यूरल हेमरिज: यह भी तब होता है जब रक्त मस्तिष्क और खोपड़ी की परतों के बीच होता है और यह गंभीर ट्रामा में अक्सर देखा जाता है। इसके मुख्य लक्षण यह हैं कि इंजुरी के बाद भी रोगी ठीक रहता है (जिसे ल्युसिड इंटरवल कहा जाता है) लेकिन दो घंटों के भीतर बेहोश हो जाता है। इसलिए रोगी को अस्पताल ले जाना जरूरी है। ऐसे मामले में रोगी को अस्पताल ले जाना नहीं भूलें।
मस्तिष्क में रक्तस्राव की पहचान सीटी स्कैन से की जाती है जिसमें कुछ ही मिनट लगते हैं। रोगी की तत्काल देखभाल के बाद मस्तिश्क की एमआरआई की जा सकती है।
हेड इंज्युुरी का इलाज
हेड इंज्युुरी का इलाज चोट की सीमा पर निर्भर करता है। इसके उपचार में विविधता हो सकती है।
यदि चोट मामूली है, तो रोगी के लक्षणों के आधार पर उसे कुछ दिनों के लिए अवलोकन के लिए भर्ती किया जा सकता है। गंभीर ब्रेन इंजुरी होने पर, रोगियों को अस्पताल में विषेश देखभाल की जरूरत होती है और मस्तिष्क से रक्त को हटाने के लिए तत्काल सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। उसके बाद रोगियों को आम तौर पर कई महीने के पुनर्वास की आवश्यकता होती है।
हेड इंज्युुरी होने पर तुरंत चिकित्सीय सलाह लेना महत्वपूर्ण है। इसे समस्या की सही पहचान हो सकती है और इससे विकलांगता और मौत की आषंका भी कम हो सकती है।
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