अगर आप किसी नाई के यहां या किसी नीम हकीम से गर्दन और सिर की मालिश कराते हैं तो सावधान हो जाएं क्योंकि यह मालिश आपके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। जब आप नाई से मालिश कराते हैं तो वह आपके सिर को पकड़ कर घुमाता और उपर—नीचे करता है और गर्दन को मरोड़ता है। हो सकता है कि ऐसा कराना आपको अच्छा लगता होए लेकिन इससे गर्दन की नसों को नुकसान पहुंच सकता है।
चिकित्सकों का कहना है कि गलत तरीके से गर्दन की मालिश कराने से डायाफ्राम को नियंत्रित करने वाली तंत्रिकाओं को क्षति पहुंच सकती है। डायाफ्राम आपकी श्वसन प्रणाली को नियंत्रित करती है और इसलिए गलत तरीके से गर्दन और सिर की मालिश होने पर आपको सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है। ऐसे में मरीज को वेंटिलेटर पर रखे जाने की जरूरत हो सकती है और स्थिति गंभीर हो जाए तो ताउम्र वेंटिलेटर पर रहना पड़ सकता है क्योंकि तंत्रिका की क्षति की भरपाई नहीं हो पाती है।
चिकित्सकों के अनुसार गर्दन की मालिश एवं गर्दन तो मरोड़ने के कारण गर्दन की जोड़ों एवं आसपास के उतकोंए नर्व और मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है और इसके कारण बाईलेटरल डायफै्रगमेटिक परालाइसिस हो सकती है।
डॉक्टरों का कहना है कि अपने देश में मालिश कराने का चलन बहुत ज्यादा है। कुछ लोग हर हफ्ते ऐसा करवाते हैं। शायद उन्हें पता नहीं होता है कि गर्दन चटकाना खतरनाक हो सकता है। चिकित्सकों के अनुसार जो लोग बार—बार नाई से मसाज कराते हैं उनकी गर्दन की नसों में लकवा मार सकता है।
चिकित्सकों के अनुसार सांस लेने वाली सारी नसें गर्दन की हड्डी के साथ गुजरती हैं। ऐसे में जब मरीज लेटता है तो सांस चोक हो जाती है। चुंकी सांस लेने की नसें पेट की आंत से जुड़ी होती हैं। ऐसे मरीज को अगर पानी के टब में लेटा दिया जाए तो एकदम से सांस रुक जाएगी। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। कुछ साल के बाद अपने आप मांसपेशियां फिर से पैदा हो जाएंगी। वरना पूरी जिंदगी ऐसे ही रहना होगा। इसका सिर्फ एक ही इलाज है कि उन्हें अब पूरी जिंदगी नॉन इनवेसिव वेंटिलेशन पर रहना होगा। यह मशीन उनकी सांस को पूरा करेगी।
ऐसे में आपको सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि आपकी एक छोटी सी आदत लाइलाज बीमारी में बदल सकती है।
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