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मुंह का कैंसर भारत में पुरुषों की असामयिक मौत का एक प्रमुख कारण है

ग्वालियर। महानगरों के अलावा अन्य षहरों में भी कैंसर के बढ़ रहे प्रकोप देखते हुए ग्वालियर में एक जन जागरूकता अभियान चलाया गया। इस अभियान का उद्देश्य बीमारी की समय पर पहचान करने, उन्नत उपचार के तौर-तरीकों, और जीवन शैली में सुधार करने के बारे में लोगों को जानकारी प्रदान करना था।
चिकित्सकों के अनुसार, भारत में पुरुषों और महिलाओं में समय से पहले मृत्यु का एक प्रमुख कारण कैंसर है। ग्लोबाकैन 2018 के भारत के आंकड़ों के अनुसार, कैंसर के 11.57 लाख नए मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 11.42 प्रतिषत मौत के लिए मुंह के कैंसर को जिम्मेदार ठहराया गया। होंठ, ओरल कैविटी और इसोफैगल कैंसर सहित विषेशकर पुरुशों में सिर और गर्दन के कैंसर दूसरे स्थान पर हैं। इस तरह के कैंसर कुल मिलाकर लगभग 25 प्रतिषत मृत्यु दर के लिए जिम्मेदार हैं, और पिछले साल भारत में दर्ज किए गए नए कैंसर रोगियों की संख्या में 18 प्रतिषत की वृद्धि हुई है।
सिर एवं गर्दन के कैंसर की सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डाॅ. शुभम गर्ग ने कहा, ''सिर और गर्दन से संबंधित जटिलताओं की शिकायत करने वाले रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है जिसमें मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र, ओरल कैविटी, थायरॉयड, इसोफेगस, फैरिंक्स और लार ग्रंथियां शामिल हैं। जागरूकता की कमी के कारण लोग आमतौर पर शुरुआती लक्षणों की उपेक्षा करते हैं और अक्सर बीमारी के एक उन्नत चरण में अस्पताल पहुंचते हैं। कैंसर के इलाज और जीवन षैली में थोड़ा सा बदलाव करके और स्व-परीक्षण से इसे रोकने के तरीकों को समझना और जागरूकता कायम करना महत्वपूर्ण है। अब कैंसर के इलाज की बेहतर और उन्नत तकनीकें तो उपलब्ध हैं, लेकिन जल्द पहचान के बारे में जागरूकता कायम करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि आम तौर पर इसके लक्षणों की उपेक्षा की जाती है और देर से निदान किया जाता है। 
ग्लोबाकैन डेटा 2018 के अनुसार, पिछले साल दर्ज किए गए कुल 11.57 लाख नए कैंसर रोगियों में से 2.75 लाख रोगी सिर और गर्दन के कैंसर से पीड़ित हुए, जो कैंसर के कुल मामलों का लगभग 24 प्रतिशत है। इसी तरह, इस तरह के कैंसर से होने वाली मृत्यु दर 1.80 लाख (22 प्रतिषत) दर्ज की गई, जिसमें से पुरुषों में ओरल कैविटी का कैंसर सबसे ऊपर था। 2017 की तुलना में, अधिक व्यापक मामलों की संख्या में भी 20 प्रतिषत की वृद्धि हुई है और 5 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। 
डाॅ. गर्ग ने कहा, ''भारत में, हर साल 5,00,000 से अधिक रोगी इलाज के लिए आते हैं और भारत में नए रोगियों का वार्षिक पंजीकरण दर 3,00,000 है, लेकिन कैंसर रोग विषेशज्ञ की संख्या बहुत सीमित है। लोगों को जागरूक होना चाहिए और समझना चाहिए कि उपलब्ध नवीनतम और उन्नत उपचार विकल्पों की बदौलत, अब इस बीमारी से मुक्त होना और जटिल मामलों में भी जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना संभव है। लीनियर एक्सेलरेटर जैसी मिनिमली इनवेसिव तकनीक और साइबरनाइफ जैसी कंप्यूटर एडेड एडवांस तकनीक ने कैंसर के इलाज में काफी क्रांति ला दी है।''
भविष्य की जटिलताओं को रोकने के लिए लोगों को प्रारंभिक लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए। मुंह के घाव जैसे सामान्य लक्षण जो ठीक नहीं हो रहे हों, निगलने में कठिनाई और दर्द, और मुंह के अंदर लगातार रहने वाले सफेद या लाल धब्बे को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इस तरह के लक्षणों को नजरअंदाज करने से गांठ का विकास हो सकता है और यह कैंसर पैदा करने वाले घातक ट्यूमर में परिवर्तित हो सकता है।
अधिकांश रोगियों को कैंसर के इलाज के लिए उपलब्ध उन्नत उपचार विकल्पों के बारे में  लोगों को सभी प्रकार के कैंसर से निपटने के लिए जोखिम कारकों और प्रारंभिक पहचान के महत्व के बारे में बताना आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ''उन्नत तकनीकों के तहत स्वस्थ ऊतकों और अंगों को नुकसान पहुंचाए बिना बड़ी सटीकता और निपुणता के साथ ट्यूमर की जगह पर अधिक ऊर्जा वाली किरणों को पहुंचाया जाता है। हम गुणवत्ता पूर्ण देखभाल और उन्नत उपचार विकल्प प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं; लेकिन प्रारंभिक पहचान के बारे में लोगों को जानकारी उपलब्ध कराना भी उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके लक्षणों की अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है या लक्षणों की देर से पहचान की जाती है।''


 


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